विचार

बदल गए हैं होली के रंग, इस बार मनाएं परंपराओं के संग, होली के विभिन्न रंगों की गहराई बता रही हैं साहित्यकार प्रमोद पारवाला

मन झूम रहा बिन बादल के, होली के रंग कुछ यूं बरसे। नैनों से मदिरा यूं छलकी , ज्यों मद के प्याले हों छलके । होली का नाम लेते ही रंग में सराबोर, भंग की मस्ती में झूमते, नाचते लोग स्मृति पटल पर उभर आते हैं और गुझिया का स्वाद भी अनायास ही मुंह में […]

इंटरव्यू

महिला दिवस पर विशेष : गुमनामी के अंधेरे में साहित्य का सितारा ‘प्रमोद पारवाला’

नीरज सिसौदिया, बरेली  स्याही की एक बूंद भी लाखों लोगों को विचारमग्न कर देती है. यही वजह है कि समाज के सृजन में साहित्य की अहम भूमिका रहती है. साहित्य जहां समाज का दर्पण होता है वहीं, समाज को एक दिशा भी देता है. फिर चाहे क्रांति हो या प्यार एक कलमकार हर किरदार बाखूबी […]