विचार

प्रज्ञा यादव की कविताएं – 1

Share now

जिस्म को छू के तो कोई भी प्यार जता लेता है…
कोई रूह से इश्क जताए तो क्या बात है.
देखते तो हैं सब जिस्म की शोखियां…
किसी को रूह से मोहब्बत हो जाये तो क्या बात है.
औरत के जिस्म को बेपर्दा करके तो की मोहब्बत…
जिस्म को उसके ढांक के हो जाये तो क्या बात है.
हवस अपनी आंखों से मिटाकर कभी तो महसूस करो…
स्नेह का दिया जलाओ अपनी रूह में तो क्या बात है.
उसकी सिसकियां तुमने सुनी नहीं कभी
उसकी आंखों से आंसू गिरने का सबब न बनो तो क्या बात है…
अपनी हैवानियत से हमेशा उसे डराते हो तुम…
कभी इंसानियत भी दिखाई तो क्या बात है.
वैसे तो छू जाते हो उसे तुम मगर…
उसके जज्बातों को भी छू जाओ तो क्या बात है.
वो तो हमेशा ही तुम्हारे प्यार में मरने को तैयार है…
तुम उसे जिन्दा रहने का अहसास दिलाओ तो क्या बात है.
कहकर तो देखो ये जिंदगी उसकी है और किसी की नहीं…
न तुम्हें वो पलकों पे बिठा ले तो क्या बात है.

कवयित्री परिचय :

उभरती कवयित्री सुश्री प्रज्ञा यादव मूल रूप से यूपी के इटावा जिले की रहने वाली हैं और वर्तमान में दिल्ली में रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही हैं| वह एक योगा टीचर भी हैं| आज से हम प्रज्ञा जी का कविता संग्रह प्रकाशित कर रहे हैं. इसमें आपको बेहतरीन कविताएं पढ़ने को मिलेंगी| अगर आप भी कुछ लिखना चाहते हैं तो हमारी इस मंच पर आपका स्वागत है| आप हमें ईमेल ID neerajjogi8885@gmail.com अथवा मोबाइल WhatsApp नंबर 7836028208 पर भेज सकते हैं. साथ में अपनी तस्वीर भेजना न भूलें|

Facebook Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *