पूर्व सांसद वीरपाल सिंह यादव 25 साल लगातार समाजवादी पार्टी के जिला अध्यक्ष रहे हैं. एक दौर था जब उन्हें बरेली में समाजवादी पार्टी का पर्याय माना जाता था. लेकिन सपा के दो फाड़ होने के बाद वीरपाल सिंह यादव शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का हिस्सा बन चुके हैं. सपा से अलग होने का उन्हें क्या नुकसान हुआ? क्या वर्ष 2022 में वह दोबारा विधानसभा चुनाव लड़ेंगे? सपा से गठबंधन या वापसी को लेकर क्या है वीरपाल सिंह यादव की राय? पेश हैं वीरपाल सिंह यादव से नीरज सिसौदिया की खास बातचीत के मुख्य अंश…
सवाल : आपने राजनीतिक सफर की शुरूआत कब और कैसे की? क्या आप राजनीतिक पारिवारिक पृष्ठभूमि से हैं?
जवाब : मेरा कोई पॉलिटिकल बैकग्राउंड नहीं है. मैं किसान का बेटा हूं. हम छह भाई-बहन हैं और सभी किसान हैं. छात्र जीवन से ही मेरे मन राजनीति में आने का और समाज को नई दिशा में ले जाने का जज्बा था. पिछड़ों के लिए कुछ करना चाहता था. वल्दिया में आत्माराम इंटर कॉलेज में मैं पढ़ता था. उस वक्त मेरे मन में एक बगावत सी थी व्यवस्था के प्रति. इसलिए हमने पिछड़ों की राजनीति शुरू की. मैंने सत्तर के दशक के अंत में छात्र जीवन से ही राजनीतिक सफर की शुरुआत कर दी थी.
सवाल : उस दौर में किस तरह की चुनौतियां थीं राजनीतिक सफर को आगे बढ़ाने की?
जवाब : हमने जिस दौर में राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी वो दौर बहुत ही मुश्किल भरा था. सन् 1980 की बात है. ये वह दौर था जब इंदिरा गांधी के सितारे बुलंदियों पर थे और इंदिरा इज इंडिया और इंडिया इज इंदिरा कहा जाता था. उस समय दलितों की, पिछड़ों की बात कहने वाला कोई नहीं था. हालांकि उस वक्त 90 फीसदी दलित कांग्रेस को ही वोट देता था. मुस्लिम भी 90 फीसदी कांग्रेस का ही वोट बैंक था. लेकिन पिछड़ा वर्ग जरूर भूतपूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह से आकर्षित था. तो पिछड़ा वर्ग का होने के नाते हम ये सोच नहीं सकते थे कि कोई कुर्मी भी एमएलए बनेगा, कोई दलित भी एमएलए बनेगा या कोई पिछड़ा भी एमएलए बनेगा. उस समय ये एक दिवा स्वप्न था.
सवाल : मुख्य धारा की राजनीति में कब आना हुआ?
जवाब : बात 1988-89 की है. उस वक्त वीपी सिंह कांग्रेस से अलग हुए और जनता दल बना. यूपी में मुलायम सिंह की जनता दल की सरकार बनी और हम जनता दल के अध्यक्ष बन गए. फिर जनता दल में विद्रोह हो गया और चंद्रशेखर से अलग होकर मुलायम सिंह ने जनता दल एस बनाया तो हम नेता जी के साथ आ गए और जनता दल समाजवादी का हिस्सा बन गए. फिर जनता पार्टी बन गई. 1991 में जनता पार्टी के चिह्न पर चुनाव लड़ा.
सवाल : पहला विधानसभा चुनाव आपने कब लड़ा?
