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पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर की गई पत्रकारिता गहरा असर नहीं छोड़ती: रीना तिवारी

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नीरज सिसौदिया, गोरखपुर

गंगोत्री देवी महिला महाविद्यालय की संरक्षक और समाजसेवी रीना तिवारी ने बुधवार को कहा कि पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर की गई पत्रकारिता समाज को दिशा नहीं दे सकती। जिस पत्रकारिता में नीर क्षीर विवेक के आधार पर बातें कही जाती हैँ, वही पत्रकारिता अनुकरणीय होती है। पत्रकार आनंद सिंह की पुस्तक वो दौर, ये दौर इसी नीर क्षीर विवेक के आधार पर लिखी गई है। वह गंगोत्री देवी महाविद्यालय परिसर के सभागार में वो दौर, ये दौर के विमोचन के बाद अपनी बात रख रही थी।

उन्होंने कहा कि आनंद जी की पुस्तक पर चर्चा करने से पहले मैं इस सभागार में उपस्थित उस शख्सियत को बधाई देना चाहती हूं जिन्होंने 800 किलोमीटर दूर बैठे इस पुस्तक के लेखक को रोजमर्रा के कार्यों से सर्वथा अलग रख मानसिक रूप से संबल प्रदान किया। वो शख्सियत आनंद जी की धर्मपत्नी श्रीमती रिंकू सिंह जी है। इस सभागार में हम सब की तरफ से आपका विशेष रूप से स्वागत है। ‘वो दौर, ये दौर’ में वर्तमान राजनीतिक टिप्पणी तो है ही, साथ में पर्यावरण पर लिखे अनेक विचारोत्तेजक लेख भी हैँ। एक तुलनात्मक अध्ययन है पत्रकारिता को लेकर जिसमें तीन दशक पहले खबरों का कैसे पीछा करते थे और आज कैसे व्हाट्सप्प से खबरें उठाते हैन्, शेयर करते हैँ। रिपोर्टिंग के बदलते तौर-तरीको का लेख-जोखा देने की शानदार कोशिश है।
इस पुस्तक में देश के सियासी मिज़ाज़ की चर्चा के साथ राजनीतिक दलों के संदर्भ में तीखी टिप्पणी भी है। इस पुस्तक में चालीस साल पहले की सामाजिक व्यवस्था का ज़िक्र है और पर्यावरण के प्रति चिंता भी। इसके साथ ही बीते तीन दशकों में देश की पत्रकारिता में जो परिवर्तन आया है, उसका भी सजीव विश्लेषण है। इस पुस्तक में अनेक विचारोत्तेजक लेख हैँ जो अमूमन मीडिया में अब नहीं छपते। अगर आप राजनीति, पत्रकारिता और पर्यावरण को लेकर सजग हैं तो इस पुस्तक में आपकी बौद्धिक भूख को एक हद तक शांत करने की क्षमता है।


प्रख्यात बाल रोग विश्गेषज्ञ डॉक्टर आर. एन. सिंह ने किताब की चर्चा की और इसे हर किसी के लिए जरूरी बताया। उन्होंने आनंद सिंह के पत्रकारीय जीवन पर भी चर्चा की।
प्रख्यात हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर प्रकाश चंद शाही ने अपने अल्प सम्बोधन में लेखक को बधाई दी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे गंगोत्री देवी महाविद्यालय के प्रबंध निदेशक आशुतोष मिश्रा ने कहा कि कुछ पुस्तकें जीवन को करीब से देखने और समझने की चाहत रखने वाले पाठकों के लिए अनमोल तोहफा होती है। इसकी अहमियत, प्रासंगिकता आनेवाले सालों में भी बनी रहती है। प्रेरक साहित्य की विधा के अंतर्गत लिखी यह पुस्तक बेहद सहजता के साथ इंसान के अंतर्मन में दाखिल होती है। इसका प्रभाव दीर्घकालिक होगा । लेखक ने बड़ी ही बारीक़ी से पुस्तक को सामजिक व राजनैतिक जीवन से उठाया है। पुस्तक सामजिक जीवन के विविध आयामों की पड़ताल करती हैं। यह पाठकों के आसपास की दुनिया को सजीव करते हुए उन्हें समाज और जीवन पर सोचने पर मजबूर करती हैं। सबसे बड़ी ख़ूबी है कि लेखक पाठकों के साथ आत्मीय संबंध स्थापित करने में सफल रहे हैं।पुस्तक की कथावस्तु और शैली आपको इसे अंत तक पढ़ने के लिए बांधे रखती है। एक बार पढ़ना शुरू करने के बाद आप इसे बीच में छोड़ना नहीं चाहेंगे ये दोनों बातें इस पुस्तक की सबसे बड़ी ताक़त हैं। राजनैतिक व सामजिक द्वंद्व का सजीव चित्रण इपुस्तक में है।
जीवन को करीब से देखने और समझने की चाहत रखने वाले पाठकों के लिए यह एक अनमोल तोहफा है।
पुस्तक के लेखक आनंद सिंह ने पुस्तक में किन विषयों पर लिखा गया है और क्या लिखा गया है, इस पर चर्चा की।
इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार् जगदीश लाल श्रीवास्तव, अभिषेक राय, मंजू राय, दीपिका राय, रिंकू सिंह, प्रदीप श्रीवास्तव, वेद प्रकाश, विवेकानंद समेत दर्जनों लोग, महाविद्यालय के स्टॉफ आदि मौजूद रहे।

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