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अल्पसंख्यकों के लिए बेहद खराब हैं प्रदेश के मौजूदा हालात, बेहद शानदार रहेगा 2027 का चुनाव, इस बार सपा के पक्ष में खुलकर सड़कों पर उतरेंगी अल्पसंख्यक महिलाएं, पढ़ें समाजवादी अल्पसंख्यक सभा की राष्ट्रीय सचिव और युवा नेत्री जैनब फातिमा का बेबाक इंटरव्यू

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नीरज सिसौदिया, बरेली

समाजवादी पार्टी अल्पसंख्यक सभा की राष्ट्रीय सचिव जैनब फातिमा बरेली की सियासत का एक उभरता हुआ चेहरा हैं। एक गैर राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखने वाली जैनब ने बेहद कम समय में राजनीति में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। 29 दिसम्बर वर्ष 1999 को बरेली के शाहबाद मोहल्ले में एक साधारण से परिवार में जन्मी जैनब का राजनीति में कैसे आना हुआ? पूछने पर वह बताती हैं, ‘यूं तो सक्रिय राजनीत की शुरुआत हमने बरेली कॉलेज में पढ़ाई के दौरान की थी लेकिन जब हम हाईस्कूल में थे तो उस समय प्रदेश में अखिलेश यादव की सरकार थी। उस दौरान स्कूली छात्रों के लिए कई योजनाएं लाई गई थीं। उन योजनाओं की वजह से हमारे स्कूल में भी कई टीमें आती थीं। हम उस समय सरकार से बहुत प्रभावित हुए। उन्हें देखकर ही हमने राजनीति में आने का मन बना लिया था। अंतत: वर्ष 2014 में हम समाजवादी पार्टी में एक कार्यकर्ता के तौर पर शामिल हो गए और तब से लेकर आज तक समाजवादी पार्टी में ही बरकरार हैं।’
जैनब फातिमा एक से बाद एक सफलता की सीढ़ियां चढ़ती गईं। वर्ष 2020 में उन्हें सपा में पहली बार किसी पद से नवाजा गया। वह बताती हैं, ‘करीब छह साल तक एक कार्यकर्ता के तौर पर मेहनत करने के बाद वर्ष 2020 में हमें सबसे पहला पद महिला सभा में महानगर महासचिव का मिला। फिर जिला महिला सभा में महासचिव बनाया गया। इसके बाद समाजवादी छात्र सभा में राष्ट्रीय सचिव और फिर अल्पसंख्यक सभा में राष्ट्रीय सचिव पद की जिम्मेदारी सौंपी गई। जिस पर वह मौजूदा समय में कार्यरत हैं।’
हाल ही में लखनऊ में अल्पसंख्यक सभा की एक अहम बैठक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के नेतृत्व में हुई थी। इसमें अखिलेश यादव ने आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर मंथन किया और कई दिशा-निर्देश भी दिए।
चुनाव में अल्पसंख्यक सभा की भूमिका पर जैनब फातिमा बताती हैं, ‘ प्रदेश के मौजूदा हालात अल्पसंख्यकों के लिए बेहद खराब हैं। उन पर झूठे मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं। ऐसे में सपा अध्यक्ष ने पीडीए का जो नारा दिया है वह पूरे प्रदेश में अपना परचम लहरा रहा है। अगर हम बरेली की बात करें तो गांव-गांव, गली-गली जाकर पीडीए के तहत लोगों को जोड़ा जा रहा है। शहरी क्षेत्र के लोग तो काफी हद तक अवेयर हैं लेकिन गली-मोहल्लों के लोगों को बहुत कुछ समझाना होता है और खासतौर पर पर महिलाओं को। तो हम अल्पसंख्यक सभा की महिला कार्यकर्ता के तौर पर उन्हें पार्टी से जोड़ने का काम कर रहे हैं। अकेले शहर विधानसभा क्षेत्र में हमने लगभग पांच सौ से भी अधिक अल्पसंख्यक महिलाओं को जोड़ने का काम किया है।’
