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गोला गोकर्णनाथ उपचुनाव : लखनऊ से बरेली के किसी भी पूर्व सपा विधायक को नहीं किया गया फोन, फिर किसने और क्याें रची प्रचार के लिए फोन आने की फर्जी कहानी? पढ़ें क्या है सच?

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नीरज सिसौदिया, बरेली
बरेली जिला समाजवादी पार्टी में इन दिनों फर्जी कहानी गढ़कर कोरी पब्लिसिटी हासिल करने का मामला सुर्खियां बटोर रहा है। इसमें जिले की दो विधानसभा सीटों से विधायक रह चुके दो पूर्व विधायकों के नाम सुर्खियों में हैं। ये दोनों ही नेता बसपा के टिकट पर विधायक बने थे लेकिन बाद में उन्होंने समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया था। ये दोनों ही पूर्व विधायक बहे़ड़ी के मौजूदा विधायक व पूर्व मंत्री अता उर रहमान के धुर विरोधी बताए जाते हैं। सपा ने इस बार दोनों ही नेताओं को विधानसभा चुनाव का टिकट दिया था लेकिन दोनों ही अपनी -अपनी सीटें हार गए। ऐसे में पार्टी में इनका वजूद लगभग अंतिम कगार पर पहुंच गया। वहीं, इनके विरोधी सपा नेता अता उर रहमान विधायक बन गए। बात यहीं पर खत्म नहीं हुई। जैसे ही गोला गोकर्णनाथ उपचुनाव की घोषणा हुई तो बहेड़ी विधायक अता उर रहमान अपने करीबी वरिष्ठ सपा नेता इंजीनियर अनीस अहमद खां के साथ गोला में सक्रिय हो गए। नेता जी मुलायम सिंह यादव के अंतिम संस्कार में शामिल होने के साथ ही गोला में पार्टी प्रत्याशी के समर्थन में अता उर रहमान और इंजीनियर अनीस अहमद खां अपने समर्थकों के साथ बैठकें करते दिखाई दिए। वहीं, जब उपचुनाव को लेकर स्टार प्रचारकों की सूची जारी की गई तो उसमें बरेली जिले से एकमात्र विधायक अता उर रहमान और पूर्व जिला अध्यक्ष अगम मौर्य का ही नाम शामिल किया गया। इसके अलावा एक नाम इंजीनियर अनीस अहमद का भी सूची में दिया गया है। दोनों पूर्व विधायकों में से किसी का भी नाम शामिल नहीं किया गया। ऐसे में इन दोनों पूर्व विधायकों के होश उड़ गए।

प्रभारियों की सूची

चूंकि बरेली जिले के कद्दावर नेता के रूप में अब अता उर रहमान के सामने दोनों पूर्व विधायक कहीं ठहरते नजर नहीं आए। जिले में हर तरफ बस अता उर रहमान और इंजीनियर अनीस अहमद खां की सक्रियता की ही चर्चा हो रही थी। ऐसे में अपनी सियासी जमीन खिसकती देख दोनों पूर्व विधायकों की ओर से फर्जी कहानी गढ़ने की योजना बनाई गई। यह योजना इसलिए जरूरी हो गई थी क्योंकि दिसंबर माह ने स्थानीय निकाय चुनाव होने हैं। दोनों पूर्व विधायकों के बारे में सपा नेताओं को यह भली भांति पता चल चुका था कि दोनों नेताओं का संगठन में अब कोई वजूद नहीं रह गया है। ऐसे में छुटभैये पार्टी नेताओं को निकाय चुनाव में टिकट का झांसा देकर उनसे पैसे ऐंठने का इन दोनों पूर्व विधायकों का सपना कैसे पूरा होगा? सपा के टिकट के दावेदारों को यह अहसास कराना जरूरी था कि लखनऊ में अब भी दोनों पूर्व विधायकों को उतनी ही वैल्यू दी जाती है जितनी पहले दी जाती थी। बस इसी के तहत लखनऊ से फोन आने की फर्जी कहानी रची गई। यह प्रचारित करवाया गया कि दोनों पूर्व विधायकों को लखनऊ से फोन करके गोला उपचुनाव में पार्टी के हक में प्रचार करने को कहा गया है। वहीं, जब पार्टी मुख्यालय के सूत्रों से जानकारी ली गई तो पता चला कि बरेली से एकमात्र सपा नेता पूर्व मंत्री व मौजूदा बहेड़ी विधायक अता उर रहमान को ही स्टार प्रचारक के तौर पर उपचुनाव में प्रचार प्रसार की जिम्मेदारी आधिकारिक तौर पर सौंपी गई है। इसके अतिरिक्त प्रदेश अध्यक्ष या राष्ट्रीय अध्यक्ष की ओर से बरेली के किसी भी पूर्व विधायक को इस तरह का कोई निर्देश नहीं दिया गया है।
बहरहाल, फर्जी कहानी प्रचारित करके ये दोनों पूर्व विधायक अपने बनाए जाल में खुद ही फंस गए। अब चौतरफा इनकी फजीहत हो रही है। हालांकि, पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि पार्टी प्रत्याशी के समर्थन में प्रचार करना हर कार्यकर्ता का कर्तव्य है। इसके लिए किसी को भी पार्टी मुख्यालय से फोन आने या जिम्मेदारी दिए जाने का इंतजार नहीं करना चाहिए।
बहरहाल, अता उर रहमान के बढ़ते कद से दोनों पूर्व विधायकों की नींद हराम हो चुकी है। उन्हें अपना सियासी भविष्य खतरे में नजर आने लगा है। यही वजह है कि फर्जी कहानियां गढ़ कर वे अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारने में लगे हुए हैं।

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