पीके सिन्हा, पटना
बिहार के लगभग एक दर्जन विश्वविद्यालयों को रजिस्ट्रार का इंतजार है। पिछले करीब 1 माह से रजिस्ट्रार नहीं होने के चलते सारा कामकाज ठप पड़ गया है। विश्वविद्यालयों में फाइलों के ढेर लग चुके हैं वहीं मूल्यांकन करने वाले शिक्षकों को लगभग 2 महीने बाद भी पारिश्रमिक नहीं मिला है। साथ ही विद्यार्थियों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
जानकारी के मुताबिक, लगभग 1 सप्ताह पहले बिहार के सभी विश्वविद्यालयों में नये रजिस्ट्रार की नियुक्ति की गई थी। इन रजिस्ट्रारों की नियुक्ति के बाद पुराने रिश्तेदारों ने काम करना बंद कर दिया है। वहीं दूसरी और नए रजिस्ट्रारों ने अभी तक अपना कार्यभार नहीं संभाला है। इसके चलते विद्यार्थियों के साथ-साथ शिक्षकों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
उच्च विद्यालय के एक टीचर ने बताया कि लगभग ढाई महीने बीतने के बाद भी उन्हें कॉपियों के मूल्यांकन का पारिश्रमिक नहीं दिया गया है जबकि पहले यह मूल्यांकन के तत्काल बाद ही दे दिया जाता था। इसके अलावा कई विद्यार्थियों के डिग्री और अन्य प्रमाण पत्रों का काम भी लटका हुआ है। बताया जाता है कि इस बार सभी रजिस्ट्रार आर्मी बैकग्राउंड से ताल्लुक रखते हैं। कहीं ब्रिगेडियर तो कहीं कर्नल रिटायर्ड अधिकारियों को यह जिम्मा सौंपा गया है। नई रजिस्ट्रार पदभार क्यों नहीं संभाल रहे हैं इसका कारण फिलहाल स्पष्ट नहीं हो पाया है। सरकार प्रयास कर रही है कि जल्द ही नए रजिस्ट्रार पदभार संभाल लें ताकि दिक्कत का सामना ना करना पड़े।
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