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जी20 शिखर सम्मेलन समाप्त, पढ़ें सम्मेलन की पूरी कवरेज, किस देश ने क्या कहा, क्या समझौते हुए, अंतिम दिन क्या-क्या हुआ

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नई दिल्ली। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने रविवार को नयी दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन से इतर चीन के प्रधानमंत्री ली क्विंग से मुलाकात की और उन्हें ब्रिटेन की जासूसी चिंताओं से अवगत कराया। ब्रिटिश मीडिया की एक खबर में दो लोगों के खिलाफ जासूसी के आरोपों संबंधी खुलासे के बाद सुनक ने ली क्विंग के समक्ष ब्रिटेन के संसदीय लोकतंत्र में कथित चीनी हस्तक्षेप का मुद्दा उठाया और उन्हें ब्रिटेन की महत्वपूर्ण चिंताओं से अवगत कराया। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कार्यालय ‘10 डाउनिंग स्ट्रीट’ के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘ प्रधानमंत्री सुनक ने चीन के प्रधानमंत्री ली क्विंग से मुलाकात की और ब्रिटेन के संसदीय लोकतंत्र में चीनी हस्तक्षेप के बारे में अपनी महत्वपूर्ण चिंताओं से उन्हें अवगत कराया। ’’ दरअसल, ब्रिटेन की एक मीडिया रिपोर्ट में दो लोगों के खिलाफ जासूसी के आरोप लगाए गए हैं। ब्रिटेन के साप्ताहिक समाचारपत्र ‘द संडे टाइम्स’ की खबर के मुताबिक ब्रिटेन में एक संसदीय शोधकर्ता ने चीन के लिए जासूसी होने का दावा किया था, जिसके बाद ब्रिटेन के आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के तहत दो लोगों को गिरफ्तार किया गया। उनमें से एक व्यक्ति, जिसकी उम्र 20 वर्ष के आसपास थी, एक शोधकर्ता है और उसका संबंध सत्ताधारी कंजर्वेटिव पार्टी के कई सांसदों से था। जबकि 30 साल से ज्यादा उम्र के एक अन्य व्यक्ति के बारे में कहा जाता है कि उसे मार्च में गिरफ्तार किया गया था और अब वह जमानत पर बाहर है।


भू-राजनीतिक मुद्दों को जी20 चर्चाओं पर हावी नहीं होने देना चाहिए : ब्राजील के राष्ट्रपति

उभरती और विकसित अर्थव्यवस्थाओं के समूह की अध्यक्षता संभालने के बाद ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डी सिल्वा ने रविवार को कहा कि भू-राजनीतिक मुद्दों को जी20 में चर्चा पर हावी नहीं होने देना चाहिए। यहां जी20 शिखर सम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित करते हुए लूला डी सिल्वा ने कहा कि समूह को “विभाजित जी20” में कोई दिलचस्पी नहीं है और आज की चुनौतियों का सामना संयुक्त कार्रवाई के जरिए ही किया जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा उन्हें जी20 की अध्यक्षता सौंपे जाने के तुरंत बाद उन्होंने कहा, “हमें संघर्ष के बजाय शांति और सहयोग की जरूरत है।” अगला जी20 शिखर सम्मेलन नवंबर 2024 में रियो डी जनेरियो में होगा। लूला डी सिल्वा ने कहा, “जो रास्ता हमें नई दिल्ली से रियो डी जनेरियो तक ले जाएगा, उसके लिए सभी से बहुत समर्पण और प्रतिबद्धता की आवश्यकता होगी।” उन्होंने कहा कि ब्राजील की अध्यक्षता में दक्षिण अमेरिकी देश के पांच क्षेत्रों में से प्रत्येक के शहरों में जी20 बैठकें आयोजित की जाएंगी। जी20 यूक्रेन में युद्ध पर विभाजित था और संघर्ष के संदर्भों को हल्का करने के बाद ही नयी दिल्ली घोषणा पर आम सहमति बनाई जा सकी। जी20 घोषणापत्र में रूस की आलोचना करना कम कर दिया गया और केवल क्षेत्रीय लाभ के लिए बल के इस्तेमाल की निंदा की गई। ब्राजील की अध्यक्षता के दौरान उसकी प्राथमिकताओं को रेखांकित करते हुए लूला डी सिल्वा ने कहा कि उनका प्रयास होगा कि राजनीतिक और वित्तीय मार्ग समन्वित और एकीकृत तरीके से काम करें। उन्होंने कहा, ‘‘सर्वोत्तम सार्वजनिक नीति पर सहमत होने का कोई मतलब नहीं है अगर इसके कार्यान्वयन के लिए कोई संसाधन आवंटित नहीं किए गए हैं।” उन्होंने मोदी को बधाई दी और उभरती अर्थव्यवस्थाओं के हित के विषयों को आवाज देने के प्रयासों के लिए भारत को धन्यवाद दिया। उन्होंने सामाजिक समावेशन, भुखमरी के खिलाफ लड़ाई, ऊर्जा परिवर्तन और सतत विकास को भी जी20 की प्राथमिकताओं में सूचीबद्ध किया। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को राजनीतिक ताकत हासिल करने के लिए स्थायी, गैर-स्थायी सदस्यों के रूप में नए विकासशील देशों की जरूरत है।


