नीरज सिसौदिया, बरेली
लगभग सौ साल से भी अधिक वर्षों से हर साल निकाली जा रही भगवान वाल्मीकि शोभायात्रा इस वर्ष राजनीति का अखाड़ा बन गई है। सारी खींचतान मुख्य अतिथि को लेकर शुरू हुई जो अब प्रतिष्ठा का सवाल बन गई है। एक गुट कैंट विधायक संजीव अग्रवाल को मुख्य अतिथि बनाने का ऐलान कर चुका है तो दूसरा गुट भाजपा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष और पूर्व वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल को मुख्य अतिथि बनाने पर अड़ा है। दोनों गुट प्रशासन की ओर से परमिशन दिए जाने का दावा कर रहे हैं। फिलहाल यह तय नहीं हुआ है कि मुख्य अतिथि कौन होगा। शहर में एक शोभायात्रा निकाली जाएगी अथवा दो निकालीहसभा सीट से अपने बेटे मनीष अग्रवाल को पार्टी का टिकट दिलाना चाहते थे लेकिन बाजी संजीव अग्रवाल के हाथ लग गई और वह विधायक भी बन गए। इसके बाद संजीव अग्रवाल के समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई। कुछ समय तक यह लग रहा था कि मामला अब शांत हो चुका है लेकिन ऐसा नहीं था। दोनों के बीच शीतयुद्ध जारी है। खास तौर पर दोनों के समर्थकों के बीच। भगवान वाल्मीकि शोभा यात्रा इसी का एक नमूना है।
बता दें कि सिटी सब्जी मंडी से लगभग एक सदी से भी ज्यादा वक्त से शोभायात्रा बड़े ही धूमधाम से निकाली जाती है। इसमें सिर्फ बरेली महानगर के ही नहीं जिलेभर के वाल्मीकि समाज के लोग शामिल होते हैं। पिछले कई वर्षों से इस शोभायात्रा का शुभारंभ पूर्व मंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष राजेश अग्रवाल बतौर मुख्य अतिथि करते आ रहे हैंं।

मंदिर प्रबंध समिति के प्रधान भी राजेश अग्रवाल के करीबी माने जा रहे उमेश कठेरिया हैं। वहीं, वाल्मीकि नेता सुमित कठेरिया ने बताया कि विगत 18 अगस्त को भगवान वाल्मीकि मंदिर में सार्वजनिक तौर पर एक बैठक का आयोजन किया गया था जिसमें मंदिर प्रबंधन समिति के अध्यक्ष उमेश कठेरिया की मौजूदगी में समाज के लोगों ने इस बार उन्हें शोभायात्रा समिति का अध्यक्ष बनाया। सुमित ने बताया कि उन्होंने ही सबसे पहले शोभायात्रा के लिए आवेदन किया था और प्रशासन ने उन्हें शोभायात्रा निकालने के अनुमति भी दे दी थी। यह सभी लोगों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया है कि इस बार भी शोभायात्रा के मुख्य अतिथि पिछले वर्षों की तरह पूर्व मंत्री राजेश अग्रवाल ही होंगे। शोभायात्रा आगामी नौ अक्टूबर को सिटी सब्जी मंडी स्थित मंदिर से निकाली जाएगी। उन्होंने कहा कि शोभायात्रा एक ही निकलेगी। सुमित की मानें तो विवाद को देखते हुए मंदिर कमेटी के अध्यक्ष उमेश कठेरिया ने दूसरे गुट के सुरेंद्र चौधरी को बातचीत के लिए बुलाया था। उनसे कहा गया है कि वह पिछली बार की तरह ही स्वागत अध्यक्ष का जिम्मा संभालें और अध्यक्ष की जिम्मेदारी सुमित कठेरिया संभालेंगे। सुमित ने कहा कि सुरेंद्र चौधरी ने अपने घर पर चार लोगों को बुलाकर बैठक की और स्वयं भू अध्यक्ष बन बैठे हैं। उन्होंने कहा कि शोभायात्रा को लेकर कोई विवाद की स्थिति उत्पन्न न हो इसलिए सिटी मजिस्ट्रेट ने फिलहाल दोनों पक्षों को दी गई शोभायात्रा की परमिशन पर रोक लगा दी है। शोभायात्रा धूमधाम से निकाली जाएगी। परमिशन को लेकर एक-दो दिन में निर्णय ले लिया जाएगा।
