विचार

भारतीय वैज्ञानिक अमल कुमार रायचौधुरी के समीकरण ने दिलाया रोजर पेनरोज को नोबल, जानिए क्या है पूरी कहानी?

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वीरेन्द्र बहादुर सिंह
सन् 2020 का भौतिक विज्ञान का नोबल पुरस्कार ब्लैकहोल के बारे मेें किए गए शोध करने वाले तीन वैज्ञानिकों को दिया गया है। पुरस्कार की आधी धनराशि ब्रिटेन के वैज्ञानिक रोजर पेनरोज को मिलेगी जबकि बाकी की आधी धनराशि अमेरिका के वैज्ञानिकों रेनहार्ड गेंजेल और एंड्रिया देज के बीच बांटी जाएगी। रोजर पेनरोज को यह पुरस्कार इसलिए दिया गया है, क्योंकि उनका कहना है कि ब्लैकहोल की रचना सापेक्षता के सिद्धांत का ठोस सबूत है जबकि रेनहार्ड और एंड्रिया को हमारी गैलेक्सी के केंद्र में मौजूद विशाल द्रव्यमान के कॉम्पैक्ट ऑब्जेक्ट की खोज के लिए दिया गया है।
89 वर्षीय रोजर पेनरोज ब्रिटिश गणितज्ञ हैं और साठ के दशक में खगोलशास्त्री स्टीफन हॉकिंग के साथ मिल कर उन्होंने ब्लैकहोल के अंदर की सामग्री के विषय में शोध कर के ब्रह्मांड के बारे में अपनी खोज को एक नई दिशा बताया था।
सन् 1955 में कोलकाता के आशुतोष कालेज के एक युवा शिक्षक अमल कुमार रायचौधुरी ने गणित का एक फार्मूला विकसित किया था, जो रोजर पेनरोज के ब्लैकहोल के शोध का आधार बना। ब्लैकहोल के अंदर केंद्र में इतना तीव्र गुरुत्वाकर्षण बल होता है कि अन्य पदार्थों की बात छोड़ो, प्रकाश की किरण तक नहीं निकल सकती। इस स्थिति को समझने के लिए पेनरोज ने अमल कुमार रायचौधुरी के समीकरण का उपयोग किया था। इसे सीेंग्युलारिटी थियोरम कहते हैं, जिसके लिए पेनरोज को नोबल पुरस्कार मिला है।
14 सितंबर, 1923 को बंगाल अब बांग्लादेश के बारिसल ईस्टा के रहने वाले सुरेशचंद्र और सुरबाला के घर पैदा हुए अमल कुमार रायचौधुरी बच्चे थे, तभी यह परिवार कलकत्ता अब कोलकाता आ गया था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा तीर्थपति संस्थान से शुरू हुई और उन्होंने हिंदू स्कूल कोलकाता से हाईस्कूल किया। उनके पिता गणित के शिक्षक थे, इसलिए उनकी प्रेरणा से उन्हें गणित में काफी रुचि हो गई थी। पिता के अनुसार वह गणित में बहुत अच्छे नहीं हैं, इसलिए उन्होंने अमल कुमार को ग्रेजुएशन में ऑनर्स के लिए गणित विषय लेने से मना कर दिया था। 1942 में उन्होंने प्रेसीडेंसी कालेज से बीएससी और 1944 में कलकत्ता विश्वविद्याालय से एमएससी किया। इसके बाद वह शोध के लिए इंडियन एसोसिएशन आफ द कल्टिवेशन आफ साइंस आईएसीएस से जुड़े और 1952 में अपना शोध कार्य पूरा किया।
वह एक प्रमुख भारतीय भौतिक वैज्ञानिक थे, जो सामाजिक सापेक्षता और ब्रह्मांड विज्ञान के अपने शोध के लिए जाने जाते थे। उनका सबसे महत्वपूर्ण योगदान वह समीकरण है, जो यह दर्शाता है कि विलक्षणता सामान्य सापेक्षता में अनिवार्य रूप से उत्पन्न होती है।
