नीरज सिसौदिया, जालंधर
सियासत की बाजी में सबसे बड़ा खिलाड़ी वक्त होता है| सितारे बुलंदियों पर हुए तो सियासत का आसमान भी कदमों तले नजर आता है और अगर सितारे गर्दिश में हों तो पैरों तले जमीन खिसकते भी देर नहीं लगती| कुछ ऐसा ही इन दिनों जालंधर नॉर्थ की सियासत में हो रहा है| लंबे समय बाद जालंधर नॉर्थ में भाजपा की सियासी उठापटक नए करवट बैठती नजर आ रही हैेै| वर्षों के इंतजार के बाद नॉर्थ में उपेक्षित चल रहा भाजपा का एक गुट अब दमदार वापसी करता दिखाई दे रहा है. जालंधर नॉर्थ विधानसभा क्षेत्र के तहत पड़ते वार्ड नंबर 2 के पार्षद सुशील शर्मा की भाजपा जिला प्रधान के पद पर हुई ताजपोशी बड़े बदलाव की ओर इशारा कर रही है. पहले जहां नॉर्थ में भाजपा के वरिष्ठ चेहरों का अभाव नजर आता था वहीं अब एक के बाद एक ऐसे चेहरों की भीड़ बढ़ाई जा रही है जो केडी भंडारी के समक्ष बड़ी चुनौती बन सकते हैं. ऐसे में सवाल यह उठता है कि कहीं सुशील शर्मा की ताजपोशी जालंधर नॉर्थ के दिग्गज नेता और पूर्व विधायक केडी भंडारी के सियासी युग के अंत का आगाज तो नहीं है|
दरअसल, पिछले लगभग 20 वर्षों से जालंधर नार्थ में भाजपा की सियासत में सिर्फ एक ही चेहरा केडी भंडारी के रूप में नजर आता था. कभी पूर्व प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष रवि महेंद्रू भंडारी के लिए चुनौती साबित हो सकते थे लेकिन भंडारी की सियासी चाल ने उन्हें मेयर पद पर आसीन नहीं होने दिया. ऐसा करके भंडारी ने रवि महेंद्रू को अपना सियासी दुश्मन बना लिया. भंडारी ने जिस सुनील ज्योति को मेयर की कुर्सी दिलाई उन्हें भी भंडारी के हाथों की कठपुतली बनना गंवारा नहीं था. शुरुआत में तो सब ठीक रहा लेकिन बाद में ज्योति को जब अपने पद की अहमियत और ताकत का एहसास हुआ तो भंडारी बेबस नजर आने लगे. पिछले विधानसभा चुनाव में बावा हेनरी से मिली करारी शिकस्त के बाद भंडारी का सियासी कद और भी घटने लगा था| इसके बाद प्रदेश भाजपा की सियासत में पूर्व मेयर राकेश राठौर की धमाकेदार एंट्री हुई| राकेश राठौर की भाजपा में मजबूती के साथ ही केडी भंडारी के सिर पर खतरे के बादल मंडराने लगे थे| राकेश राठौर भले ही भंडारी की कुर्सी के दावेदार न हों मगर राठौर के करीबी कुछ नेता भंडारी की कुर्सी पर वर्षों से नजर जमाए बैठे हैं| सियासी जानकार बताते हैं कि वरिष्ठ भाजपा नेता अविनाश राय खन्ना से करीबी रिश्ते होने की वजह से केडी भंडारी का सियासी कद भाजपा में भी दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा था| यही वजह थी कि भंडारी के विरोधी गुट के नेताओं का विरोध भी उनका बाल तक बांका नहीं कर पा रहा था| लेकिन कहते हैं कि वक्त हर जख्म का मरहम होता है और भंडारी के राज में उपेक्षित भंडारी के विरोधी गुट के लिए भी वक्त एक मरहम साबित हुआ. अविनाश राय खन्ना खुद भाजपा में दरकिनार कर दिए गए और प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी उनके हाथ से निकल गई. ऐसे में भंडारी का सिंहासन डोलना भी लाजमी था. इसका फायदा भंडारी के विरोधी गुट को मिला. अब यह गुट पूरी तरह से सक्रिय हो चुका है| इस गुट के प्रमुख नेताओं में सबसे पहले जो नाम लिया जाता है वो रवि महेंद्रू और गोपाल पेठे वाले का है| सुशील शर्मा भी इसी गुट के नेता हैं| हालांकि, कुर्सी संभालते ही सुशील शर्मा केडी भंडारी का आशीर्वाद लेने के लिए उनके पास पहुंचे| सुशील शर्मा वाकई केडी भंडारी का आशीर्वाद लेने पहुंचे थे या फिर उन्हें आने वाले खतरे से आगाह करने के लिए पहुंचे थे, यह तो वही जानें लेकिन सुशील शर्मा की ताजपोशी से एक बात स्पष्ट हो चुकी है कि अब जालंधर नॉर्थ में केडी भंडारी की सियासत ज्यादा दिन की मेहमान नहीं रही| सियासी जानकार तो यहां तक कहते हैं कि इस बार के विधानसभा चुनाव में केडी भंडारी का पत्ता साफ कर किसी और को पार्टी का टिकट दिया जा सकता है|