वहीं, दूसरे पक्ष के सुरेंद्र चौधरी ने पहले ही यह ऐलान कर दिया है कि शोभायात्रा के मुख्य अतिथि कैंट विधायक संजीव अग्रवाल ही होंगे। चौधरी ने कहा कि समाज के लोगों ने सुमित कठेरिया से पहले उन्हें अध्यक्ष चुना है। प्रशासन ने भी उन्हें ही शोभायात्रा निकालने की परमिशन दी है। उन्होंने कहा कि शोभायात्रा के मुख्य अतिथि कैंट विधायक संजीव अग्रवाल ही होंगे न कि राजेश अग्रवाल। संजीव अग्रवाल के नेतृत्व में ही भगवान वाल्मीकि की भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी।
क्या इस बार बदलेगी वर्षों पुरानी परंपरा
भगवान वाल्मीकि की शोभायात्रा को जिस तरह से राजनीति का अखाड़ा और प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया गया है उससे ऐसा लगता है कि इस बार वर्षों पुरानी परंपरा को बदला भी जा सकता है। अब तक पूरे शहर में एक ही शोभायात्रा निकाली जाती थी लेकिन जिस तरह से इस बार दो भाजपाई दिग्गजों के समर्थकों के बीच शीतयुद्ध चल रहा है उससे किसी भी एक गुट के नाराज होने की सूरत में बड़े टकराव की संभावना जताई जा रही है। समाज के कुछ लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अगर सर्वसम्मति नहीं बनी तो शोभायात्रा के दिन कोई बड़ी अनहोनी भी हो सकती है। दोनों पक्षों में टकराव भी हो सकता है। हालांकि, समाज के कुछ लोग यह भी सुझाव देते हैं कि प्रशासन को दोनों पक्षों को अलग-अलग समय पर शोभायात्रा निकालने की अनुमति दे दी जानी चाहिए ताकि कोई विवाद की स्थिति उत्पन्न न हो। अगर ऐसा होता है तो इतिहास में ऐसा पहली बार होगा जब भगवान वाल्मीकि के नाम पर दो शोभायात्राएं निकाली जाएंगी। आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ कि दो शोभायात्राएं निकाली गई हों।
भगवान को तो बख्श देते सियासत के ठेकेदार
इतिहास में पहली बार भगवान वाल्मीकि के नाम पर बरेली में इस तरह का मजाक देखने को मिला है। समाज से ताल्लुक रखने वाले कुछ बुद्धिजीवियों का कहना है कि सत्ता हासिल करने के लिए तो भाजपा नेताओं ने धर्म को हथियार बना लिया लेकिन सत्ता में आने के बाद तो कम से कम भगवान वाल्मीकि के आदर्शों का मान रख लेते। भगवान को तो इस गंदी सियासत से दूर रखते। जिस तरह से शोभायात्रा के मुख्य अतिथि को लेकर खींचतान मची हुई है उससे तो यही लगता है कि यह शोभायात्रा भगवान वाल्मीकि के सम्मान में नहीं बल्कि अपने-अपने राजनीतिक आकाओं के लिए निकाली जा रही है। उनका कहना है कि दोनों ही नेता भारतीय जनता पार्टी के हैं। जो बुजुर्ग हैं पहला हक तो उन्हीं का बनता है। बहरहाल, वर्चस्व की इस लड़ाई में संजीव अग्रवाल भारी पड़ते हैं या राजेश अग्रवाल यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। फिलहाल, यह शोभायात्रा इस बात का भी निर्णय करेगी कि बरेली में वाल्मीकि समाज का सबसे बड़ा नेता वर्तमान में कौन है, कठेरिया या चौधरी।