यूरोप, उसके साझेदारों को एआई के खतरों पर नया वैश्विक खाका तैयार करना चाहिए: ईयू प्रमुख

यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने रविवार को कहा कि यूरोप और उसके साझेदारों को कृत्रिम मेधा (एआई) से जुड़े खतरों के संबंध में एक नया वैश्विक खाका तैयार करना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह प्रणालीगत सामाजिक जोखिमों से रक्षा करेगा और सुरक्षित तथा जिम्मेदार एआई प्रणाली में निवेश को बढ़ावा देगा। लेयेन ने जी20 शिखर सम्मेलन के ‘‘एक भविष्य’’ सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि एक बात स्पष्ट नजर आती है कि भविष्य डिजिटल का है। उन्होंने कहा,‘‘ आज मैं एआई और डिजिटल आधारभूत ढांचे पर ध्यान केन्द्रित करना चाहती हूं। जैसी व्याख्या की जा रही है, एआई के खतरे हैं लेकिन इसमें अपार संभावनाएं भी हैं। अहम प्रश्न यह है कि तेजी से बदलती प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कैसे करना है।’’ उन्होंने कहा कि एआई बनाने वाले भी नेताओं से इसके नियमन की बात कह रहे हैं। लेयेन ने कहा, ‘‘यूरोपीय संघ में 2020 में हमने कृत्रिम मेधा पर पहला कानून पेश किया। हम नवाचार को बढ़ावा देने के साथ ही भरोसा भी कायम करना चाहते हैं। लेकिन हमें और काम करने की जरूरत है। आज दुनिया जो करेगी उस पर हमारा भविष्य निर्भर करेगा। मेरा मानना है कि यूरोप — और उसके साझेदारों– को एआई के जोखिमों के संबंध में एक नया वैश्विक ढांचा विकसित करना चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसे प्रणालीगत सामाजिक जोखिमों से हमारी रक्षा करनी चाहिए साथ ही सुरक्षित एवं जिम्मेदार एआई प्रणाली में निवेश को बढ़ावा देना चाहिए।’’ लेयेन ने कहा, ‘‘वैश्विक स्तर पर हमें वस्तुत: संयुक्त राष्ट्र के व्यापक समुदाय तक पहुंचने की जरूरत है। हमें जलवायु के लिए आईपीसीसी के समान एक निकाय की आवश्यकता होगी। हमें वैज्ञानिकों, उद्वमियों तथा नवोन्मेषकों तक अतिरिक्त पहुंच की जरूरत होगी।’’ यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष ने कहा कि उन्हें एआई द्वारा उत्पन्न जोखिमों के साथ-साथ मानवता के लिए संभावित लाभों पर ज्ञान प्रदान करने की आवश्यकता है। डिजिटल सार्वजनिक ढांचे पर उन्होंने कहा कि वे उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं को तेजी प्रदान कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारत ने अपना डिजिटल सार्वजनिक ढांचा क्रियान्वित करने में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है। लेयेन ने कहा, ‘‘ हमने प्रधानमंत्री को सुना और हम उनकी पहल को समर्थन देते हैं। अपार संभावनाएं हैं, निवेश कम हैं। तरकीब यह है कि ऐसे सार्वजनिक डिजिटल बुनियादी ढांचे का निर्माण किया जाए, जो अंतरसंचालित हो, सभी के लिए खुला हो और विश्वसनीय हो।

