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धीरे-धीरे चमक रहा है पुराने शहर का ‘नया सितारा’, ‘बेबसी की राहों’ से दिलों में दस्तक दे रहे डॉ. अनीस बेग, जानिये कैसे?

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नीरज सिसौदिया, बरेली
बरेली शहर का पुराना शहर वो इलाका है जो अपने सीने में जाने कितनी हसीन यादों का कारवां संजोए हुए है। कभी जरी-जरदोजी की कारीगरी और बांस के हुनरमंदों के लिए मशहूर ये इलाका आज अपनी बेबसी पर आंसू बहाने को मजबूर है। तंग गलियों में न जाने कितनी सिसकियां किसी मसीहा को पुकार रही हैं। न सत्ताधारी इन इलाकों में झांकने को तैयार हैं और न ही विपक्ष इनकी बेबसी दूर करने में सक्षम। यहां के बाशिंदों की जो भी मदद होती है वो कुछ मददगार निजी तौर पर ही करते हैं। ऐसे ही एक मददगार का नाम है डॉ. अनीस बेग। यूं तो एक अकेले शख्स के बस में सत्ता से बाहर रहते हुए हजारों बेबसों की तकदीर बदलना मुमकिन नहीं लेकिन पुरानी कहावत है कि डूबते को तिनके का सहारा ही बहुत होता है। सहारा देने वाला एक ऐसा ही तिनका हैं समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और जाने-माने बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अनीस बेग।
मैक्स लाइफ सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल एंड फहमी आईवीएफ सेंटर के मालिक डॉ. बेग यहां उम्मीद की एक नई किरण लेकर आए हैं। एजाज नगर गोटिया, कांकरटोला, शहामतगंज, सिंधु नगर और जगतपुर जैसे न जाने कितने इलाकों में डॉ. अनीस बेग समाजसेवा का कार्य कर रहे हैं। यहां के लोगों के वोट बनवाने से लेकर अपने अस्पताल में हाई क्लास सुविधाएं मुहैया कराने तक का काम वह बाखूबी कर रहे हैं। इन इलाकों का वह अक्सर दौरा भी करते रहते हैं। साथ ही स्थानीय नेताओं के साथ चाय पर चर्चा के बहाने इलाके की समस्याओं से रूबरू होते हैं और उनकी एक पूरी टीम उन समस्याओं के समाधान में जुट जाती है। पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने यहां कई लोगों के वोटर कार्ड, आधार कार्ड सहित अन्य दस्तावेज बनाने का काम किया है।


लोगों के बीच कदम-कदम पर काम कर रही उनकी टीमों के प्रयास ने डॉ. अनीस बेग को पुराने शहर की सियासत के नए चेहरे के रूप में स्थापित कर दिया है। अपनी खुशमिजाजी के चलते वह लोगों को बरबस ही आकर्षित कर लेते हैं।
ऐसा नहीं है कि पुराने शहर की इन तंग गलियों में सिर्फ मुस्लिम आबादी ही बसर करती है। यहां एक बड़ा तबका दलित और पिछड़े समाज का भी है। इन लोगों के प्रति भी ड़ॉ. अनीस बेग का वही रवैया होता है जो मुस्लिम समुदाय के लिए होता है।
कहते हैं डॉक्टर की कोई जात नहीं होती और मरीज का कोई धर्म नहीं होता। इस कहावत को डॉ. अनीस बेग चरितार्थ करते नजर आ रहे हैं। जब वो अस्पताल में होते हैं तो एक डॉक्टर के तौर पर उनका धर्म सिर्फ मरीज की जिंदगी बचाना होता है फिर चाहे वो किसी भी जाति-धर्म का हो, अमीर हो या गरीब हो। समाजसेवा के क्षेत्र में भी उन्होंने यही मंत्र अपनाया है।
अपनी इन्हीं खूबियों की बदौलत आज डॉ. अनीस बेग पुराने शहर में अलहदा पहचान बनाने में कामयाब रहे हैं।
दिलचस्प पहलू यह है कि आजकल अनीस बेग पुराने शहर के लोगों के साथ अपने हॉस्पिटल में उनकी छोटी-छोटी खुशियों का जश्न केक काटकर भी मनाते नजर आ रहे हैं।


समाजसेवा के कार्यों के बारे में पूछने पर डॉ. अनीस बेग कहते हैं, ‘मैं काम करने में विश्वास रखता हूं और मेरा मकसद लोगों की ज्यादा से ज्यादा मदद करने का है। मुझसे जो बन पड़ता है, करता हूं। लेकिन मैं जानता हूं कि मेरा योगदान नाकाफी है। बदलाव का सफर बहुत लंबा है। मैंने तो बस एक छोटी सी शुरुआत करने की कोशिश की है। हमारी योजना आने वाले दिनों में इन इलाकों में मेडिकल कैंप लगाने की है ताकि लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया जा सके और उनके घरों के पास ही उन्हें बेहतर इलाज मिल सके।’
डॉक्टर अनीस बेग कहते हैं, ‘जरी जरदोजी के कारीगरों के लिए भी मैं बहुत कुछ करना चाहता हूं लेकिन अफसोस कि अभी तक इस दिशा में कुछ खास नहीं कर पाया हूं। मैं प्रयास कर रहा हूं कि बरेली की इस पहचान के लिए कोई सार्थक पहल की जा सके।’
बहरहाल, पुराने शहर में इन दिनों डॉ. अनीस बेग चर्चा के केंद्र में हैं।

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