पंजाब

जेडीए का भ्रष्‍टाचार : जयइंदर सिंह और आरएस गिल जैसे अधिकारियों ने अवैध कालोनियों पर कार्रवाई की तो कांग्रेस सरकार ने कर दिया था तबादला, क्‍या करेगी आप सरकार?

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नीरज सिसौदिया, जालंधर
जालंधर विकास प्राधिकरण में भ्रष्‍टाचार का खेल कोई नई बात नहीं है। यह खेल वैसे तो दशकों से चला आ रहा है लेकिन पिछले पांच वर्षों में इसमें बेहिसाब तेजी देखने को मिली। पुडा के कुछ भ्रष्‍ट अधिकारियों के द्वारा इस खेल को इस कदर चरम पर पहुंचा दिया गया कि गली-मोहल्‍ले तक में कॉलोनाइजर पैदा हो गए। कई नगर निगम के पार्षद भी बहती गंगा में हाथ धोते नजर आए और कॉलोनाइजर बन बैठे। ऐसा नही है कि जेई और एसडीओ स्‍तर के कुछ भ्रष्‍ट अधिकारियों के काले कारनामों की खबर जेडीए के आला अधिकारियों को नहीं थी मगर जब-जब किसी आला अधिकारी ने कार्रवाई करने की कोशिश की तो चंडीगढ़ में बैठे सियासतदानों और सचिवालय के अधिकारियों ने उन अधिकारियों पर ही शिकंजा कस डाला।
लगभग चार साल पहले पीसीएस अफसर जयइंदर सिंह नगर निगम में एडिशनल कमिश्‍नर के पद पर तैनात थे। वहां से उन्‍हें जालंधर विकास प्राधिकरण का ईओ बनाकर भेजा गया। जेडीए के भ्रष्‍टाचार की जानकारी मिलते ही जयइंदर सिंह एक्‍शन मोड में आ गए और कॉलोनाइजरों के होश फाख्‍ता हो गए। इधर जेई और एसडीओ स्‍तर के अधिकारियों के काले खेल पर भी शिकंजा कसने लगा। जयइंदर सिंह एक के बाद एक अवैध कॉलोनियों पर डिच चलवाते जा रहे थे। कई कॉलोनियों पर तो जयइंदर सिंह ने खुद सामने खड़े होकर कार्रवाई करवाई लेकिन जयइंदर सिंह की यह तेजी न तो कॉलोनाइजरों को रास आई, न सरकार को भाई और न ही उनके मातहत अधिकारियों को। नतीजा यह हुआ कि जयइंदर सिंह को कुछ महीनों में ही चलता कर दिया गया। जयइंदर सिंह आबकारी विभाग में भेज दिए गए। इसके बाद जब आरएस गिल ने ईओ का पद संभाला तो वह भी जयइंदर सिंह के रास्‍ते पर चल पड़े। उनके पास अवैध कॉलोनियों की जो भी शिकायत पहुंचती उस पर कार्रवाई तय हो जाती। हालांकि, जेई और एसडीओ स्‍तर के अधिकारियों के काले कारनामों का सिलसिला चलता रहता। मातहतों के काले खेल को आरएस गिल भली भांति समझ चुके थे। वर्ष 2021 के अंत में उन्‍होंने अवैध कॉलोनियों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई शुरू कर दी। नतीजतन रणदीप सिंह गिल को भी ईओ पद से हटाकर कांग्रेस सरकार ने अन्‍यत्र स्‍थानांतरित कर दिया।
आरएस गिल के स्‍थानांतरण के बाद जो ईओ आए वह अभी अवैध कॉलोनियों के काले खेल को समझ रहे हैं। उनके साथ प्‍लस प्‍वाइंट यह है कि अब पंजाब में कांग्रेस की सरकार नहीं है। अपनी ईमानदारी और जीरो टॉलरेंस के लिए मशहूर आम आदमी पार्टी सत्‍ता पर काबिज है। इसके बावजूद अवैध कॉलोनियों पर शिकंजा क्‍यों नहीं कसा जा रहा है? छोटे-बड़े कॉलोनाइजरों पर कार्रवाई क्‍यों नहीं की जा रही है? अब उन अधिकारियों पर किसका दबाव है? ऐसे कई सवाल हैं जो जेडीए के अधिकारियों को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं। अब देखना यह है कि क्‍या आम आदमी पार्टी सरकार इस काले खेल पर शिकंजा कस पाएगी अथवा यह काला खेल यूं ही बदस्‍तूर जारी रहेगा?

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