एजेंसी, कोलकाता
पश्चिम बंगाल में जहां ममता बनर्जी की टीएमसी ने दो सौ का आंकड़ा पार कर सरकार बना ली तो वहीं तीसरा मोर्चा सिर्फ एक ही सीट जीत पाया. तीसरे मोर्चे के लगभग 83 फीसदी से अधिक प्रत्याशी अपनी जमानत तक नहीं बचा सके. दिलचस्प बात यह रही कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जहां-जहां रैली की वहां-वहां तीसरे मोर्चे के प्रत्याशी की जमानत भी जब्त हो गई. तीसरे मोर्चे के सदस्य सिर्फ 41 सीटों पर ही जमानत बचा पाए हैं. कांग्रेस जिस माटीगारा-नक्सलबाड़ी सीट पर एक दशक से काबिज थी वह सीट भी नहीं जीत सकी. मौजूदा विधायक शंकर मालाकार इस बार सिर्फ 9 फीसदी वोट ही हासिल कर सके.
गोलपोखर में भी कांग्रेस उम्मीदवार सिर्फ 12 प्रतिशत वोट ही हासिल कर सका जबकि इस सीट पर वर्ष 2006 से 2009 और फिर 2016 तक इस सीट से कांग्रेस का विधायक था. इन दोनों सीटों पर राहुल गांधी ने रैली की थी और यहां प्रत्याशी अपनी जमानत तक नहीं बचा सके.
बात अगर तीसरे मोर्चे की करें तो वामपंथी 170 सीटों में से सिर्फ 21 सीटों पर ही जमानत बचा सके. कांग्रेस 90 सीटों पर चुनाव लड़ी और सिर्फ 11 सीटों पर ही जमानत बचा सकी. वहीं, गठबंधन की तीसरी पार्टी आईएसएफ ने अन्य पार्टियों से बेहतर प्रदर्शन किया. वह तीस सीटों पर चुनाव लड़ी और दस सीटों पर ही जमानत बचा सकी. आईएसएफ ने एक सीट जीती और चार सीटों पर दूसरे स्थान पर रही. मौलवी अब्बास सिद्दीकी की नई पार्टी के लिए यह चुनाव बेहतर कहे जा सकते हैं.
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