ब्रिटेन ने ‘हरित जलवायु कोष’ के लिए दो अरब अमेरिकी डॉलर की प्रतिबद्धता जताई 
ब्रिटेन ने रविवार को कहा कि वह जलवायु परिवर्तन से निपटने में दुनिया की मदद करने के मकसद से हरित जलवायु कोष (जीसीएफ) के लिए दो अरब अमेरिकी डॉलर प्रदान करेगा। भारत में ब्रिटेन के उच्चायोग ने बताया कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने और उसके अनुसार ढलने में दुनिया के कमजोर लोगों की मदद करने के लिए यह वित्तीय योगदान देने की घोषणा की है। सुनक शनिवार से शुरू हुए दो दिवसीय जी20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए इस समय नयी दिल्ली में हैं। उन्होंने जी20 नेताओं को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘ब्रिटेन कार्बन उत्सर्जन की मात्रा कम करने वाले माध्यम अपनाकर और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से निपटने में दुनिया के सबसे कमजोर लोगों की मदद करके अपनी जलवायु प्रतिबद्धताओं की दिशा में आगे बढ़ रहा है तथा उन्हें पूरा कर रहा है।’’ सुनक ने कहा, ‘‘दुनिया जी20 देशों से इसी तरह के नेतृत्व की उम्मीद करती है। यह सरकार ब्रिटेन तथा दुनिया को और अधिक समृद्ध एवं सुरक्षित बनाने के लिए उदाहरण पेश करती रहेगी।’’ इस बीच, नयी दिल्ली में आयोजित शिखर सम्मेलन संबंधी ताजा जानकारी देते हुए ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास एवं कार्यालय ‘10 डाउनिंग स्ट्रीट’ ने बताया कि सुनक ने विश्वभर के नेताओं से अपने देशों में कार्बन उत्सर्जन को कम करने और जलवायु परिवर्तन के परिणामों से निपटने के लिए इस साल दिसंबर में होने वाले सीओपी28 शिखर सम्मेलन से पहले मिलकर काम करने का आह्वान किया, ताकि कमजोर अर्थव्यवस्थाओं की मदद की जा सके। ‘10 डाउनिंग स्ट्रीट’ ने बताया कि सुनक ने दो अरब अमेरिकी डॉलर के योगदान की प्रतिबद्धता जताई है, जो 2020-2023 की अवधि के लिए जीसीएफ में ब्रिटेन के पूर्ववर्ती योगदान में 12.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी है। ब्रिटेन की सरकार ने बताया कि कोष में देश का योगदान बढ़ाने के साथ वह जीसीएफ के तेजी से परिणाम दिखाने की महत्ता पर जोर देता रहेगा। जीसीएफ की स्थापना सीओपी15 में कोपेनहेगन समझौते के बाद 194 देशों ने की थी और यह वैश्विक उत्सर्जन को कम करने एवं जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के अनुकूल ढलने में विकासशील देशों की मदद करने के लिए समर्पित सबसे बड़ा वैश्विक कोष है। भारत ने विकसित देशों से कई बार अपील की है कि वे जलवायु संकट के कारण पैदा हुई चुनौतियों से निपटने में विकासशील देशों की मदद करने के लिए अपनी प्रतिबद्धताओं में बढ़ोतरी करें।

भारत मंडपम में G20 नेताओं ने प्रतीकात्मक पौधरोपण किया 

नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में रविवार को जी20 के नेताओं ने भारत मंडपम में प्रतीकात्मक पौधरोपण किया। दो दिवसीय जी20 शिखर सम्मेलन के उपलक्ष्य में यह पौधरोपण किया गया। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो और उनके ब्राजीलियाई समकक्ष लुइज़ इनासियो लूला डी सिल्वा ने शिखर सम्मेलन के तीसरे सत्र ‘एक भविष्य’ की शुरुआत में अपने देशों के मूल वृक्षों के ‘कलम’ प्रधानमंत्री मोदी को भेंट किए। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बताया, ‘‘जी20 शिष्टमंडलों के प्रमुखों ने भारत मंडपम में एक प्रतीकात्मक पौधरोपण समारोह में भाग लिया। जी20 भारत में यह पर्यावरण चेतना को बढ़ावा देने का एक सामूहिक प्रयास है।’’ इससे पहले, एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया था कि जी20 देशों के राष्ट्रीय या वहां के देशी वृक्षों की ये ‘कलम’ भारत मंडपम में लगाई जाएंगी, जहां एक जी20 उद्यान बनाया जाएगा।


