विद्वानों ने कहा है, एक बरस के मौसम चार! जो इनसे भी बड़े विद्वान हैं, वे पांचवां मौसम प्यार को मानते हैं. प्रेम करने वाले प्रेमी प्रेमिका कहलाते हैं. उनके किस्से मशहूर होते हैं. प्रेम हमेशा प्रेमी-प्रेमिका में ही माना जाता है, मियां-बीवी का प्यार मान्यता प्राप्त प्रेम नहीं है. पति-पत्नी का प्रेम बाकी समाज के लिए नीरस विषय है. पति-पत्नी एक दूसरे से प्रेम करते हैं, यह सुनना सभी के लिए बहुत बोरिंग है. पति-पत्नी के झगड़े मशहूर होते हैं. उनके कोर्ट-कचहरी के किस्से अखबारों में छपते है. इसलिए वे सदैव लड़ते झगड़ते ही दूसरों को अच्छे लगते हैं. अच्छा लगना कौन नहीं चाहता? पति-पत्नी भी सदैव इसलिए झगड़ा करते हैं कि दूसरों को अच्छा लगे.
प्रेम में बहुत बेरायटी है – मसलन देवर-भाभी का प्रेम, जीजा-साली का प्रेम, पड़ोसन का प्रेम, बाहर वाली का प्रेम, मोहल्ले का प्रेम, फेसबुक वाली का प्रेम आदि इत्यादि. आफिशियली तो प्रेम का मौसम वेलेंटाइन वीक से शुरू होता है और फाल्गुन भर चलता है. मगर सच्चे प्रेमी इसे फाल्गुन से भी आगे गर्मियों की शाम तक खींच ले जाते हैं. कुछ जो भोले पंछी होते हैं उनका प्रेम दो-तीन साल भी चल जाता है. उसके बाद ब्रेक-अप पार्टी होती है. ब्रेक-अप का अर्थ प्रेम खत्म होना नहीं है, बल्कि इसका मतलब है कि अब जल्द नया प्रेम जीवन में आने वाला है. ठीक वैसे ही जैसे, व्हेन विंटर्स कम, कैन स्प्रिंग वी फार विहाइंड. अर्थात कड़ाके की ठंड भी आपकी उम्मीदों को नहीं तोड़ सकती. इस तरह ज्यादातर प्रेम का ब्रेक-अप में सुखद अंत होता है, मगर सभी कहानियां सुखांत नहीं होतीं. कुछ प्रेम संबंध शादी के रूप में खत्म होते हैं.
इस तरह जंगल के राजा गधे को अपने मालिक दुलीचंद सुनामी के आदेश पर नवयोवना महकती चमेली को छोड़कर फली-फूली गोभी से प्रेम करना पड़ा. इधर गधे और चमेली का ब्रेक-अप हुआ. उधर, गधे और गोभी का प्रेम शुरू. प्रेम के मामले में फली-फूली गोभी का अनुभव गधे से कहीं ज्यादा था. अनुभवी प्रेमिका पाकर गधा भी खुद को धन्य समझ रहा था. गोभी के प्रेम की सीमा नहीं थी. वह जितना प्रेम करती थी, उससे ज्यादा जताती थी. उसका इंस्टा अकाउंट गधे के साथ पाउटदार सेल्फी से भरा था. पूरे जंगल में बस दोनों के प्रेम की ही चर्चा हर जुबान पर थी. चुनाव करीब थे और जंगल के सारे मुद्दे गायब थे. हर जानवर गधे और गोभी की प्रेम कहानी के चटखारे ले रहा था. इस प्रेम कहानी के आगे विपक्ष को कोई पूछ भी नहीं रहा था. उत्साहित गधा फली-फूली गोभी की बाहों में बाहें डाले गा रहा था – जीत जाएंगे हम, अगर तू संग है…!
#सुधीर_राघव