नीरज सिसौदिया, बरेली
नाथ नगरी के मेयर का पद एक बार फिर सामान्य होने के बाद कांग्रेस में जिस नाम की सबसे अधिक चर्चा हो रही है वह है डॉ केबी त्रिपाठी। केबी त्रिपाठी वह चेहरा हैं जिन्हें कांग्रेस में आए हुए महज डेढ़ साल का ही वक्त हुआ है लेकिन इस दौरान वह हमेशा पुराने कांग्रेसी दिग्गजों पर भी भारी नजर आए हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि वह कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के पीए संदीप सिंह के बेहद करीबी हैं। सूत्र बताते हैं कि संदीप सिंह और केबी त्रिपाठी एक जमाने में रूम मेट हुआ करते थे। यही वजह है कि सारे पुराने कांग्रेसी दिग्गजों को दरकिनार कर केबी त्रिपाठी को पार्टी में शामिल होते ही प्रदेश प्रवक्ता जैसे अहम पद पर सुशोभित कर दिया गया। सूत्र बताते हैं कि अब एक बार फिर से मेयर के टिकट के लिए केबी त्रिपाठी संदीप सिंह की शरण में हैं। ऐसे में यह तय माना जा रहा है कि बरेली के मेयर की कुर्सी का टिकट केबी त्रिपाठी के खाते में ही जाएगा और पुराने कांग्रेसी हाथ मलते रह जाएंगे। बता दें कि कांग्रेस से मेयर पद के लिए महेश पंडित, स्वप्निल शर्मा, नाहिद सुल्ताना और पूर्व डिप्टी मेयर डॉ मोहम्मद खालिद सहित कई लोगों ने टिकट के लिए आवेदन किया है लेकिन केबी त्रिपाठी का प्रियंका कनेक्शन इनकी उम्मीदों पर पानी फेरता नजर आ रहा है।
हालांकि, जमीनी रिपोर्ट बताती है कि पार्टी के लिए केबी त्रिपाठी कहीं से भी फायदेमंद साबित नहीं होने वाले। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि उनकी अपनी ही पार्टी के लोग उन्हें पसंद नहीं करते। अगर उन्हें टिकट मिलता है तो पार्टी में उपेक्षित महसूस कर रहे पुराने कांग्रेसी एक बार फिर उसी तरह कोपभवन में चले जाएंगे जिस तरह वह पहले चले गए थे। इसकी तैयारी भी शुरू हो चुकी है। एक पुराने कांग्रेसी दिग्गज के कार्यालय पर इस संबंध में एक बैठक का आयोजन भी किया गया था। मंगलवार को हुई इस बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि अगर पार्टी केबी त्रिपाठी को टिकट देती है तो इसका सामूहिक तौर पर विरोध किया जाएगा। साथ ही कोई भी पुराना कांग्रेसी उन्हें चुनाव नहीं लड़ाएगा। बरेली जिले में पहले से ही उपेक्षित महसूस कर रहे पुराने कांग्रेसी दिग्गज पार्टी से नाराज बताए जा रहे हैं। अब केबी त्रिपाठी की दावेदारी उसमें आग में घी का काम कर रही है।
ऐसे में भाजपा के मेयर उमेश गौतम जैसे दिग्गज के आगे केबी त्रिपाठी कितना टिक पाएंगे इसका अंदाजा खुद ब खुद लगाया जा सकता है।
राजनीतिक जानकार बताते हैं कि बरेली में कांग्रेस का अगर थोड़ा बहुत वजूद बचा हुआ है तो वह पुराने कांग्रेसी दिग्गजों की वजह से ही बचा है। ऐसे में नए चेहरे को प्रमोट करना पार्टी को भारी पड़ सकता है। अगर ऐसा हुआ तो जिस तरह विधानसभा चुनाव में पार्टी उम्मीदवारों की जमानत तक जब्त हो गई थी उसी तरह मेयर चुनाव में भी कांग्रेस उम्मीदवार अपनी जमानत भी जब्त करा बैठेंगे। बहरहाल, कांग्रेस का टिकट किसके खाते में जाएगा यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा मगर केबी त्रिपाठी की उम्मीदवारी भारी पड़ेगी।
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