प्रधानमंत्री मोदी ने नवंबर अंत में जी20 के वर्चुअल सत्र के आयोजन का प्रस्ताव दिया

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को यहां संपन्न हुए जी20 शिखर सम्मेलन में लिए गए फैसलों पर हुई प्रगति की समीक्षा के वास्ते नवंबर के अंत में एक वर्चुअल सत्र के आयोजन का प्रस्ताव दिया। यहां दो दिवसीय जी20 शिखर सम्मेलन के अंतिम सत्र में अपने समापन भाषण में मोदी ने कहा कि भारत की जी20 की अध्यक्षता आधिकारिक रूप से 30 नवंबर तक जारी रहेगी और समूह के अध्यक्ष के रूप में उसके कार्यकाल में ढाई महीने से ज्यादा का वक्त बाकी है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘पिछले दो दिन में आपने अपने विचार रखे, सुझाव दिए और कई प्रस्ताव रखे गए। यह हमारी जिम्मेदारी है कि जो सुझाव सामने आए हैं, उन पर बारीकी से गौर किया जाए कि उन्हें कैसे गति दी जा सकती है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मेरा प्रस्ताव है कि हमें नवंबर अंत में जी20 के वर्चुअल सत्र का आयोजन करना चाहिए। उस सत्र में, हम उन मुद्दों की समीक्षा कर सकते हैं, जिन पर इस शिखर सम्मेलन के दौरान सहमति बनी थी। हमारे दल इसका विवरण सभी के साथ साझा करेंगे। मैं उम्मीद करता हूं कि आप सभी इसमें (सत्र में) शामिल होंगे।’’ मोदी ने कहा, ‘‘इसके साथ ही मैं जी20 शिखर सम्मेलन के समापन की घोषणा करता हूं।’’ उन्होंने संस्कृत के एक श्लोक का संदर्भ देते हुए पूरे विश्व में शांति एवं सौहार्द की प्रार्थना की। इससे पहले, समापन सत्र में मोदी ने ब्राजील को जी20 की अध्यक्षता हस्तांतरित करते हुए पारंपरिक गैवल (एक प्रकार का हथौड़ा) सौंपा और उसे शुभकामनाएं दीं। ब्राजील आधिकारिक रूप से इस साल एक दिसंबर को जी20 समूह के अध्यक्ष का कार्यभार संभालेगा।
शिखर सम्मेलन ने साबित कर दिया कि जी20 सबसे अहम मुद्दों का अब भी समाधान निकाल सकता है : बाइडन 
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने रविवार को कहा कि इस साल के जी20 शिखर सम्मेलन ने साबित कर दिया है कि यह समूह अपने सबसे अहम मुद्दों का अब भी समाधान निकाल सकता है। शिखर सम्मेलन में भाग लेने आए बाइडन, महात्मा गांधी के समाधि स्थल राजघाट पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद रविवार सुबह वियतनाम रवाना हो गए। बाइडन ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘जब वैश्विक अर्थव्यवस्था जलवायु संकट, नाजुक स्थिति और संघर्ष से जूझ रही है, ऐसे समय में इस साल के शिखर सम्मेलन ने साबित कर दिया कि जी20 अब भी हमारे सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों का समाधान निकाल सकता है।’’ अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में भारत की अपनी पहली यात्रा के तहत बाइडन दो दिवसीय जी20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी पहुंचे थे और उन्होंने उसी दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ द्विपक्षीय वार्ता की थी। अपनी 50 मिनट से अधिक की बातचीत में मोदी और बाइडन ने द्विपक्षीय रक्षा साझेदारी को और प्रगाढ़ करने तथा विविध स्वरूप देने का संकल्प लिया। उन्होंने भारत द्वारा 31 ड्रोन की खरीद और जेट इंजन को मिलकर विकसित करने की दिशा में आगे बढ़ने का स्वागत किया। बाइडन ने शनिवार को जी20 शिखर सम्मेलन के मुख्य सत्रों में भी भाग लिया।


