नीरज सिसौदिया, बरेली सियासी ऊंट कब किस करवट बैठ जाएगा यह कोई नहीं जानता। कल तक जो समझते थे कि ये दुनिया उनके बगैर दो कदम भी चल नहीं सकती वे आज दो गज जमीन में दफन बैठे हैं। कहा जाता है कि वक्त हमेशा एक जैसा नहीं रहता और हर किसी का कोई न […]
नीरज सिसौदिया, बरेली सियासी ऊंट कब किस करवट बैठ जाएगा यह कोई नहीं जानता। कल तक जो समझते थे कि ये दुनिया उनके बगैर दो कदम भी चल नहीं सकती वे आज दो गज जमीन में दफन बैठे हैं। कहा जाता है कि वक्त हमेशा एक जैसा नहीं रहता और हर किसी का कोई न […]