दरअसल, केडी भंडारी की मुश्किलें उसी वक्त बढ़नी शुरू हो गई थीं जब राकेश राठौर पंजाब भाजपा में अहम पद पर सुशोभित हुए थे| इसके बाद जालंधर भाजपा की सियासत में बदलाव का दौर शुरू हुआ| साफ-सुथरी और बेदाग छवि वाले राकेश राठौर ने पर्दे के पीछे से जालंधर की सियासत में नई इबारतें लिखनी शुरू कीं| सबसे पहले रमेश शर्मा की जगह राकेश राठौर के करीबी रमन पब्बी को जिला अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई| रमन पब्बी जालंधर नॉर्थ विधानसभा क्षेत्र के ही नेता थे लेकिन केडी भंडारी का उन पर कोई प्रभाव नहीं था| इसके बाद भंडारी को दूसरा झटका उस वक्त लगा जब उनके धुर विरोधी युवा नेता किशन लाल शर्मा की संगठन में वापसी हुई| यह वही किशन लाल शर्मा थे जिन पर केडी भंडारी ने गंभीर आरोप लगाए थे| इतना ही नहीं किशन लाल शर्मा की वापसी पर केडी भंडारी ने जमकर बखेड़ा भी खड़ा किया लेकिन वह किशन लाल शर्मा का कुछ बिगाड़ नहीं सके| भंडारी की लाख कोशिशों के बावजूद किशन लाल शर्मा की एंट्री हो गई और बाद में दोनों में पार्टी हाईकमान द्वारा सुलह भी करा दी गई| भंडारी को तीसरा झटका तब लगा जब लगातार दूसरी बार भाजपा जिला अध्यक्ष के चयन में उनकी एक नहीं चली| भंडारी के विरोधी गुट के करीबी नेता सुशील शर्मा को पार्टी का जिला अध्यक्ष बना दिया गया| पंजाब में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं| ऐसी में केडी भंडारी को मिल रहे एक के बाद एक झटके से यह साबित होता है कि आगामी विधानसभा चुनाव में जालंधर नॉर्थ से भारतीय जनता पार्टी की टिकट से कोई नया चेहरा मैदान में उतर सकता है| कुछ पार्टी कार्यकर्ताओं का तो यहां तक कहना है कि केडी भंडारी की उम्र अब लगभग 60 साल के आसपास होने जा रही है इसलिए उन्हें खुद ही चुनाव नहीं लड़ना चाहिए और किसी युवा चेहरे को समर्थन देना चाहिए|
दरअसल, नॉर्थ भाजपा में अब कई ऐसे चेहरे हैं जो विधानसभा चुनाव लड़ने का दम और योग्यता दोनों रखते हैं. ये सभी पार्टी में अहम जिम्मेदारी निभा चुके हैं और अहम संवैधानिक पदों पर भी रह चुके हैं. इनमें सबसे पहला नाम सुनील ज्योति का है. ज्योति जालंधर के मेयर रह चुके हैं. इस दौरान भले ही ज्योति का विरोध चरम पर रहा हो लेकिन कर्ज में डूबी नगर निगम की विरासत संभालने वाले सुनील ज्योति जब अपना कार्यकाल खत्म करके गए तो निगम का सारा कर्ज चुकता हो चुका था और निगम एक अच्छी पोजिशन पर था. अब मेयर बनने के बाद उनका सपना भी आगे बढ़ने का है. ऐसे में अगला पड़ाव विधानसभा ही आता है.
इसके अलावा नॉर्थ की सियासत में दूसरा बड़ा और बेदाग चेहरा रवि महेंद्रू का है. रवि महेंद्रू पार्टी जिला अध्यक्ष के साथ ही प्रदेश व राष्ट्रीय कार्यकारिणी में भी अहम जिम्मेदारियां निभा चुके हैं. कई बार पार्षद भी रह चुके हैं. वर्षों से पार्टी में उपेक्षित होने के बावजूद पार्टी के लिए काम करने में जुटे हुए हैं, शायद उन्हें उम्मीद है कि कभी न कभी तो उन पर भी पार्टी की नजर-ए-इनायत होगी. ऐसे में रवि महेंद्रू भी विधानसभा लड़ने के लिए डिजर्व तो करते ही हैं.
तीसरा चेहरा पूर्व भाजपा जिला अध्यक्ष रमन पब्बी का भी है जो जिला अध्यक्ष बनने के बाद विधानसभा चुनाव लड़ने के हकदार तो बन ही गए हैं. राकेश राठौर के करीबी और पड़ोसी होने का फायदा भी वह जरूर उठाना चाहेंगे.
इसके अलावा खुद राकेश राठौर भी नॉर्थ का बड़ा चेहरा हैं. हालांकि सियासी जानकार उनके सेंट्रल सीट से चुनाव लड़ने की अटकलें लगा रहे हैं.
इसके अलावा भी कई और चेहरे हैं जो नॉर्थ में अच्छा रसूख रखते हैं. ऐसे में भंडारी का एकछत्र राज अब ज्यादा दिन तक चलता नजर नहीं आ रहा.
बहरहाल, सुशील शर्मा की ताजपोशी केडी भंडारी गुट के लिए अच्छी खबर नहीं है| सुशील शर्मा की ताजपोशी के बाद जिला कार्यकारिणी में अहम पद हासिल करने का सपना देख रहे केडी भंडारी गुट के छोटे नेताओं का सपना भी फिलहाल पूरा नहीं होने वाला| भंडारी के लिए यह मुश्किल दौर चल रहा है| एक तरफ हेनरी की चुनौती है तो दूसरी तरफ पार्टी के लोग ही उनके सियासी भविष्य के लिए खतरा बनते जा रहे हैं| अब इस खतरे से भंडारी किस तरह खुद को बाहर निकाल पाते हैं यह देखना दिलचस्प होगा| बहरहाल जो सियासी हालात इस वक्त जालंधर नार्थ विधानसभा हलके के बन रहे हैं उन्हें देखकर तो यही लगता है कि जालंधर नॉर्थ में अब केडी भंडारी के सियासी युग का अंत शुरू हो चुका है|