जी20 नेताओं ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को राजघाट पर श्रद्धांजलि अर्पित की
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस सहित जी20 नेताओं ने रविवार सुबह यहां महात्मा गांधी के स्मारक राजघाट पर पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राजघाट पर जी20 नेताओं की अगवानी की। उन्होंने जी20 नेताओं को ‘अंगवस्त्रम’ पहनाकर उनका स्वागत किया। इस दौरान, पृष्ठभूमि में ‘साबरमती आश्रम’ का चित्र दिखाई दिया, जो 1917 से 1930 तक महात्मा गांधी का निवास स्थान था और जिसने स्वतंत्रता संग्राम के मुख्य केंद्रों में से एक के रूप में काम किया। जी20 नेताओं ने महात्मा गांधी की समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इस दौरान, मोदी और सुनक सहित कुछ नेता नंगे पैर चलते नजर आए, जबकि अन्य को राजघाट पर आगंतुकों को प्रदान किए गए सफेद जूते पहने देखा गया। प्रधानमंत्री जी20 नेताओं को साबरमती आश्रम के महत्व के बारे में समझाते नजर आए। मोदी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर जारी एक पोस्ट में कहा कि प्रतिष्ठित राजघाट पर जी20 परिवार ने शांति, सेवा, करुणा और अहिंसा के प्रतीक महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने लिखा, “अलग-अलग राष्ट्र जैसे-जैसे एकजुट हो रहे हैं, गांधी जी के शाश्वत आदर्श एक सामंजस्यपूर्ण, समावेशी और समृद्ध वैश्विक भविष्य के लिए हमारी सामूहिक दृष्टि का मार्गदर्शन कर रहे हैं।
यूक्रेन पर आम सहमति बनाने के लिए 200 से अधिक घंटे तक लगातार बातचीत की : अमिताभ कांत

भारत के जी20 शेरपा अमिताभ कांत ने रविवार को कहा कि यहां ‘लीडर्स समिट’ में अपनाए गए ‘जी20 डिक्लेरेशन’ (घोषणापत्र) पर आम सहमति बनाने के लिए भारतीय राजनयिकों के एक दल ने 200 घंटे से भी अधिक समय तक लगातार बातचीत की। संयुक्त सचिव ई गंभीर और के नागराज नायडू समेत राजनयिकों के एक दल ने 300 द्विपक्षीय बैठकें कीं और ‘जी20 लीडर्स समिट’ के पहले दिन ही सर्वसम्मति बनाने के लिए विवादास्पद यूक्रेन संघर्ष पर अपने समकक्षों को 15 मसौदे वितरित किए। कांत ने कहा, ‘‘पूरे जी20 शिखर सम्मेलन का सबसे जटिल हिस्सा भूराजनीतिक पैराग्राफ (रूस-यूक्रेन) पर आम सहमति बनाना था। यह 200 घंटे से अधिक समय तक लगातार बातचीत, 300 द्विपक्षीय बैठकों, 15 मसौदों के साथ किया गया।’’ कांत ने कहा कि इस प्रयास में नायडू और गंभीर ने उनका काफी सहयोग किया। भारत इस विवादित मुद्दे पर जी20 देशों के बीच अभूतपूर्व आम सहमति बनाने में कामयाब रहा और उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं जैसे कि ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और इंडोनेशिया ने इसमें अग्रणी भूमिका निभाई। ‘जी20 लीडर्स डिक्लेरेशन’ में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण का उल्लेख करने से बचा गया और इसके बजाय सभी देशों से एक-दूसरे की क्षेत्रीय अखंडता एवं संप्रभुत्ता के सिद्धांतों का सम्मान करने का आह्वान किया गया। घोषणापत्र में कहा गया है, ‘‘हम सभी देशों से क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता, अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून एवं शांति तथा स्थिरता की रक्षा करने वाली बहुपक्षीय प्रणाली सहित अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों को बनाए रखने का आह्वान करते हैं।

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