बोकारो थर्मल। कुमार अभिनंदन
नावाडीह प्रखंड के उग्रवाद प्रभावित ऊपरघाट स्थित आदिवासी बहुल गांव डेंगागढ़ा मे आदिवासी सेंगेल अभियान के तत्वाधान में एक रैली निकाली गयी। इसके बाद ललपनिया स्थित विश्व प्रसिद्व लुगूबुरू घंटाबाड़ी धोरोमगाढ़ समिति का पुतला दहन किया गया। आदिवासी सेंगेल अभियान का कहना है कि लुगूबुरू घंटाबाड़ी धोरोमगाढ़ के समिति के द्वारा आदिवासी समुदाय के धर्मस्थल पर मंदिर बनाकर मूर्ति स्थापित किया है, यह गलत है।
कहा कि हिंदू करन करने सहित आरएसएस के लोगों से मिलकर धर्मस्थल पर प्रतिवर्ष मकर संक्रांति मनाने सहित धोरोमगाढ़ के स्थान पर ऊं लिखे जाने का हम विरोध करते है। सरना समाज के लोगों के पहचान मिटाने का यह एक साजिश है। कहा कि जिस तरह आदिवासियों ने मरांगबुरू को जैन धर्मों से खो बैठे, उसी प्रकार रजरप्पा को भी खो दिए। उसी प्रकार लुगूबुरु धोरोमगाढ़ को भी खोते जा रहे हैं। आदिवासी के विभिन्न तरह से चले आ रहे संगठन लुगूबुरु धोरोमगाढ़ बचाने का कोई आवाज नहीं उठा रहे हैं। जिसके कारण आदिवासियों का अस्तित्व मिटने की कगार पर है। आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व सांसद सालखन मुर्मू के नेतृत्व में पूरे 5 राज्य में बिहार, बंगाल, असम उड़ीसा, झारखंड में सहित लुगूबुरू धोरोमगाढ़ सरना समिति का पुतला दहन कार्यक्रम चलाया जा रहा है। कहा कि यह अभियान देश के पांच राज्यों में एक साथ किया जा रहा है। लुगूबुरू घंटाबाड़ी धोरोमगाढ़ समिति के द्वारा बीस वर्षों से भारत और भारत से बाहर के आदिवासियों को सरना धोरोम महासम्मेलन के नाम से बुलाया जाता है। झारखण्ड के मुख्यमंत्री सहित सभी पार्टियों के नेता मंत्रियों को भी बुलाया जाता है। लेकिन अभी तक प्रकृति पूजक आदिवासियों के लिए सरना धर्म कॉलम कोड की मांग नहीं की गयी। जो आदिवासी अस्तित्व पर एक सवाल है। इस मौके पर समिति के युवा प्रखंड अध्यक्ष हरिनारायण मुर्मू, प्रखंड संयोजक जागेश्वर मुर्मू, बिरजू सोरेन, गणेश मुर्मू, बंधू मुर्मू, नेमचंद मुर्मू, बुधन मुर्मू, चेतलाल सोरेन, बाबुचंद सोरेन, चांदो सोरेन सहित सैकड़ों आदिवासी शामिल उपस्थित थे।