जवाब : मैंने पहला विधानसभा चुनाव वर्ष 2002 में सनहा विधानसभा सीट (अब बिथरी चैनपुर विधानसभा सीट) से लड़ा था. केवल 1054 वोट से मैं चुनाव हार गया था मगर जीता बैकवर्ड का ही प्रत्याशी बसपा से धर्मेंद्र कश्यप जो अब आंवला से सांसद हैं. 2002 के बाद जब 2007 में विधानसभा चुनाव होते उससे पहले ही हमें राज्यसभा भेज दिया गया था. फिर 2012 में जब चुनाव हुए तो भी हम राज्यसभा सांसद थे. इसके बाद 2017 में 15 साल बाद हमने दोबारा विधानसभा चुनाव लड़ा और 19 हजार वोटों से चुनाव हार गए. लेकिन बरेली में समाजवादी पार्टी के जितने भी प्रत्याशी खड़े हुए उन सभी से ज्यादा 77 हजार वोट मिले.
सवाल : आप समाजवादी पार्टी के जिला अध्यक्ष भी रहे?
जवाब : मैं पूरे 25 साल पार्टी का जिला अध्यक्ष रहा. यूपी में सपा का कोई भी जिला अध्यक्ष इतने वर्षों तक अध्यक्ष नहीं रहा. सबसे अधिक समय तक सपा का जिला अध्यक्ष बनने का रिकॉर्ड मेरे ही नाम है. जितने वर्ष तक नेता जी पार्टी के अध्यक्ष रहे उतने वर्ष तक मैं भी जिला अध्यक्ष रहा. जब नेता जी अध्यक्ष नहीं रहे तो हमने भी त्यागपत्र दे दिया.
सवाल : अब आप शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का हिस्सा हैं. आपको नहीं लगता कि सपा से अलग होकर आपको नुकसान हुआ?
जवाब : समाजवादी पार्टी से अलग होकर हमें कोई नुकसान नहीं हुआ है और न ही प्रगतिशील समाजवादी पार्टी को कोई नुकसान हुआ है. न तो शिवपाल यादव मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे और न ही हम इस पद के दावेदार थे. हमें तो एमएलए बनना था या ज्यादा से ज्यादा मंत्री बनने का सपना देख सकते थे. एमएलए तो हम अभी भी बनेंगे. हम तलवे चाटने की राजनीति नहीं करते. वो कहते हैं न कि जिल्लत की जिंदगी से इज्जत की मौत भली. हम सम्मान से कोई समझौता नहीं कर सकते. नुकसान तो उनका हुआ जो मुख्यमंत्री बनने का ख्वाब देख रहे हैं. इसलिए हमें कोई नुकसान नहीं हुआ है.
सवाल : 2022 में चुनाव होने हैं. क्या आपको नहीं लगता कि प्रगतिशील समाजवादी पार्टी को सपा के साथ गठबंधन कर लेना चाहिए? दोनों दलों को फिर से एक हो जाना चाहिए?
जवाब : सिर्फ प्रगतिशील समाजवादी पार्टी और समाजवादी पार्टी को ही नहीं बल्कि पूरे विपक्ष को एकजुट होना चाहिए. अगर आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा को हराना है तो सभी गैर भाजपाई दलों को एकजुट होना होगा.
सवाल : क्या आप वर्ष 2022 में विधानसभा चुनाव लड़ेंगे? इसके लिए क्या तैयारी कर रहे हैं?
जवाब : हम वर्ष 2022 में विधानसभा चुनाव जरूर लड़ेंगे. रही बात तैयारियों की तो अभी एक साल से भी अधिक का समय शेष है तैयारियां करने के लिए. राजनीति में बहुत तेजी से बदलाव होते हैं. एक पल में सब कुछ बदल जाता है. किसी ने सोचा भी नहीं था कि मायावयी और सपा मिलकर गठबंधन करके चुनाव लड़ेंगे लेकिन लड़े. किसी ने सोचा न था कि इतनी जल्दी यह गठबंधन टूट जाएगा लेकिन टूटा. इसलिए अभी से तैयारी के बारे में कुछ भी कहना सही नहीं होगा.