नीरज सिसौदिया, बरेली
मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ एक तरफ जहां भूमाफियाओं की संपत्ति पर बुलडोजर चलाकर वाहवाही लूटने में जुटी है, वहीं दूसरी ओर कुछ भूमाफिया ऐसे भी हैं जो अरबों रुपयों की सरकारी जमीनें डकारने में लगे हुए हैं लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही है। ऐसा ही एक मामला समाजवादी पार्टी के पूर्व जिला महासचिव महेश पांडेय ने उठाया है। महेश पांडेय के अनुसार बरेली में नकटिया रोड पर आठ हजार करोड़ रुपये की सरकारी जमीन पर अधिकारियों की मिलीभगत से इंटरनेशनल सिटी के नाम से अवैध कॉलोनी डेवलप कर दी गई। इस कॉलोनी में भाजपा नेताओं सहित अधिकारियों के भी बंगले तैयार कर लिये गए हैं।

चकबंदी अधीन ग्राम नरियावल, तहसील और जिला बरेली स्थित इंटरनेशनल सिटी कॉम्पिटेंट बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशकगण व राजस्व विभाग चकबंदी विभाग बरेली विकास प्राधिकरण मंडलायुक्त मुरादाबाद, तत्कालीन मंडलायुक्त बरेली और उत्तर प्रदेश शासन के कुछ भ्रष्ट अधिकारी तथा शासन द्वारा नियुक्त सरकार की ओर से माननीय उच्च न्यायालय में पैरवी कर रहे अधिवक्ताओं के गठबंधन से उत्तर प्रदेश सरकार में निहित हो चुकी आठ हजार करोड़ रुपये की भूमि को खुर्द बुर्द कर बंदरबांट करने के संबंध में शिकात की गई है।
इसमें कहा गया है कि उक्त ग्राम में सौ वर्षों से राजस्व अभिलेखों में अंकित चले आ रहे तालाबों का पटान उक्त भूमाफिया व अधिकारियों द्वारा राज्यसात आठ हजार करोड़ रुपये की भूमि की लूट व माननीय उच्चतम न्यायालय की व्यवस्था हिंच लाल तिवारी प्रति कमला देवी वर्ष 2001,20018 और 2020 में माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद व खंडपीठ लखनऊ की तालाबों के संरक्षण की व्यवस्था को तार-तार कर पर्यावरण को विषैला बनाने के विरुद्ध पूर्व में की गईं लगगभग दो हजार शिकायतें।
महेश पांडेय ने लिखा है कि उक्त संदर्भित 113 तालाबों को पाटकर इंटरनेशनल सिटी बसा दी गई है। उन्होंने कहा कि भूमि जमींदारी उन्मूलन अधिनियम की धारा 154 के अंतर्गत कृषि सीमारोपण की सीमा से यह भूमि अधिक है। इस आठ हजार करोड़ रुपये की भूमि को अधिकारियों की मिलीभगत से हड़पने की शिकायत उत्तर प्रदेश शासन, राजस्व परिषद लखनऊ उत्तर प्रदेश मंडलायुक्त बरेली मंडल, जिला अधिकारी बरेली व उपाध्यक्ष बरेली विकास प्राधिकरण तथा सतर्कता अधिष्ठान/भ्रष्टाचार निवारण संगठन से की गई तो कॉम्पिटेंट बिल्डर्स के निदेशक/स्वामियों/अंशधारकों क्रमश: विपिन अग्रवाल, राजेश गुप्ता, राजू खंडेलवाल, राम आसरे शर्मा, रजत शर्मा आदि ने आपस में गहन आपराधिक विचार विमर्श करके आपराधिक षडयंत्र रच, कूट व कपट का सहारा लेकर धोखाधड़ी से उत्तर प्रदेश सरकार की आठ हजार करोड़ रुपये की भूमि को हड़पने हेतु चकबंदी अधीन ग्राम नरियावल के राजस्व अधिकारियों के अधिकार शून्य व अपास्त थे। भूमि को धारा 154 यूपीजेडए एंड एलआर एक्ट से बचाने के लिए यूपीजेडए एंड एलआर एक्ट की धारा 143 के अंतर्गत गैर कृषक कराने का प्रयास किया गया। शिकायत होने के बावजूद तत्कालीन उपजिलाधिकारी सदर मनीष नाहर द्वारा उक्त भूमाफिया से रिश्वत में मोटी रकम लेकर अधिनियम के अनुसार शून्य अधिकारों का प्रयोग स्वेच्छाचारी वन भूमि को गैर कृषक घोषित कर दिया गया। पुन: शिकायत पर जब शासन ने जांच कराई तो खुद को कानून के शिकंजे से बचाने के लिए गैरकृषकीय भूमि घोषित करने का आदेश इस टिप्पणी के साथ वापस लिया गया कि धारा 143 का अकृषक घोषित करने का आदेश मेरे अधिकार क्षेत्र से बाहर था। तत्पश्चात बिल्डरों और भूमाफियाओं द्वारा धारा 143 के अवैध आदेश निरस्तीकरण के विरुद्ध मंडलायुक्त बरेली में आर्थिक अपराध के षडयंत्र के अंतर्गत पांच भागों में बांट दी गई। ताकि आठ हजार करोड़ रुपये की सरकार की भूमि को हड़पना सुनिश्चित कर सकें। तत्कालीन मंडलायुक्त पीवी जगमोहन ने भ्रष्टाचार के प्रभाव निरस्त करन के स्थान पर प्रति प्रेषित कर दिया। जब शिकायतकर्ता द्वारा उपजिलाधिकारी सदर न्यायालय में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 340 के अंतर्गत आरोपियों के विरुद्ध प्रार्थना पत्र देकर कार्रवाई करने का अनुरोध किया गया तो खुद को कानून के शिकंजे से बचाने के लिए बिल्डरों और भूमाफियाओं द्वारा राजस्व परिषद इलाहाबाद बेंच में स्थानांतरण प्रार्थना पत्र देकर मामले को स्थानांतरित कराने का प्रयास किया गया लेकिन जब महेश पांडेय ने इंटरवेंशन प्रार्थना पत्र दिया तो तथ्य सामने आने पर राजस्व परिषद द्वारा स्थानांतरण प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिया गया।
