झारखण्ड

सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश कर रहा जफर आलम का परिवार

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बोकारो थर्मल। रामचंद्र कुमार अंजाना
विद्युत नगरी बोकारो थर्मल ऐसे भी परिवार हैं जहां सामाजिक एकता की मिसाल दी जाती है। यहां पर हर धर्म के लोग एक-दूसरे के पर्व-त्योहारों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते है। हम यहां बात कर रहें है स्थानीय केंद्रीय बाजार के टेलर मिस्त्री 68 वर्षीय मो. जफर आलम की। जहां मुसलमान कारिगर सांप्रदायिक सौहार्द की मिशाल 41 सालों से पेश कर रहें है।

दुकान में उनका 29 वर्षीय बेटा मो. साहेब हुसैन भी पिछले 13 सालों से सहयोग करता आ रहा है। मो. जफर आलम का कहना है कि हिन्दु धर्म के सभी भगवानों का वस्त्र पिछलें 41 सालों से बनता आ रहा हुॅ। रामनवमी के मौके पर बजरंगबली का झंडा बनाते है। इनका कहना है कि मजहब एक है और हम इस काम से एकता का संदेश भी देना चाहते है। बजरंगबली का झंडा, चुनरी और मुहर्रम का झंडा बनाने से हमें दिल में एक अलग सी खुशी मिलती है, भले ही इसके लिए हमें लोग मेहनताना देते हैं। रामनवमी के तीन महीना पहले से झंडा बना में हम ओर मेरा बेटा जुट जाते है। मो. जफर ने कहा कि विधुत नगरी में झंडा बनाने की शुरूआत मैने ही की है। इसके बाद ही कुछ लोगों ने भी झंडा बनाना शुरू किया। बोकारो थर्मल के अलावा कथारा, गोबिंदपुर, गोमिया, जारंगडीह व ऊपरघाट के लोग भी मेरा द्धारा बनाया गया महावीरी झंडा खरीदने आते है। इसके अलावा विभिन्न अखाड़ा समिति के लोग झंडा बनाने का आर्डर एक माह पहले देते है। मो.जफर आलम का पुत्र मो. साहेब हुसैन का कहना है कि पिता की देखरेख मैं पिछलें 14 सालों से झंडा बनाने का काम करता आ रहा हुॅ। धर्म देखकर यह काम हमलोग नहीं करते है। बजरंगबली का झंडा और चुनरी ही हर भगवान के लिए हम काम करते है। नवरात्र में मां की चुनरी तैयार करने का काम भी करते है। मेरे अब्बा द्धारा 41 वर्षां से बोकारो थर्मल में इस काम को अंजाम दे रहे हैं। हमारा संदेश है कि काम छोटा-बड़ा नहीं होता है। हिन्दू और मुसलमान आपस में भाई-भाई हैं। हमें आपस में मिलकर राष्ट्रीय एकता और समाजहित में सोचने की जरूरत है। इस बार 60 फीट के 7 बडे-बड़े झंडे बनाये हैं। इसके अलावा हर साइज के हजारों झंडे तैयार किये हैं।
महाबीरी झंडों से पटा है केंद्रीय बाजार
बोकारो थर्मल स्थित केंद्रीय बाजार में महावीरी झंडों से पट गया है। स्थायी दुकानदार से लेकर अस्थायी दुकानदारों प्लांट के मुख्य सड़कों के दोनों किनारे दुकान सजा कर महावीरी झंडा, चुनरी व अन्य वस्त्र बेच रहे है। बाजार के दुकारदार मोती साव ने कहा कि इस बार नोटबंदी को देखते हुए गा्रहकों को उनके अनरूप महाबीरी झंडा उपलब्ध है। 10 से लेकर 2600 रूपये तक के महावीरी झंडे हैं। इसके अलावा चुनरी व भगवान के वस्त्र भी हैं।

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