आजाद इदरीसी, हसनपुर
प्रखंड के देवधा स्थित प्राचीन राम जानकी मंदिर के परिसर में विगत 20 अप्रैल से आरंभ हुए श्री श्री 1008 श्री महारूद्र यज्ञ का पावन समापन सफलतापूर्वक हुआ। कलश एवं देवी देवताओं की प्रतिमाओं के साथ हजारों की संख्या में श्रद्धालु नर नारियों का जत्था जयकारा लगाते हुए लम्बी दूरी तय कर करेह नदी के तट पहुँचा जहाँ नदी के जल में विसर्जन किया गया ।बताते चले कि लगभग एक दशक से लम्बे अंतराल के पश्चात इस प्रकार का अनुष्ठान का आयोजन गाँव में किया गया जिसके द्वारा भारतीय संस्कृति की गौरवशाली परम्परा की झलक नयी पीढ़ी को देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ । सुबह की शुरुआत श्लोकों मंत्रों एवं रामधुन से होती थी तो दोपहर तक पूजन हवन एवं परिक्रमा की धूम मची रहती थी ।संध्या में संत रामविनोद राय जी एवं साध्वी देवी मंजूलता जी के द्वारा क्रमशः रामकथा एवं श्रीमद् भागवत की अमृतधारा प्रवाहित होती थी ।युवाओं एवं बच्चों के लिए व्यंजनों एवं झूलों की उत्तम व्यवस्था मेले में चार चाँद लगा रही थी ।रात्रि में जगमगाती प्रकाश की तो बात ही निराली थी ।दूरदराज से आनेवाले अतिथियों के विश्राम एवं भोजन का इंतजाम काबिले तारीफ था ।संपूर्ण यज्ञ अवधि में देवधा एक देवधाम के रूप में परिवर्तित दृष्टिगोचर हो रहा था।सचमुच इस क्षेत्र के लिए यह एक अद्भुत और अनूठा आध्यात्मिक आयोजन कहा जा सकता है जिसके द्वारा एक ओर जहाँ सामाजिक सद्भाव को काफी बल प्रदान किया गया वही दूसरी ओर विलुप्त हो रही भारतीय संस्कृति को संरक्षित करने का प्रयास किया गया जिसके लिए सर्वश्री योगानंद राय, गजेन्द्र राय,श्रीकांत राय, गौरीशंकर राय,रंजीत राय, भवेश राय, रामकिशोर राय, हरिशंकर राय, मुकेश राय, समरजीत राय, दिनेश राय, केदार राय, भागवत पासवान, गोपाल पोद्दार, अमन झा, कमलेश झा, गौरव झा, प्रमोद झा, अशोक निषाद आदि काफी लोग सक्रिय रहे।