हैदराबाद। तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री और भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के अध्यक्ष के. चंद्रशेखर राव अपनी बेटी और विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) के. कविता को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के मामले से बचाने के लिए ‘बीआरएस विधायकों’ की खरीद-फरोख्त मामले का इस्तेमाल कथित तौर पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को समझौते के लिए दबाव बनाने में करना चाहते थे। यह खुलासा फोन टैपिंग मामले में गिरफ्तार एक पूर्व पुलिस अधिकारी के इकबालिया बयान से हुआ है। पूर्व पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) पी राधा किशन राव के इकबालिया बयान के अनुसार, ‘‘ ‘पेड्डायाना’ (बीआरएस प्रमुख चंद्रशेखर राव का अप्रत्यक्ष संदर्भ) अपनी पार्टी के विधायकों को तोड़ने के कथित प्रयास के मामले में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बी एल संतोष की गिरफ्तारी चाहते थे।” राव के बयान में कहा गया है, ‘‘एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया था और केसीआर मामले को मजबूत बनाने के लिए वरिष्ठ भाजपा नेता संतोष की गिरफ्तारी चाहते थे ताकि भाजपा समझौता कर सके और इसका इस्तेमाल उनकी बेटी एमएलसी के कविता पर ईडी मामले से छुटकारा पाने के लिए किया जा सके।” बयान के मुताबिक, ‘‘हालांकि कुछ पुलिस अधिकारियों की अक्षमता के कारण, एक महत्वपूर्ण व्यक्ति पुलिस की पकड़ से बच गया और बाद में मामला उच्च न्यायालय में चला गया, जहां गिरफ्तारी न करने के आदेश जारी किए गए और फिर एसआईटी से मामला केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दिया दिया गया।” राधा किशन राव के बयान के मुताबिक, पेड्डायाना (केसीआर) इस बात से बेहद नाराज थे कि उनकी उम्मीद के मुताबिक काम पूरा नहीं हो सका। पूर्व पुलिस उपायुक्त ने कहा कि वह मामले के संबंध में अधिक खुलासा नहीं करेंगे क्योंकि उन पर ‘पेड्डायाना’ का बहुत बड़ा कर्ज है। उनके मुताबिक उन्होंने उन्हें दो बार फिर से पद पर नियुक्त किया था और 2020 में सेवानिवृत्ति के बाद भी उन्हें हैदराबाद सिटी टास्क फोर्स में तैनात किया था। इकबालिया बयान में कहा गया है, “एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया था और केसीआर चाहते थे कि वरिष्ठ भाजपा नेता संतोष की गिरफ्तारी इस मामले को मजबूत करने के लिए हो ताकि इसका इस्तेमाल भाजपा पर समझौते के लिए दबाव बनाकर कविता को ईडी के मामले से छुटकारा दिलाया जा सके। ” राधा किशन राव ने आगे कबूल किया कि वह केसीआर और उनके परिवार के सदस्यों के सभी महत्वपूर्ण गोपनीय कार्यों में शामिल रहते थे। राधा किशन राव के अनुसार, तत्कालीन एसआईबी प्रमुख प्रभाकर राव ने प्रणीत कुमार के नेतृत्व में एक विशेष टीम बनाई थी जो केसीआर और बीआरएस के लिए राजनीतिक परेशानी पैदा करने वाले विपक्षी दलों और अन्य संगठनों के लोगों पर नजर रखती थी। उन्होंने कहा कि प्रभाकर राव ने उनसे राजनीतिक कार्यों से संबंधित गोपनीय जानकारी के लिए प्रणीत कुमार के साथ समन्वय करने को कहा था। राधा किशन राव के अनुसार अक्टूबर 2022 में उन्होंने जो एक “बड़ा” काम किया वह मोइनाबाद फार्म हाउस विधायकों की खरीद-फरोख्त मामले से जुड़ा था। यह मुनुगोड़े विधानसभा उपचुनाव के समय हुआ था, जिसमें कांग्रेस विधायक के राजगोपाल रेड्डी ने इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया था। दुब्बाक और हुजुराबाद उपचुनावों में जीत के बाद केसीआर ने भाजपा की बढ़त को रोकने के लिए मुनुगोड़े उपचुनाव में उसे हराना अपनी ‘प्रतिष्ठा’ का मुद्दा बना लिया था। अक्टूबर 2022 में प्रभाकर राव ने उनसे चर्चा की कि केसीआर को बीआरएस विधायक पायलट रोहित रेड्डी से जानकारी मिली है कि भाजपा में प्रभावशाली होने का दावा करने वाले कुछ लोग उनके संपर्क में हैं और उन्हें केसीआर के नेतृत्व वाली पार्टी छोड़ने और कुछ और विधायकों के साथ भाजपा में शामिल होने के लिए कह रहे हैं। पूर्व डीसीपी को फोन टैपिंग और कुछ कंप्यूटर सिस्टम और आधिकारिक डेटा को नष्ट करने के मामले में जारी जांच के तहत इस साल मार्च में गिरफ्तार किया गया था। कविता को ईडी ने मार्च में दिल्ली आबकारी नीति मामले में कथित अनियमितताओं से जुड़े धनशोधन को लेकर गिरफ्तार किया था। संपर्क करने पर वरिष्ठ बीआरएस नेता और पूर्व सांसद विनोद कुमार ने कहा कि पार्टी इकबालिया बयान में लगाए गए सभी आरोपों का खंडन करती है।

भाजपा के संगठन महामंत्री बीएल संतोष को गिरफ्तार करवाना चाहते थे पूर्व मुख्यमंत्री, अपनी बेटी को बचाने के लिए भाजपा को ब्लैकमेल करने की थी प्लानिंग, डीएसपी ने ईडी के सामने खोले कई राज, पढ़ें और क्या बताया?




