नीरज सिसौदिया, बरेली
बरेली नगर निगम के 80 वार्डों में से पिछले पांच वर्षों में सबसे ज्यादा विकास कार्य वार्ड 23 इंदिरा नगर राजेंद्र नगर में हुए। इस वार्ड से भारतीय जनता पार्टी के सतीश चंद्र सक्सेना कातिब उर्फ मम्मा पार्षद हैं। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि नगर निगम, जल निगम और बरेली विकास प्राधिकरण के मद से लगभग तीस करोड़ रुपये के विकास कार्य सतीश कातिब मम्मा के वार्ड में हुए हैं। इनमें नई पानी की टंकी से लेकर स्मार्ट सड़क तक के काम शामिल हैं। वहीं, कुछ वार्ड ऐसे भी हैं जो पिछले पांच वर्षों में एक करोड़ का आंकड़ा भी नहीं छू सके हैं। इनमें पुराना शहर के कुछ वार्ड भी शामिल हैं।
दरअसल, सतीश चंद्र सक्सेना कातिब उर्फ मम्मा नगर निगम के पार्षद होने के साथ ही बरेली विकास प्राधिकरण के सदस्य भी हैं। यही वजह है कि उन्होंने अपने वार्ड को बरेली विकास प्राधिकरण से भी करोड़ों के विकास कार्यों की सौगात दिलाई। यही वजह रही कि इतने बड़े पैमाने पर विकास कार्य उपसभापति अपने वार्डों में नहीं करा सके जितने सतीश चंद्र सक्सेना कातिब उर्फ मम्मा ने अपने वार्ड में करवा दिए।
सतीश कातिब की सबसे बड़ी उपलब्धि अगर राजेंद्र नगर की नई पानी की टंकी को कहा जाए तो गलत नहीं होगा। इस पानी की टंकी की लागत दो करोड़ 94 लाख 16 हजार रुपये है। इस टंकी का शिलान्यास मेयर डॉ. उमेश गौतम ने किया था। अब पानी की टंकी का 95 फीसदी काम पूरा हो चुका है। एक माह के भीतर इस पानी की टंकी से पेयजल आपूर्ति भी चालू हो जाएगी। जब तब लोग इस पानी की टंकी से पानी पियेंगे तब-तब सतीश कातिब मम्मा का नाम बड़ी शिद्दत के साथ लिया जाएगा।
इसी तरह बरेली विकास प्राधिकरण से तीन करोड़ का काम सतीश कातिब मम्मा ने झूलेलाल द्वार से स्वयंवर बारात घर तक की सड़क का करवाया। इसके अलावा स्वयंवर बारात घर से शील चौराहा जिसे अब छत्रपति शिवाजी चौके के नाम से जाना जाता है, होते हुए राम जानकी मंदिर तक का काम सतीश चंद्र सक्सेना कातिब उर्फ मम्मा ने करवाया। इसकी लागत सात करोड़ 59 लाख रुपये है। ये तीन प्रमुख कार्य इतिहास के पन्नों पर सतीश चंद्र सक्सेना कातिब उर्फ मम्मा के नाम से सदा के लिए दर्ज हो गए हैं। इन तीनों कार्यों की कुल लागत 13 करोड़ रुपये से भी अधिक है। इसके अलावा करोड़ों रुपये के छोटे प्रोजेक्ट भी सतीश कातिब मम्मा के खाते में दर्ज हो चुके हैं। पिछले पांच साल में मम्मा की इस उपलब्धि को देखकर ही विरोधी दलों को यहां मजबूत उम्मीदवार नहीं मिल पा रहा है।
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