नीरज सिसौदिया, बरेली
स्थानीय निकाय चुनावों की तैयारी अब तेज हो चुकी है। समाजवादी पार्टी के साथ ही अब भारतीय जनता पार्टी में भी मेयर पद के दावेदार सामने आने लगे हैं। भाजपा में वैसे तो मेयर के दावेदारों की कतार बहुत लंबी है लेकिन एक नाम जो इन दिनों सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोर रहा है वह है शशिबाला राठी का।

शशिबाला राठी के पोस्टर इन दिनों शहर में विभिन्न जगहों पर आसानी से देखे जा सकते हैं। शशिबाला राठी बरेली के प्रतिष्ठित परिवार से हैं। वह जाने-माने गंगाशील ग्रुप के चेयरमैन डॉ. एनके गुप्ता की पत्नी एवं ग्रुप की को-चेयरपर्सन हैं। पिछले नगर निगम चुनाव में उनके दामाद डॉ. प्रमेंद्र माहेश्वरी मेयर पद की दौड़ में भाजपा के टिकट के दावेदारों में सबसे आगे चल रहे थे लेकिन ऐन वक्त पर डॉ. उमेश गौतम ने धमाकेदार एंट्री मारी और मेयर की कुर्सी भी ले उड़े। इस बार दामाद की जगह सास ने ले ली है। शशिबाला राठी एक सुलझे हुए व्यक्तित्व की महिला हैं। पिछले चुनाव में जो परिस्थितियां थीं वह अब नहीं रहीं। भाजपा के क्षेत्रीय संगठन मंत्री भवानी सिंह अब नहीं रहे। प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल अब राष्ट्रीय राजनीति में जुट गए हैं। उनकी जगह झारखंड से आए संगठन मंत्री ने ले ली है। उमेश गौतम सिटिंग मेयर हैं। सिटिंग मेयर होने के नाते कुछ लोग उनसे खुश हैं तो कुछ में उनके प्रति नाराजगी भी है। हालांकि शहर को विकास की जो तस्वीर उमेश गौतम ने दिखाई वह पूर्ववर्ती मेयर नहीं दिखा सके लेकिन कई विवादों से भी उनका नाता रहा है। उनके कुछ करीबियों ने ही उन्हें विवादों में लाकर खड़ा कर दिया है। जिसे उनके विरोधी उनके खिलाफ इस्तेमाल कर सकते हैं। ऐसे में शशिबाला राठी के नाम पर विचार करने की संभावनाएं जरूर बनती हैं। बहरहाल, मेयर का टिकट कटने की फिलहाल कोई संभावना नजर नहीं आती है। अगर मेयर की सीट सामान्य की जगह महिला आरक्षित या किसी जाति विशेष के लिए आरक्षित हो जाती है तो जरूर मेयर उमेश गौतम का पत्ता साफ हो सकता है। हालांकि, शशिबाला राठी की एंट्री इस बात केे संकेत दे रही है कि इस बार यह सीट महिला आरक्षित हो सकती है।