नीरज सिसौदिया, जालंधर
जालंधर नगर निगम की बिल्डिंग ब्रांच के अधिकारी इन दिनों भ्रष्टाचार के चरमोत्कर्ष पर हैं। सारे नियम-कानूनों को ताक पर रखकर मनमर्जी से जिम्मेदारियां बांटी जा रही हैं। भ्रष्टाचार के लिए इस पूरे खेल की पटकथा लिखी गई है। चूंकि भ्रष्टाचार में ड्राइंग ब्रांच के भी कुछ अधिकारी शामिल हैं इसलिए वे भी चुपचाप अपना हिस्सा लेकर चलते बनते हैं। नियमों और कानूनों की बात कोई नहीं करता। इसका जीता-जागता उदाहरण ड्राइंग ब्रांच के अधिकारियों के बीच बांटी गई जिम्मेदारियों के रूप में देखा जा सकता है। यहां ड्राइंग ब्रांच में हेड ड्राफ्ट्समैन के पांच पद स्वीकृत हैं। प्रत्येक ड्राफ्ट्समैन के अंडर में कम से कम एक ड्राफ्ट्समैन होना अनिवार्य है। फिलहाल यहां पांच में से सिर्फ तीन ही हेड ड्राफ्ट्समैन तैनात हैं। दो पदों पर किसी की भी तैनाती नहीं है। इसके अलावा एक ड्राफ्ट्समैन बीएंडआर डिपार्टमेंट में तैनात है। अब बात करते हैं ड्राफ्ट्समैन की। ड्राइंग ब्रांच में फिलहाल दो ही ड्राफ्ट्समैन तैनात हैं। नियमानुसार जो दो हेड ड्राफ्ट्समैन के पद खाली हैं उनका काम अन्य तीन ड्राफ्ट्समैन में बांटना चाहिए था और जो ड्राफ्ट्समैन तैनात हैं उन्हें दो हेडड्राफ्ट्स मैन के सहयोग के लिए लगाना चाहिए था लेकिन बिल्डिंग विभाग के अधिकारियों के दिमाग की दाद देनी होगी कि उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया बल्कि जो ड्राफ्ट्समैन अभी तीन माह पहले ही ड्राफ्ट्समैन के पद पर तैनात हुए हैं उन्हें हेड ड्राफ्ट्समैन का काम दे दिया। अब चूंकि काम तो लेना नहीं है और हर नक्शे पर पहले ही रेट फिक्स कर दिए हैं तो ये ड्राफ्ट्समैन भ्रष्टाचार में अच्छे सहयोगी साबित हो सकते हैं क्योंकि इनका अल्पज्ञान और अधिकारियों द्वारा हेड ड्राफ्ट्समैन का काम देकर किया गया एहसान इन्हें किसी भी प्रकार का प्रश्न चिह्न लगाने की इजाजत ही नहीं देता है। अब हेड ड्राफ्ट्समैन बिना ड्राफ्ट्समैन के ही हेड बने बैठे हैं तो ड्राफ्ट्समैन उनके समकक्ष बने बैठे हैं। ऐसे में जाली रजिस्ट्रियों पर अवैध कॉलोनियों की एनओसी बांटी जा रही है लेकिन कोई इन मामलों को पकड़ने वाला नहीं है।
निगम अधिकारियों की सूझबूझ यहीं खत्म नहीं होती। अब आपको बीएंडआर डिपार्टमेंट ले चलते हैं। बीएंडआर डिपार्टमेंट में एक हेडड्राफ्ट्स मैन और दो ड्राफ्ट्समैन तैनात हैं। फिलहाल शहर में कोई भी ऐसा बड़ा प्रोजेक्ट या फ्लाईओवर आदि का निर्माण कार्य नहीं चल रहा है जिसमें ड्राफ्ट्समैन की बहुत ज्यादा जरूरत हो। इसके बावजूद यहां दो-दो ड्राफ्ट्समैन तैनात कर दिए गए हैं। इनमें से एक ड्राफ्ट्समैन को ड्राइंग ब्रांच में तैनात किया जा सकता था लेकिन बिल्डिंग ब्रांच के अधिकारियों ने ऐसा इसलिए नहीं किया क्योंकि उनके भ्रष्टाचार का एक और राजदार या हिस्सेदार बढ़ जाता। अगर इनमें से कोई ईमानदार ड्राफ्ट्समैन निकल आता तो बिल्डिंग ब्रांच के भ्रष्टाचार की पोल भी खुल सकती थी। इसलिए ड्राइंग ब्रांच में चुन-चुन कर मनमाने तरीके से जिम्मेदारियां बांटी जा रही हैं। बिल्डिंग ब्रांच की इंचार्ज ज्वाइंट कमिश्नर गुरविंदर कौर रंधावा अधिकारियों के इस चक्रव्यूह को नहीं समझ पा रही हैं और बिल्डिंग ब्रांच के अधिकारी मनमाने तरीके से जिम्मेदारियां बांट रहे हैं। बहरहाल, मुख्यमंत्री भगवंत मान के अपने विभाग का बंटाधार इसी तरह होता रहेगा और जिस तरह संगरूर की कुर्सी तीन माह में ही उनके हाथ से निकली है उसी तरह आगामी निकाय चुनावों में भी उसे मुंह की खानी पड़ सकती है।
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