पंजाब

भाटिया का कांग्रेस प्रेम, सच है या अफसाना

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नीरज सिसौदिया
जालंधर नगर निगम में सत्ता परिवर्तन के बाद कांग्रेस के पक्ष में हवा बहने लगी है। हालांकि हवा का यह ऱुख तो उस वक्त ही बदलने लगा था जब सुबह में सत्ता परिवर्तन होने के बाद कांग्रेस राज आया। पिछले कुछ दिनों में कांग्रेस के आला नेताओं और पूर्व सीनियर डिप्टी मेयर कमलजीत सिंह भाटिया के बीच जिस कदर नज़दीकियां देखने को मिल रही हैं वह नए सियासी समीकरण की ओर इशारा कर रहे हैं। हालांकि यह नज़दीकियां महज औपचारिक भी हो सकती हैं लेकिन इन नज़दीकियों ने सियासी गलियारों में चर्चा का बाजार गर्म कर दिया है।
बात अगर भाटिया के कांग्रेस प्रेम की करें तो इसे नया कहना गलत होगा। नगर निगम पर जब अकाली-भाजपा गठबंधन का रास्ता और कमलजीत सिंह भाटिया सीनियर डिप्टी मेयर थे तो भाटिया ने जो भूमिका अपने ही मेयर के खिलाफ निभाई थी उसका सीधा सा फायदा विपक्ष को ही मिलता था। जिन मुद्दों पर विपक्ष के नेता जगदीश राजा मेयर को घेरते थे उन्हीं मुद्दों को कमलजीत सिंह भाटिया और ज्यादा जोर शोर से उठाते रहे। हालांकि भाटिया का विरोध नाजायज नहीं था। उन्होंने राजनीति और पार्टीबाजी से ऊपर उठकर हमेशा अपने क्षेत्र के विकास के मुद्दों को लेकर ही मेयर को घेरा। उन्होंने सदन में अपनी ही गठबंधन सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार का मुद्दा जोर-शोर से उठाया। यही वजह भी रही कि पार्टी विरोधी लहर होने के बावजूद कमलजीत सिंह भाटिया की पत्नी कांग्रेस उम्मीदवार को धूल चटाते हुए पार्षद बन गईं। पिछले कुछ दिनों में जिस तरह से नियर जगदीश राज राजा विधायक सुशील रिंकू और डिप्टी मेयर हरसिमरन जीत सिंह बंटी के साथ सार्वजनिक कार्यक्रमों में भाटिया हिस्सा लेते नजर आ रहे हैं उससे भाटिया भले ही जनता को कोई संदेश ना देना चाहें लेकिन जनता उनके संदेश को कांग्रेस प्रेम के नजरिए से देख रही है।
दरअसल कांग्रेस नेता मेजर सिंह हर सिमरनजीत सिंह बंटी और अन्य के साथ भाटिया के व्यक्तिगत संबंध बहुत अच्छे हैं। यही वजह है कि अक्सर पार्टी के अन्य नेता अंदरखाते उन पर कांग्रेस की मदद भी करने का आरोप लगाते रहे हैं।
बता दें कि रिंकू जब पार्षद थे तो उन्होंने मेजर सिंह व बंटी के साथ मिलकर जगदीश राजा के खिलाफ अपना अलग डायनामिक ग्रुप बना लिया था। स्कूल ने विभिन्न मुद्दों पर अकाली-भाजपा को ठीक उसी तरह फायदा पहुंचाया जिस तरह से कमलजीत सिंह भाटिया ने अपने विरोध से कांग्रेस को लाभ पहुंचाया था। इन नेताओं के साथ भाटिया की नज़दीकियों के पीछे एक अहम कारण मेजर सिंह के भाई अमरजीत सिंह मिट्ठा भी हैं। अमरजीत सिंह अकाली नेता हैं और कॉलोनाइजर भी हैं। दिलचस्प बात है कि एक भाई कांग्रेस में और दूसरा अकाली दल में। दोनों भाइयों के संबंध भी बहुत अच्छे हैं। यही वजह है कि भारतीय से भी इन दोनों भाइयों के संबंध काफी अच्छे हैं। इस बार मेजर सिंह तो चुनाव हार गए लेकिन भाटिया की सियासी गणित एकदम सटीक बैठी और उनकी पत्नी पार्षद बन गईं। बहरहाल इन दिनों जिस तरह से कमलजीत सिंह भाटिया का कांग्रेस प्रेम बढ़ता जा रहा है वह भविष्य में अकाली-भाजपा गठबंधन के लिए शुभ संकेत नहीं कहा जा सकता।

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