नीरज सिसौदिया, बरेली
इंटरनेशनल सिटी के मामले पर माननीय हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की टिप्पणी और बीडीए व प्रशासन की स्वीकार्यता के बाद भ्रष्टाचार की परतें और खुलती जा रही हैं। बरेली में दर्जनों ऐसी अवैध कॉलोनियां हैं जो बरेली विकास प्राधिकरण के भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से गुलजार हो चुकी हैं और कई गुलजार हो रही हैं। इन अवैध कॉलोनियों का अनुमान इस बात से भी लगाया जा सकता है कि अकेले नगर निगम ने इन अवैध कॉलोनियों में पांच सौ करोड़ रुपये की सड़कें बनवाईं हैं। जबकि नियमानुसार जो कॉलोनियां नगर निगम को हैंडओवर ही नहीं हुईं उनमें निगम सड़कें बनवा ही नहीं सकता। इसके बावजूद चहेते ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए भ्रष्टाचार का यह पूरा खेल खेला गया। इसमें बीडीए के साथ ही नगर निगम के भ्रष्ट अधिकारी भी संलिप्त हैं। मुंशी नगर और बन्नूवाल कॉलोनी का मामला जगजाहिर है लेकिन जब तक इन मामलों में माननीय हाईकोर्ट जैसी न्यायिक संस्थाएं संज्ञान नहीं लेंगी तब तक भ्रष्ट अधिकारी सिर्फ अपनी जेबें गर्म करते रहेंगे। बदायूं रोड, पीलीभीत बाईपास, बड़ा बाईपास और कर्मचारी नगर के आगे दिल्ली रोड का इलाका भी अधिकारियों के भ्रष्टाचार की गवाही दे रहा है। कानून कहता है कि नेशनल हाईवे की ग्रीन बेल्ट सौ मीटर के दायरे में होनी चाहिए जिस पर कोई भी निर्माण नहीं किया जा सकता लेकिन इस ग्रीन बेल्ट को हाईवे किनारे बने रिसॉर्ट और ढाबे निगलते जा रहे हैं और बीडीए एवं प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी अपनी जेबें भरकर चलते बनते हैं। इसका जहां नियमों की धज्जियां उड़ रही हैं, वहीं भूमाफिया का हौसला भी बढ़ता जा रहा है। यह सिलसिला तब तक जारी रहेगा जब तक अपनी जेबें गर्म करने वाले अधिकारियों को सलाखों के पीछे नहीं भेजा जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सबसे पहले बीडीए और नगर निगम के ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों पर अंकुश लगाना चाहिए। तभी बाबा का बुलडोजर सही मायनों में अपने उद्देश्य को पूरा कर पाएगा वरना अवैध कॉलोनियां यूं ही कुकरमुत्तों की तरह पनपती जाएंगी , भूमाफिया अधिकारियों की जेबें गर्म करते जाएंगे और यह काला खेल सरकार की छवि को धूमिल करता जाएगा।
खुद बीडीए का आंकड़ा बताता है कि शहर में लगभग चार सौ इमारतें अवैध हैं। हालांकि, हकीकत में यह आंकड़ा इससे कई गुना अधिक है। कई इमारतें तो बीडीए के अधिकारियों के भ्रष्टाचार की बदौलत पनपीं और अवैध सूची में आज तक शामिल नहीं की गईं। ऐसा लगता है कि जैसे इन अधिकारियों को अवैध निर्माण रोकने की जगह उसे बनवाने के लिए सैलरी दी जाती है। साथ ही रिश्वत के रूप में ये अधिकारी इनसेंटिव लेते हैं। बहरहाल, अगर बरेली विकास प्राधिकरण में तैनात रहे अधिकारियों की संपत्ति की जांच सीबीआई या ईडी जैसी एजेंसियों से कराई जाए तो झारखंड की भ्रष्ट आईएएस अफसर पूजा सिंघल जैसे जाने कितने अधिकारी अकेले बरेली विकास प्राधिकरण में ही निकलेंगे।
ये कॉलोनियां हैं अवैध
आनंद विहार, सनराइज इंक्लेव, पवन विहार, खुशबू इंक्लेव, फाइक इंक्लेव, पंचशील कॉलोनी, पशुपति विहार, आशोक नगर, आशुतोष सिटी, अवध विहार, बालाजीपुरम, वीआईपी इंक्लेव, डिफेंस कॉलोनी, आलोक नगर, शिव शक्ति स्टेट, बालाजी विहार