जैनब कहती हैं, ‘ डबल इंजन की सरकार हर मोर्चे पर पूरी तरह फेल हो चुकी है। अल्पसंख्यकों पर जुल्म किए जा रहे हैं, उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है, अल्पसंख्यक सभा की बैठक में अखिलेश यादव ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि समाजवादी पार्टी हर हाल में अल्पसंख्यकों के साथ खड़ी है।’
आमतौर पर देखा जाता है कि मुस्लिम महिलाएं चुनाव प्रचार से दूर ही रहती हैं। क्या 2027 में बरेली में अल्पसंख्यक महिलाएं समाजवादी पार्टी के पक्ष में सड़कों पर उतरकर प्रचार करती नजर आएंगी? इस सवाल के जवाब में जैनब फातिमा कहती हैं, ‘देखिए मुस्लिम का टैग तो पार्टी के साथ लगा हुआ है। इसलिए चाहे 2022 के चुनाव रहे हों या 2024 के, महिलाओं की भी भागीदारी समाजवादी पार्टी के साथ बढ़ी है। मुस्लिम महिलाओं की जो स्थिति है वह किसी से छुपी नहीं है। उनकी शिक्षा ही पूरी हो जाए तो बड़ी बात है। चुनाव प्रचार में भागीदारी जैसी चीज बहुत कम ही हो पाती है लेकिन पार्टी स्तर की जो तैयारी है उसके तहत अल्पसंख्यक महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा जोड़ने का काम किया जा रहा है। 2027 का चुनाव बहुत शानदार होने जा रहा है क्योंकि पहले के मुकाबले अल्पसंख्यक महिलाएं बहुत अधिक जागरूक हो चुकी हैं।’
समाजवादी पार्टी अल्पसंख्यक महिलाओं की तो बात करती है लेकिन बरेली जिले में एक भी अल्पसंख्यक महिला को विधानसभा का टिकट नहीं दिया जाता। क्या बरेली जिले की नौ विधानसभा सीटों में एक भी ऐसी महिला नहीं है जो सपा अध्यक्ष की नजरों में चुनाव लड़ने के काबिल हो? इस सवाल पर जैनब फातिमा कहती हैं, ‘जी बिल्कुल, आपने ठीक कहा, सवाल भी एकदम ठीक है आपका, उनकी पुरजोर कोशिश रहती है क्योंकि महिला आदि आबादी का जो नारा है वह समाजवादी पार्टी का ही नारा है। माननीय अखिलेश यादव जी की पहली कोशिश यह रहती है कि किसी भी तरह से सत्ता पक्ष पर काबिज हों तो जातिगत आंकड़ों पर निर्णय लिया जाता है। अखिलेश यादव जी की सरकार में सबसे ज्यादा बढ़ावा महिलाओं को ही मिला है और बरेली की बात करें तो यह प्रमुख जनपद रहा है। अगर अखिलेश यादव जी को लगेगा कि बरेली से कोई महिला चुनाव लड़ने के लिए सक्षम है तो जरूर टिकट मिलेगा। अखिलेश जी खुद एक पढ़ी-लिखी शख्सियत है जो हमेशा महिलाओं और बहन बेटियों को आगे बढ़ाने का काम करते हैं।’
जैनब फातिमा ने अपने राजनीतिक करियर में सिर्फ संगठन को मजबूती देने के लिए काम किया है। उन्होंने कोई चुनाव नहीं लड़ा है। क्या वह भी चुनावी राजनीति में उतरने का मन बना रही हैं? पूछने पर वह कहती हैं, ‘जी नहीं, चुनाव में भागीदारी हमने कभी नहीं की है। बस चुनाव लड़वाने का काम किया है। पार्टी स्तर से अगर कभी ऐसा आदेश मिलेगा तो इंशाल्लाह जरूर भागीदारी की जाएगी। अभी तो संगठन में ही काम कर रहे हैं और इंशाअल्लाह आगे भी बरकरार रहेंगे। आगे इंशाअल्लाह कोशिश रहेगी लेकिन 2027 में नहीं।
अखिलेश यादव जी का कभी ऐसा निर्देश रहेगा तो जरूर भागीदारी करेंगे लेकिन फिलहाल ऐसा कोई विचार नहीं है। फिलहाल पार्टी का परचम ही बुलंद करना है। पुरजोर कोशिश यही है कि किस तरह से माननीय अखिलेश यादव जी को मुख्यमंत्री बनाया जाए।
फिलहाल यही अपील है कि सभी लोग अपनी छोटे-मोटे मतभेद बुलाकर एकजुट होकर अखिलेश यादव जी के हाथों को मजबूत करें और भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से उखाड़ कर फेंकें। यह तभी मुनासिब है जब हम मिलकर काम करेंगे।’

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