कुरुक्षेत्र (ओहरी )
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. कैलाश चन्द्र शर्मा ने कहा है कि भारत उच्च शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में विश्व में अग्रणी देशों में शामिल है। औपनिवेशिक शासन भारतीय शिक्षा के डाउनग्रेडिंग के लिए जिम्मेदार है। भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए उच्च गुणवत्ता का शोध आवश्यक है। पीएचडी कर रहे शोधार्थियों को आजकल के सांख्यिकी तकनीकों की जानकारी एवं प्रशिक्षण लेना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय तथा अन्य संस्थानों से आए शोधार्थियों के लिए आयोजित यह सात दिवसीय कार्यशाला इस दिशा में एक उपयोगी कदम है। वे शुक्रवार को विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में यूनिवर्सिटी स्कूल आफ मैनेजमेंट द्वारा 27 अप्रैल से 3 मई तक आयोजित बेसिक एंड एडवांसिस इन स्ट्रक्चरल इक्वेशन मॉडलिंग(सेईएम) विषय पर सात दिवसीय कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि आज के समय में भारत एक बार फिर उच्च शिक्षा व शोध के क्षेत्र में नई आयामों को छू रहा है व विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर है।
कार्यशाला में मेहमानों का स्वागत करते हुए विभागाध्यक्षा प्रोफेसर सुदेश ने विभाग की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंनें बताया कि विभाग छात्रों के हितों को ध्यान में रखकर सेमिनार एवं कांफ्रेंस, पूर्व छात्र मिलन, प्रबंधन सम्मेलन जैसे कार्यक्रम अब नियमित रूप से आयोजित किए जाते हैं। इस अवसर जीजीएसआईपी विश्वविद्यालय नई दिल्ली के प्रोफेसर संजीव मित्तल ने कहा कि एक उच्च कोटि के शोध के लिए शोधकर्ता के केंद्रित दृष्टिकोण का होना आवश्यक है। उन्होंने एक सफल शोध के विभिन्न अनिवार्यताओं को इंगित किया।
इस मौके पर डीन फेक्लटी ऑफ कॉमर्स एंड मैनेजमेंट प्रोफेसर मंजुला चौधरी ने कहा कि यह कार्यशाला शोध के क्षेत्र में प्रतिभागियों द्वारा आधुनिक सांख्यिकी तकनीकों के सीखने एवं प्रशिक्षण के तौर पर मील का पत्थर साबित होगी। इस मौके पर कार्यशाला के संयोजंक प्रो. अनिल मित्तल ने इस सात दिवसीय कार्यशाला के कार्यक्रम की रूपरेखा को प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में डॉ. प्रदीपिका ने मंच का संचालन किया। इस कार्यशाला में देश के विभिन्न हिस्सों से लगभग 60 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया है।