मान पर सम्मान पर। विधाओं के नाम पर। जीवन हो प्रतिकूल पर अनुरूप कैसे जीना है। पिता हो जो साथ में तो कह दो हिमालय से। तेरा गुरुर मेरे स्वाभिमान से बौना है। पिता से सीखा है मैंने हुनर को तराशना। जीवन में जितना अंधेरा उतना मन को थामना, गिरना सम्भलना यह तो भाग्य का […]
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डा. निशा शर्मा की कविताएं : चांद तारों का रौशन जहाँ चाहिए…
चांद तारों का रौशन जहाँ चाहिए उस जहाँ में मगर मुझको तू चाहिए जिंदगी में मेरी हाँ कमी न कोई बिन तेरे जिन्दगानी नहीं चाहिए रोज आना तेरा, मुस्कुराना तेरा राब्ता अब मुकम्मल मुझे चाहिए तू तो मशहूर है दिल्लगी के लिये ज़िक्र अपना जुबाँ से तेरी चाहिये माना दुनिया है तारों की रौशन मगर […]
डा. निशा शर्मा की कविताएं : प्रभु अब तुमको आना होगा…
जीवन अमिट है क्षण-क्षण में हमको सिखलाने वाले ईश्वर हमको प्रतिपल प्रतिदिन राह दिखाने वाले अमिट, अविनाशी, अमोघ वरदायिनी गंगा के स्वामी जग प्रतिपल तुमको रहा निहार, अहेतु कृपा दिखा दो स्वामी डॉक्टर स्वयं कोरोना देश में ग्रसित हो गये हैं तो हम नश्वर तुम हो ईश्वर ये हमको बतलाना होगा इस भीषण विपदा में […]