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आधी अधूरी तैयारी के बीच शुरू हुआ महाकुंभ, नाकाबिल अफसरों की लापरवाही बन गई श्रद्धालुओं की मुसीबत का सबब, 10 किमी पैदल कैसे चलेंगे बुजुर्ग, सेक्टरों में जाने के लिए नहीं कोई परिवहन सुविधा, संतों में रोष, पढ़ें क्या है महाकुंभ की तैयारी के दावे का असली सच?

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नीरज सिसौदिया, प्रयागराज
144 वर्षों बाद महाकुंभ का अद्भुत संयोग बना है लेकिन महाकुंभ मेले को लेकर की गई तैयारी उस स्तर की नहीं की गई है जिस स्तर की उम्मीद की जा रही थी या होनी चाहिए थी। सबसे अधिक परेशानी एक सेक्टर से दूसरे सेक्टर में जाने को लेकर हो रही है। पार्किंग स्थल की संगम तट से दूरी लगभग 10 किलोमीटर तक की है। कुछ पार्किंग स्थल पांच किमी के दायरे में बनाए गए हैं। इसके आगे का रास्ता श्रद्धालुओं को पैदल ही तय करना पड़ रहा है। तो वही एक सेक्टर से दूसरे सेक्टर में जाने के लिए सरकार की ओर से परिवहन की कोई व्यवस्था नहीं की गई है।

इसके अलावा मोबाइल के चार्जिंग पॉइंट तक नहीं दिए गए हैं। कहने के लिए खोया पाया केंद्र स्थापित किए गए हैं लेकिन वो भी नाकाफी साबित हो रहे हैं। सुविधाओं के नाम पर उन केद्रों में आम आदमी के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। योगी सरकार के नाकाबिल अधिकारियों की लापरवाही महाकुंभ मेले में स्पष्ट रूप से देखने को मिल रही है। यह कुंभ में आने वाले बुजुर्गों के लिए खासी मुसीबत का सबब बन गई है।
एक सेक्टर से दूसरे सेक्टर में जाने के लिए परिवहन की कोई व्यवस्था नहीं होने की वजह से विभिन्न सेक्टरों में प्रवास कर रहे संतों में भी रोष नजर आ रहा है।

बता दें कि महाकुंभ मेले में देश भर के 13 अखाड़ों के महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर, साधु- संत आदि पहुंचे हैं। महाकुंभ में आने वाले लोग हर बार इन साधु संतों का दर्शन करने और उनसे आशीर्वाद लेने के लिए उनके अस्थाई आश्रमों में और कल्पवास स्थल में जाते थे लेकिन इस बार लगभग 4000 हेक्टेयर में विभिन्न सेक्टर बनाए गए हैं और साधु संतों को वहां अखाड़े के लिए जमीन दी गई है। अब जो लोग संगम में स्नान करने आ रहे हैं उन्हें पहले ही इतना पैदल फासला तय करना पड़ रहा है कि स्नान करने के बाद उनकी हिम्मत जवाब दे रही है और वह महामंडलेश्वर और अन्य साधु संतों का आशीर्वाद लेने के लिए उनके सेक्टर स्थित प्रवास पर जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। इसके अलावा सबसे अधिक परेशानी उन बुजुर्गों को हो रही है जो पैदल चलने में असमर्थ हैं।


खागा से शाही स्नान के लिए पहुंचे भोला सिंह का कहना है कि उनके जीवन काल में ऐसा अद्भुत सहयोग पहली बार आया है। उन्हें यह मौका दोबारा नहीं मिलने वाला लेकिन यहां की अव्यवस्था के कारण वह परेशान हो गए गैं। फतेहपुर के ग्राम कुटिया गुनीर से आए सत्यम कुमार, ननकऊ और नन्हीं आदि ने इस अवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि 144 साल बाद आए इस महाकुंभ की व्यवस्थाएं भी इस स्तर की की जानी चाहिए थी लेकिन वर्तमान समय में जो व्यवस्था योगी सरकार के नाकाबिल अधिकारियों ने बनाई है उससे श्रद्धालुओं को निराशा ही हाथ लग रही है।
उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं को एक सेक्टर से दूसरे सेक्टर तक लाने और ले जाने के लिए परिवहन की व्यवस्था होनी चाहिए थी ताकि न सिर्फ युवा बल्कि बुजुर्ग भी महाकुंभ का पूरा आनंद उठा सकें। उन्होंने कहा कि कई किलोमीटर पैदल चलना एक दिन में हर व्यक्ति के लिए संभव नहीं है।