अमल कुमार रायचौधुरी ने सन् 1955 में फिजिकल रिव्यू जर्नल में ब्लैकहोल का गणितिक समीकरण प्रकाशित कराया था। सापेक्षता के सिद्धांत के आधार पर ब्लैकहोल के अस्तित्व के बारे में पूर्वाभास किया था। परंतु आल्बर्ट आंइस्टीन खुद यह मानते थे कि यह केवल एक थ्योरी है और ब्लैकहोल को टेलीस्कोप से देखा नहीं जा सकता।
अमल कुमार रायचौधुरी को उनके इस समीकरण के लिए भारत में नाम नहीं मिला। क्योंकि कुछ भौतिकशास्त्रियोें को इसमें संदेह था। लेव लांदु नामक एक रशियन भौतिकशस्त्री ने जब ऐसा ही समीकरण बनाया तो उसके बाद रायचौधुरी के काम पर सभी ने ध्यान देना शुरू किया। 1959 में उनके द्वारा किए गए कार्यों को विशेष सराहना मिली। सन् 1970 तक वह एक जाने-माने वैज्ञानिक बन चुके थे। टाटा इंस्टिट्यूट आफ फंडामेंटल रिसर्च के जाने-माने और रायचौधुरी के विद्याार्थी रहे गौतम मंडल का कहना है कि ‘पेनरोज को नोबल पुरस्कार मिला है, यह उचित भी है, पर दुनिया को इस बात का पता तो चलना चाहिए कि होकिंग और पेनरोज ने जिस बुनियाद पर ब्लैकहोल की रचना की थी, उसका श्रेय इस सीधेसादे आदमी अमल कुमार रायचौधुरी को जाता है। जब हम पढ़ रहे थे, तब हमें पता ही नहीं था कि इस समीकरण्ी के पीछे हमारे गुरु श्री अमल कुमार रायचौधुरी ही हैं।’
पेनरोज की एक क्रांतिकारी शोध यह है कि बिग बेंग के पहले भी कोई ब्रह्मांड अस्तित्व में था, जिसका सबूत देखा जा सकता है। पेनरोज के गुरु स्टिफन होकिंग ने बिग बेंग थ्योरी पर बहुत काम किया है। बिग बेंग थ्योरी का मतलब करोड़ो साल पहले अणु का विस्फोट हुआ था और उसमें से वर्तमान ब्रह्मांड का निर्माण हुआ था। इसके बाद वैज्ञानिक समुदाय यह सवाल करने लगा था कि अगर ब्रह्मांड किसी एक समय, एक स्थिति से प्रकट हुआ है तो उसके पहले क्या था? सन् 1981 में स्टिफन होकिंग ने कहा था कि बिग बेंग के पहले क्या था, इसका जवाब यह है कि ब्रह्मांड की ऐसी कोई सीमा नहीं है, जहां से उसका आरंभ हो। बिग बेंग आगे के बंह्मांड की ही एक कड़ी है, जिसमें से वर्तमान ब्रह्मांड विकसित हुआ है।
पेनरोज ने भी इसी थ्योरी पर आगे काम कर के कहा कि आखिर खगोलशास्त्री ब्रह्मांड मेें कहां तक नजर दौड़ा सकते हैं। इसकी भी एक सीमा होती है। पर थ्योरी तैयार करने वाला तो हर तरह की कल्पना कर सकता है। पेनरोज ने इसी तरह की कल्पना कर के थ्योरी दी है कि एक ब्रह्मांड से दूसरा ब्रह्मांड विकसित होता जाता है। मतलब कि एक बिग बेंग आगे के ब्रह्मांड के पतन की स्थिति है और उसी में से दूसरा ब्रह्मांड विकसित होता है।
