संजय राघव, सोहना
सोहना कस्बे में वन विभाग की कार्यवाही के खिलाफ नागरिक एकजुट होने लगे हैं। लोगों ने उक्त मामले को लेकर माननीय सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का निर्णय लिया है। जिसके तहत लोग अदालत में जनहित याचिका दायर करके न्याय की गुहार लगाएंगे। ताकि नागरिकों के वर्षों पुराने आशियानों को बचाया जा सके।
विदित है कि वन विभाग माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर वन क्षेत्र की भूमि को चिन्हित करके अवैध कब्जाधारियों पर कार्यवाही करने में जुटी हुई है। विभाग ने करीब 550 लिखित नोटिस जारी करके 7 दिनों के अंदर जवाब दाखिल करने के फरमान भी दिए हैं। जिसके चलते लोगों में भारी हड़कम्प व बेचैनी व्याप्त है। उक्त मामले को लेकर विरोध शुरू हो गया है। लोग पंचायत, बैठक आदि आयोजित करके रणनीति बनाने में लगे हैं। पीएलपीए कानून के अंतर्गत करीब दो दर्जन गाँव आते हैं। जिसमे सोहना की भूमि 1257 एकड़ है। उक्त कानून वर्ष 1900 का है। जिसमें पंचायतों ने भूमि पेड़ पौधे लगाने के लिए वन विभाग को दी थी। जिसका सरकार द्वारा सन 1970 में नोटिफिकेशन किया था। जिसकी अवधि 25 वर्ष थी। जिसकी मियाद वर्ष 1995 में पूरी हो गई थी। तथा भूमि पुनः मालिकों के पास आ गई थी। परंतु 2004 में जिसको दोबारा रिन्यू कर दिया गया था।
नागरिक खटखटाएंगे अदालत का दरवाजा
सोहना के प्रमुख समाजसेवी महेश खटाना ने बातचीत के दौरान मीडिया को बतलाया कि माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश सर्वमाननीय हैं जिसमें विभाग व सरकार का कोई दोष नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि वन विभाग ने भूमि लेते वक्त मौके पर जाकर निरीक्षण नहीं किया था। उस वक्त काफी संख्या में मकान निर्मित थे। विभाग ने समस्त भूमि को वन क्षेत्र घोषित कर दिया था। समाजसेवी महेश ने कहा है कि जल्द ही कस्बे को उजड़ने से बचाने के लिए माननीय सुप्रीम कोर्ट में पीएलपीए के खिलाफ जनहित याचिका दायर की जाएगी। जिसके लिए दस्तावेज एकत्रित किये जा रहे हैं। उन्होंने पीड़ित लोगों से सहयोग करने को कहा है।