मध्य प्रदेश के भिंड जिले के गांव मेहंदवा से पहुंची बारी अम्मा और प्रेमलता कुशवाह ने कहा कि इतने लंबे दायरे में कोई ऐसी व्यवस्था भी नहीं की गई है जो आम आदमी को राहत प्रदान कर सके। इन अव्यवस्थाओं को लेकर संतों में भी नाराजगी देखने को मिल रही है। उन्होंने मांग की है कि इस व्यवस्था को जल्द से जल्द सुधारा जाए ताकि आगामी दिनों में मेले में आने वाले श्रद्धालुओं को इतनी परेशानियां न झेलनी पड़ें।


कानपुर देहात जिले की रसूलाबाद तहसील से आए इंद्रपाल सिंह ने पुलिस के व्यवहार पर भी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि कुंभ मेले में जिन पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई गई है उन्हें इस बात को लेकर प्रशिक्षित किया जाना चाहिए था कि उनकी ड्यूटी श्रद्धालुओं की परेशानी कम करने और उनकी सहायता करने के लिए लगाई गई है न कि उन्हें वर्दी का रौब दिखाने के लिए। पुलिसकर्मी इस तरह से व्यवहार कर रहे हैं जैसे कि श्रद्धालु उनके गुलाम हों।

इन सारी अव्यवस्थाओं के चलते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की छवि को धूमिल किया जा रहा है सबसे बड़ी अव्यवस्था बिजली विभाग की देखने को मिल रही है। जहां योगी सरकार प्रदेश भर में 24 घंटे बिजली देने के प्रयास में जुटी हुई है वहीं बिजली अधिकारी मेला क्षेत्र में बनाए गए सेक्टरों में 24 घंटे तो दूर सही तरीके से 12 घंटे भी बिजली नहीं दे पा रहे हैं। दिन के समय सेक्टरों की बिजली काट दी जाती है जिसके चलते इन सेक्टरों में कल्पवास करने वाले लोगों को, श्रद्धालुओं को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
इतना ही नहीं महाकुंभ की तैयारी अभी भी पूरी नहीं हो पाई हैं। कई जगह अभी भी काम चल रहा है। कुछ लोगों ने मेले में टेंट की व्यवस्था करने वाले ठेकेदारों के चयन को लेकर भी सवालिया निशान खड़े किए हैं। उनका कहना है कि हर बार लल्लन और पप्पू यादव को ही टेंट लगाने का ठेका क्यों दिया जाता है? इस बार भी यह ठेका उन्हीं को दिया गया है और कई जगह पुराने टेंट लगा दिए गए हैं। टेंट में भी पूरी व्यवस्था नहीं की गई है। इससे वहां निवास करने वाले साधु-संतों और श्रद्धालुओं में नाराजगी व्याप्त है।


बहरहाल, अव्यवस्थाओं के बीच रविवार और सोमवार की मध्यरात्रि 12:00 बजे से पौष पूर्णिमा के पहले स्नान पर्व के साथ महाकुंभ की शुरुआत हो गई है। योगी सरकार के लापरवाह अधिकारियों की इस नाकामी का खामियाजा आगामी विधानसभा चुनाव में उसी तरह देखने को मिल सकता है जिस तरह अयोध्या में रामलाल की प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दौरान व्याप्त अव्यवस्था के चलते लोकसभा चुनाव में फैजाबाद जिले में देखने को मिला था। अब भी वक्त है अगर अधिकारी जाग जाएं तो महाकुंभ में देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं और मेला क्षेत्र में कल्प वास कर रहे लाखों श्रद्धालुओं को एक सुखद अनुभव प्रदान किया जा सकता है।

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