नहीं खंडित हो कभी,
ये भाई बहन का प्यार।
विस्तार तो हैअनंत इसका,
महिमा भी अपरम्पार।।
स्नेहप्रेम का बंधन यह नहीं,
केवल एक रक्षा सूत्र।
बस एक धागे में पिरो दिया,
वचनबद्धता का संसार।।
भाई बहन के प्रेम स्नेह,
का प्रतीक है रक्षा बंधन।
एक सूत्र की ताकत का,
ये यकीन है रक्षा बंधन।।
सदियों से यही इक विश्वास,
चलता चला आया है।
इसी अटूट बंधन की ही इक,
लकीर है रक्षा बंधन।।
एक धागा है राखी पर प्यार,
अपरम्पार है।
एक सूत्र में भरा हुआ वचनों,
का संसार है।।
प्रेम स्नेह लगाव का पर्व है,
यह रक्षा बंधन।
भाई करता बहन की सुरक्षा,
बार बार है।।
रचयिता – एसके कपूर, “श्री
हंस” बरेली