इतना ही नहीं निरस्तीकरण का तथ्य छुपाते हुए उक्त आरोपियों ने पुन: राजस्व परिषद की लखनऊ पीठ में तैनात सदस्य राम सिंहासन प्रेम से पहले ही सौदा करके पुन: स्थानांतरण प्रार्थना पत्र , पूर्व निरस्तीकरण छुपाकर असत्य शपथ पत्र के साथ प्रस्तुत किया। साथ ही अपने धन-बल से प्रकरण को लखनऊ उपजिलाधिकारी सदर को स्थानांतरित करा दिया। जहां धन प्रयोग से पुन: इस अवैध अकृषकीय आदेश को स्थापित कर दिया। जबकि उक्त सभी आरोपी इस तथ्य से भली भांति परिचित थे कि उक्त सभी अनियमितताओं को लेकर माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय में जनहित याचिका संख्या 1260/2020 महेश पांडेय बनाम स्टेट ऑफ व अन्य पांच के विरुद्ध योजित व प्रचलन में है।
महेश पांडेय ने बताया कि प्रश्न गत भूमि के संबंध में आरोपियों द्वारा आपराधिक षडयंत्र, कूट रचना, कूट व कपट, धोखाधड़ी तथा माननीय सर्वोच्च न्यायालय की विधि व्यवस्था हिंच लाल तिवारी प्रति कमला देवी वर्ष 2001 व उसके आलोक में उच्च न्यायालय इलाहाबाद व उसकी खंड पीठ लखनऊ द्वारा वर्ष 2018 व वर्ष 2020 में तालाबों के संरक्षण हेतु दी गई विधि व्यवस्था को दरकिनार कर दिया गया। बिल्डर या भूमाफिया और इनके सहयोगी अधिकारी व न्यायालयों में पैरवी कर रहे सरकारी अधिवक्ता आठ हजार करोड़ रुपये की सरकारी भूमि को लूटने में शामिल हैं।
इस मामले में की गई शिकायतों पर शासन के निर्देश पर राजस्व परिषद के अध्यक्ष द्वारा बरेली मंडलायुक्त की अध्यक्षता में एक चार सदस्यीय जांच कमेटी बनाई गई थी। जिसमें उक्त मामले में बीडीए के उपाध्यक्ष, नगर नियोजक, मुख्य अभियंता, सचिव व उपसचिव के साथ-साथ उपजिलाधिकारी सदर रहे मनीष नाहर व अन्य के विरुद्ध कार्रवाई की संस्तुति शासन को भेजी जा चुकी है।
महेश पांडेय ने बताया कि मंडलायुक्त की अध्यक्षता वाली जांच समिति की संस्तुति पर शासन द्वारा मामले की जांच सतर्कता अधिष्ठान से कराई गई जसिमें जांच प्रचलन में थी लेकिन अपने अधिकारियों को कानूनी शिकंजे से बचाने के लिए आवास विभाग उत्तर प्रदेश शासन द्वारा पुन: जांच के लिए मुरादाबाद के मंडलायुक्त को भेजा जाना इस बात का सबूत है कि शासन के कुछ अधिकारी आरोपियों को संरक्षण प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने मुरादाबाद मंडलायुक्त पर भी मामले को वर्षों से दबाए रखकर इस लूट और अवैध कार्य का परोक्ष रूप से हिस्सा बनने का आरोप लगाया। उन्होंने आरोप लगाया कि मुरादाबाद मंडलायुक्त के इस रवैये के चलते आरोपी आश्वस्त हैं कि जांच मुरादाबाद मंडलायुक्त भी उनके पक्ष में जांच रिपोर्ट देने जा रहे हैं। महेश पांडेय ने अपील की है कि मंडलायुक्त तथ्यों पर अपनी आख्या प्रस्तुत करें न कि सरकारी आठ हजार करोड़ रुपये की लूट के पक्ष में।
महेश पांडेय का कहना है कि बरेली विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष ने भी उच्च न्यायालय में दायर जनहित याचिका में बिल्डर या भूमाफिया के पक्ष में तथ्यों के विपरीत शपथ पत्र दिया है। जो दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 340 के अंतर्गत दंडनीय अपराध है। साथ ही बरेली विकास प्राधिकरण के अधिकारियों द्वारा प्राविआ 1988 की धारा 120 बी, 166, 166 ए, 167, 201, 212, 213, 219, 419, 420, 467, 468, 471 तथा उत्तर प्रदेश सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली 1956 में दिए गए प्रावधानो के तहत दंडनीय अपराध है।
उन्होंने बताया कि उक्त जांच समिति से प्राधिकरण के अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की संस्तुति पर बरेली विकास प्राधिकरण द्वारा इंटरनेशनल सिटी का तलपट मानचित्र सस्पेंड कर दिया गया है। किन्तु स्थल पर विकास निर्माण व विक्रय कार्य अनवरत जारी है। पूरे नगर में अवैध निर्माण की तोड़फोड़ करने वाले बीडीए उपाध्यक्ष इंटरनेशनल सिटी के भू माफियाओं को संरक्षण देकर शून्य तलपट मानचित्र पर भी निर्माण की खुली छूट दे रहे हैं। इनकी ध्वस्तीकरण की कार्रवाई इंटरनेशनल सिटी पर नहीं हो रही है।