पंजाब

अवैध कॉलोनियों का काला खेल-1 : अवैध है अनिल चोपड़ा द्वारा काटी गई मदरलैंड कॉलोनी, निगम ने रिजेक्ट कर दिया था आवेदन, पढ़ें एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

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नीरज सिसौदिया, जालंधर
जालंधर नगर निगम के दायरे में आने वाले इलाकों में अफसरशाही की मिलीभगत से अवैध कॉलोनियों का काला खेल किस कदर चरम पर चल रहा है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिन कॉलोनियों को नगर निगम जालंधर की ओर से नियमों पर खरा नहीं उतरने के कारण अवैध करार देते हुए रिजेक्ट कर दिया गया था उन कॉलोनियों को भी नगर निगम के अधिकारियों की मिलीभगत से गुलजार कर दिया गया है। नगर निगम के दस्तावेज आज भी उन कॉलोनियों को अवैध करार देते हैं लेकिन धरातल पर उन कॉलोनियों के खिलाफ न तो कांग्रेस के आला नेताओं ने कोई कार्रवाई करना जरूरी समझा और न ही नगर निगम के अधिकारियों ने। अवैध कॉलोनियों के इस काले खेल की पहली किस्त में आज हम एक ऐसी ही कॉलोनी और कॉलोनाइजर का खुलासा करने जा रहे हैं जिसे नगर निगम की ओर से रिजेक्ट कर दिया गया था लेकिन बिल्डिंग इंस्पेक्टर से लेकर एटीपी, एमटीपी और निगम कमिश्नर तक की मेहरबानियों से सारे नियम कानूनों की धज्जियां उड़ाते हुए गुलजार करवा दिया गया। इतना ही नहीं मामला चंडीगढ़ तक भी पहुंचा लेकिन रिश्वतखोरी की रकम इतनी ज्यादा थी कि चंडीगढ़ में बैठे हुक्मरान भी अपना मुंह नहीं खोल सके।
नगर निगम के दस्तावेज बताते हैं कि मॉडल टाउन जालंधर के रहने वाले अनिल चोपड़ा पुत्र स्व. रामचंद्र चोपड़ा ने विलेज किंगरा में 5.04 एकड़ में मदरलैंड कॉलोनी डेवलप की थी। इस कॉलोनी को पास कराने के लिए अनिल चोपड़ा की ओर से नगर निगम में आवेदन भी किया गया था। जब तक कॉलोनी का काम चलता रहा तब तक अनिल चोपड़ा के आवेदन की फाइल इस टेबल से उस टेबल घुमाई जाती रही। कभी बिल्डिंग इंस्पेक्टर, कभी एटीपी, कभी एमटीपी, कभी एसटीपी तो कभी निगम कमिश्नर की टेबल पर धूल फांकने के बाद नगर निगम ने आखिरकार इस कॉलोनी को पापरा टाउन प्लानिंग स्कीम के तहत अवैध घोषित कर दिया। साथ ही यह नोटिंग भी लगाई कि यह कॉलोनी सरकार द्वारा कॉलोनियों के रेगुलराइजेशन के लिए तय किए गए मानकों को पूरा नहीं करती है इसलिए डब्ल्यूसीसी के द्वारा इसे रिजेक्ट किया जाता है। अब सवाल यह उठता है कि जब नगर निगम की ओर से उक्त कॉलोनी को रिजेक्ट कर दिया गया तो इसके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा क्यों नहीं की गई? बिल्डिंग इंस्पेक्टर से लेकर निगम कमिश्नर तक इस मामले को दबाकर क्यों बैठे रहे? कांग्रेस के मेयर, पूर्व विधायक और वर्तमान विधायकों को अनिल चोपड़ा की यह अवैध कॉलोनी क्यों नजर नहीं आई? अनिल चोपड़ा पर एफआईआर क्यों दर्ज नहीं की गई? आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में जो ईमानदारी दिखाई वह पंजाब में सत्ता हासिल करते ही कहां गुम हो गई? भ्रष्टाचार मुक्त पंजाब का दंभ भरने वाले आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल और मुख्यमंत्री भगवंत मान के दावों का क्या हुआ? पंजाब की सत्ता में सिर्फ चेहरे बदले हैं काम का तरीका नहीं बदला? कल तक कांग्रेस नेता अपनी जेबें भरते रहे और आज आम आदमी पार्टी के नेताओं पर सवाल उठने लगे हैं। जोशी अस्पताल के मुद्दे पर पहले ही आम आदमी पार्टी के विधायक रमन अरोड़ा अपनी काफी फजीहत करवा चुके हैं। अगर नगर निगम के भ्रष्ट अधिकारियों पर अंकुश नहीं लगाया गया तो अगले पांच वर्षों में पंजाब में भ्रष्टाचार का आलम क्या होगा, इसका अंदाजा खुद ब खुद लगाया जा सकता है?
बहरहाल, अनिल चोपड़ा अकेले ऐसे कॉलोनाइजर नहीं हैं जिनकी कॉलोनी नगर निगम की ओर से रिजेक्ट करने के बावजूद अधिकारियों की मिलीभगत से गुलजार कर दी गई और उनके खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। ऐसी लगभग सौ से अधिक अवैध कॉलोनियों के दस्तावेज इंडिया टाइम 24 की टीम के पास आए हैं जो नगर निगम के भ्रष्ट अधिकारियों के काले कारनामों को उजागर करते हैं। इस संबंध में जब नगर निगम कमिश्नर कर्णेश शर्मा से संपर्क कर उनका पक्ष जानने का प्रयास किया गया तो उनसे संपर्क नहीं हो सका। अगर वह चाहें तो मोबाइल नंबर 7528022520 पर फोन कर अपना पक्ष दे सकते हैं। हम उसे भी प्रमुखता से प्रकाशित करेंगे। अगली किस्त में हम एक और ऐसे कॉलोनाइजर सुनील वालिया और नगर निगम के अधिकारियों के काले कारनामों का खुलासा करेंगे जिसकी एक नहीं बल्कि आधा दर्जन कॉलोनियों को अवैध करार देते हुए नगर निगम ने उन्हें रिजेक्ट कर दिया था लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। निष्पक्ष और निर्भीक पत्रकारिता के लिए पढ़ते रहिये www.indiatime24.com और हमारे यू ट्यूब चैनल indiatime24 को सब्सक्राइब करें।

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