यह थ्योरी विवादास्पद है। पर पेनरोज तर्क करते हैं कि इस तरह एक समय ब्लैकहोल की थ्योरी भी विवादास्पद थी। सन् 1783 में जॉन मिशेल नामक एक अंग्रेज खगोलशास्त्री ने थ्योरी के आधार पर कहा था कि अगर कोई चीज अत्यंत धनात्मक हो जाए तो उसके अंदर इतना तीव्र गुरुत्वाकर्षण पैदा होता है कि उसमेें से कुछ भी छूट कर नहीं निकल सकता। विशाल तारा की जब उम्र पूरी हो जाती है और उसका पतन होता है तो उसकी शून्यता में ब्लैकहोल का निर्माण होता है और वह अगल-बगल के तारों को अपने अंदर खींच लेता है।
वैज्ञानिकों की वर्तमान पीढ़ी में पेनरोज एक बहुत बड़ा नाम है। पेनरोज कलाकारों और डाक्टरों के परिवार में पैदा हुए हैं। उनकी माता साइक्रियाट्रीस्ट और पिता जिनेसिस्ट थे। उनके दादा आइरीश कलाकार थे। उनके नाना फिजियोलॉजिस्ट थे। उनके एक चाचा कलाकार थे और एक चाचा का बेटा फोटाग्राफर था। पेनरोज का एक भाई भोतिकशास्त्री है, तो दूसरा भाई चेस ग्रांडमास्टर और बहन भी भौतिकशास्त्री है।
जिस गणित के सिद्धांत के आधार पर उन्होंने ब्लैकहोल के सींग्युलारिटी पर काम किया है और नोबल पुरस्कार प्राप्त किया है, पेनरोज उसी गणित विषय में स्कूल में कमजोर थे। दरअसल वह पढ़ाई में बहुत धीमे थे। गणित उन्हें आती तो थी, पर कोई प्रश्न हल करने में वह काफी समय लेते थे। इसी से उनके शिक्षकों का सोचना था कि अगर उन्हें समय दिया जाए तो वह कुछ अच्छा कर सकते हैं। मूल में समस्या यह थी कि हर चीज की शुरुआत उन्हें मूल सिद्धांत से करनी पड़ती थी।
शिक्षकों के धैर्य के कारण ही पेनरोज गणित में महारथ हासिल कर सके और पहले लंदन में यूनीवर्सिटी कालेज में आैर फिर पीएचडी के समय कैम्ब्रिज यूनीवर्सिटी में गणित में स्टार साबित हुए। पेनरोज के परिवार में गणित की हमेशा उपस्थिति रहती थी। वह अपने पिता के साथ मिल कर पोलीहेड्रा (भूमिति में तमाम आकार वाली आकृति) बनाते रहते थे। उनके घर में पिता के व्यावसायिक काम और बच्चों के खिलौनों में ज्यादा अंतर नहीं था। पिता भावनात्मक रूप से ज्यादा जुड़े नहीं थे, फिर भी जब वे बातें करते थे तो विज्ञान और गणित की ही बातें करते थे।
सन् 2006 में एक व्याख्यान देने पेनरोज दिल्ली आए थे। तब कुछ पत्रकार उनसे मिलने गए तो वह ब्रह्मांड की ही बातें कर रहे थे, जो पत्रकरों की समझ के बाहर की बात थी। तब एक पत्रकार ने पूछा, ‘‘सर आप केवल भौतिकशास्त्र की ही बातें करते हैं क्या?’’
‘नहीं भाई, मैं गणित की भी बातें करता हूं न।’’ पेनरोज ने जल्दी से जवाब दिया।
‘‘सर, मेरे कहने का मतलब यह है कि आप संगीत सुनते हैं, पियानों बजाते हैं, सिनेमा देखते हैं या नहीं?’’
पेनरोज ने संक्षेप में कहा, ‘‘मेरे बेटे को जो अच्छा लगता है, मैं वह सब कहरता हूं, अभी वह बहुत छोटा है.

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