नीरज सिसौदिया, जालंधर
नगर निगम के नए कमिश्नर दविंदर सिंह ने लोकपाल के आदेशों को भी ठेंगा दिखा दिया है। वाल्मीकि गेट पर स्थित रिम्पी इलेक्ट्रॉनिक की अवैध बिल्डिंग पर वह मेहरबान नजर आ रहे हैं। यही वजह है कि अब तक उक्त अवैध बिल्डिंग को सील नहीं किया गया है। कमिश्नर के चक्कर में बिल्डिंग इंस्पेक्टर से लेकर एमटीपी तक के अधिकारियों की जान आफत में पड़ गई है। एक तरफ लोकपाल के एडीजीपी की ओर से अवैध बिल्डिंग पर कार्रवाई न करने पर कर्मचारियों पर कार्रवाई की चेतावनी दी जा रही है तो दूसरी तरफ कमिश्नर कार्रवाई में टालमटोल करने में लगे हुए हैं। इसके चलते शिकायतकर्ता और आरटीआई एक्टिविस्ट रविंदरपाल सिंह चड्डा ने नाराजगी जताई है।
बता दें कि वाल्मीकि गेट पर बनी रिम्पी इलेक्ट्रॉनिक की दोनों मंजिलें अवैध हैं। सौ फीसदी एरिया कवर किया गया जो नियमानुसार नहीं किया जा सकता। आरटीआई एक्टिविस्ट रविंदर पाल सिंह चड्ढा के मुताबिक कोर एरिया में भी 125 स्क्वायर गज से ज्यादा एरिया होने पर 65% ही कवर एरिया हो सकता है जबकि उसने सौ फीसदी किया हुआ है। चड्ढा के मुताबिक जो पहले कॉम्प्रोमाइज हुआ था वह 125 गज से कम का प्लॉट एरिया का हुआ है। अब जबकि मौके पर 125 स्क्वायर गज से अधिक का प्लॉट एरिया हो चुका है तो पुराना कॉम्प्रोमाइज भी मान्य नहीं होगा।
इसके अलावा भी बिल्डिंग के निर्माण में बायलॉज का खुला उल्लंघन किया गया है। आरटीआई एक्टिविस्ट रविंदरपाल सिंह चड्ढा ने इसकी शिकायत लोकपाल से की थी। इसे लेकर पिछले सप्ताह के अंत में एडीजीपी लोकपाल विभूराज की ओर से एरिया इंस्पेक्टर, एटीपी, एमटीपी आदि अधिकारियों को तलब किया गया था। वहां फाइल का रिकॉर्ड देने और काफी मान मनौव्वल के बाद ये अधिकारी छूट गए थे। एडीजीपी ने मामले में तत्काल कार्रवाई करते हुए रिपोर्ट देने को कहा था। लेकिन वहां से छूटने के बाद भी अब तक कार्रवाई नहीं की गई। सूत्र बताते हैं कि इन अधिकारियों पर निगम कमिश्नर ने दबाव बनाते हुए दोबारा से मेजरमेंट करके वीडियोग्राफी और तस्वीरों के साथ रिपोर्ट मांगी है। अब सवाल यह उठता है कि जब बिल्डिंग इंस्पेक्टर से लेकर ज्वाइंट कमिश्नर और खोखर तक रिपोर्ट दे चुके हैं तो फिर दोबारा रिपोर्ट का ड्रामा क्यों रचा जा रहा है। जबकि लोकपाल के समक्ष पेश हुए अधिकारियों को एडीजीपी की ओर से सख्त हिदायत दे दी गई है कि नगर निगम की ओर से कागजों में जो पहली मंजिल सील दिखाई गई है , जिसका सीलिंग का रिकॉर्ड लोकपाल कार्यालय में दिया गया है। उसकी मौजूदा स्थिति देखकर उसकी फोटो और वीडियो बनाकर लोकपाल के एडीजीपी दफ्तर में रिपोर्ट करें। उनसे लिखित में लिया गया कि मौके पर सील नहीं है तो सील करके सूचित करें। उन्हें तत्काल रिपोर्ट करने को कहा गया था लेकिन राजनीतिक दबाव में उन्होंने रिपोर्ट नहीं भेजी। अब एडीजीपी दफ्तर से पिछले दो-तीन दिन से उन्हें फोन किए जा रहे हैं लेकिन कार्रवाई कमिश्नर के चक्कर में लटक गई है। एडीजीपी की ओर से रिपोर्ट न देने पर कार्रवाई की बात कही जा रही है। अब उनके हाथ पैर फूल गए हैं। उनके एक तरफ कुंआ है तो दूसरी तरफ खाई। कार्रवाई नहीं करते हैं तो लोकपाल की ओर से उन्हीं के खिलाफ कार्रवाई हो जाएगी और वे सलाखों के पीछे भेज दिए जाएंगे। वहीं, अगर कार्रवाई करते हैं तो कमिश्नर ने पहले ही हाथ बांध दिए हैं। बिल्डिंग की बात करें तो इसमें कई अनियमितताएं हैं। मौके पर सीढ़ियां ग्राउंड फ्लोर पर मौजूद हैं। जबकि दिखावे के लिए पीछे की ओर के रास्ते को सील कर दिया गया है। जबकि ऊपर की ओर जाने का जो रास्ता है वह ग्राउंड फ्लोर से ही होकर जाता है और उस पर कोई रोक नहीं है। जब यह जानकारी सभी अधिकारियों को मिली तो उन्हें जेल की सलाखें नजर आने लगीं। ड्राफ्टमैन, एटीपी, एमटीपी ज्वाइंट कमिश्नर और असिस्टेट कमिश्नर खोखर की रिपोर्ट पर भी कमिश्नर को भरोसा नहीं हैं। जब ग्राउंड फ्लोर को सील ही नहीं किया गया तो फिर इसे सील करने की रिपोर्ट लोकपाल में कैसे जमा कर दी गई। इसका मतलब है कि एक सोची समझी साजिश के तहत लोकपाल को गुमराह किया गया है। ग्राउंड फ्लोर सौ फीसदी कवर है और बिल्डिंग बायलॉज के उलट बनी है। कमिश्नर को लोकपाल की भी परवाह नहीं है। उसने स्टाफ को डिस्कस करने के लिए कह दिया है। बता दें कि यह वही दविंदर सिंह हैं जो उस वक्त फिरोजपुर में डीसी के पद पर तैनात थे जब वहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में भारी चूक हुई थी और उनका काफिला रोक दिया गया था। अब डिमोशन मिला तो यह अवैध बिल्डिंगों को बचाने में जुट गए हैं। बहरहाल, इस संबंध में जब उनसे बात करने का प्रयास किया गया तो उनसे संपर्क नहीं हो पाया। वह चाहें तो मोबाइल नंबर 7528022529 पर फोन कर अपना पक्ष दे सकते हैं। हम उसे भी प्रमुखता से प्रकाशित करेंगे।