नीरज सिसौदिया, जालंधर
सरकारें आती हैं और चली जाती हैं मगर अफसरशाही नहीं बदलती। यही वजह है कि अवैध कॉलोनियों का काला कारोबार धड़ल्ले से चलता रहता है। ताजा मामले जालंधर विकास प्राधिकरण के तहत आने वाले इलाकों के हैं। जेडीए के अंतर्गत आने वाला आदमपुर का इलाका हो, कठार का इलाका हो या फिर शाम चौरासी या अन्य इलाके, अवैध कॉलोनियों के काले कारोबार पर जिम्मेदार अधिकारी और सरकार तक अंकुश लगाने में नाकाम साबित हो रही है। पुडा के अधिकारियों की कथित तौर पर मिलीभगत के चलते कॉलोनाइजरों के हौसले इतने बुलंद हो चुके हैं कि अब वह अवैध कॉलोनियों में दफ्तर खोलकर दफ्तर की दीवार पर पुडा एप्रूव्ड कॉलोनी का बोर्ड तक लगा दे रहे हैं। इनमें से कुछ को पुडा के अधिकारियों की ओर से प्रोविजनल सर्टिफिकेट भी बांट दिये गए हैं। लेकिन कॉलोनाइजरों ने पुडा एप्रूव्ड के बोर्ड लगाने के बाद बकाया भी जमा नहीं किया है।
ऐसी ही एक कॉलोनी आदमपुर-होशियारपुर रोड पर कठार स्थित विक्टोरिया रिसॉर्ट से पहले एम्मार पब्लिक स्कूल के पास काटी गई है। यह कॉलोनी जालंधर के मकसूदां के रहने वाले चैन सिंह नाम के कॉलोनाइजर की बताई जाती है। इस कॉलोनी को लगभग तीन किले जमीन पर डेवलप किया गया है। इसमें फ्रंट पर कॉमर्शियल प्लॉट बेचे जा रहे हैं। बैक में आवासीय प्लॉट हैं जिनकी कीमत लगभग डेढ़ लाख रुपये प्रति मरला बताई जाती है। हालांकि मोलभाव करने पर यह कीमत 25-50 हजार रुपये कम भी कर दी जाती है।
प्लॉटों का सौदा बलविंदर नाम का व्यक्ति कर रहा है। मोल भाव के लिए वह मकसूदां मंडी के स्थित किसी हरमन नाम के प्रॉपर्टी डीलर से बात कराता है। ट्रू कॉलर में प्रॉपर्टी डीलर का नाम हरमन ही लिखा आता है। उक्त प्रॉपर्टी डीलर अपना दफ्तर मकसूदां मंडी पंजाब नेशनल बैंक के पास बताता है। हैरानी की बात है कि मेन हाईवे पर स्थित इस कॉलोनी को खुलेआम पुडा अप्रूव्ड लिखा जा रहा है और उक्त कॉलोनी में पुडा के सभी नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
चूंकि यह कॉलोनी लॉकडाउन के बाद डेवलप की गई है इसलिए यह 2018 की पॉलिसी के तहत भी पास नहीं हो सकती। इसमें न तो कोई पार्क छोड़ा गया है और न ही नियमानुसार सड़कों एवं वेस्टेज एरिया का अनुपात रखा गया है। बीपीएल के लिए भी कोई व्यवस्था इस कॉलोनी में नहीं की गई है। अब सवाल यह उठता है कि पुडा के एसडीओ स्तर के अधिकारी इसके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे?
बताया जाता है कि इसी कॉलोनाइजर ने शाम चौरासी में भी एक कॉलोनी काटी है।
इसके अलावा आदमपुर में भी बड़ी तादाद में अवैध कॉलोनियां काटी गई हैं। करतारपुर में भी एक अवैध कॉलोनी किसी रमेश अग्रवाल नाम के कॉलोनाइजर की बताई जाती है। जमशेर और लांबड़ा के इलाकों में भी अवैध कॉलोनियों की बाढ़ सी आई हुई है। सरकार का खजाना खाली है। मुख्यमंत्री भगवंत मान जनता के लिए केंद्र सरकार से फंड की मांग कर रहे हैं जिसके लिए विपक्षी उनका सोशल मीडिया पर मजाक भी बना रहे हैं लेकिन उसी सरकार के नुमाइंदे इन अवैध कॉलोनियों पर मेहरबान होकर अपनी जेबें भर रहे हैं और सरकार को लाखों रुपये के राजस्व की चपत लगा रहे हैं।
बहरहाल, जालंधर विकास प्राधिकरण भ्रष्ट अधिकारियों का गढ़ बन चुका है। अब देखना यह है कि आम आदमी पार्टी के नव निर्वाचित विधायक भी इन अधिकारियों से सांठगांठ कर लेते हैं या फिर कार्रवाई कर सरकारी खजाने को भरने का काम करवाते हैं।