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प्रज्ञा यादव की कविताएं : ‘ट्विंकल की आखिरी आवाज’

माँ बहुत दर्द सह कर बहुत दर्द देकर तुझसे कुछ कह कर मैं जा रही हूँ आज मेरी विदाई पर जब सहेलिया मिलने आयेगी सफ़ेद जोड़े में लिपटी देख सिसक सिसक कर मर जायेगी लड़की होने का खुद पर वो अफ़सोस जताएगी माँ तू उन्हें इतना कह देना दरिंदो की दुनिया में संभल कर रहना […]

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प्रज्ञा यादव की कविताएं -10, ‘अदब’

किसी ने खूब पूछा कि अदब भी एक कला है। .. सच है पर उसे निभा ले जाने वाला भी बड़ा कलाकार है। ऐसे ही कुछ सवाल …. अदब से झुकना फितरत है हमारी तो बेशक इसे मुकम्मल करते रहें लोग जहाँ में खुदा बने तो बनते रहें हम कौन सी खुदाई साथ ले जायेंगे […]

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प्रज्ञा यादव की कविताएं – 11

गिले अपनी मजबूरियों से  जिंदगी भी क्या अजब सवाल पूछती है क्यों दुःख और निराशा एक साथ देती है कुछ जी नहीं पा रहे हैं इनके बोझ तले कुछ ढूंढ रहे अपनी रिहाई के नए रास्ते पर चल सब रहे कुछ मन कुछ बेमन से कुछ अपनी पहचान से कुछ गुमनाम से कितनो को हैं […]

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प्रज्ञा यादव की कविताएं – 6

एहसास… थाम कर बादलों का काफिला मन हुआ छुप जाऊं मैं उनके तले देख लूंगा ओट से उस चांद को मखमली सी चांदनी बिखेरते कहते हो तुम लुकाछिपी क्या खेल है ? शोभता है क्या तुम्हें ये खेलना मिलो जीवन के यथार्थ से समझो क्या है जगत की वेदना सुनो ! बात तुमने है कही […]

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प्रज्ञा यादव की कविताएं-5

नारी सबसे महान तड़पती है आसमान में उड़ने की ख़्वाहिश में, रोको न इसको तुम, हवस की फरमाइश में। चाहती है हंसना, सांस लेना आजादी की आबो-हवा में, जकड़ो न इसे तुम, स्वार्थ की फरमाइश में। चाहती है डूबना, प्रकृति की अतुल्यता में, खींचो न इसे तुम, गर्त की गहराई में। चाहती है चलना, राहों […]

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प्रज्ञा यादव की कविताएं – 4

दिल पे मुश्किल है दिल की कहानी लिखना, जैसे बहते हुए पानी में पानी लिखना. बहुत आसां है किसी के दिल पे दस्तकें देना, जैसे अपने आईने में अक्स को पाना. ऐ आसमां समझाओ इन चांद तारों को, तुम रोक लो वापस इन बेलगाम हवाओं को, ये दुनिया ये लोग एक गहरा समंदर है, जितना […]

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प्रज्ञा यादव की कविताएं – 2

काफी बदल सी गई है जिंदगी तेरा यूं मेरे शहर में आना और ज़िंदगी में ख़ास बन जाना, ये एक महज इत्तेफाक तो नहीं जरूर साजिश रही होगी खुदा की भी इसमें पता नहीं क्या लिखा था इन हाथों की लकीरों में कि तू आया तो मगर जाने के लिए तेरे होने की खुशी से […]

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प्रज्ञा यादव की कविताएं – 1

जिस्म को छू के तो कोई भी प्यार जता लेता है… कोई रूह से इश्क जताए तो क्या बात है. देखते तो हैं सब जिस्म की शोखियां… किसी को रूह से मोहब्बत हो जाये तो क्या बात है. औरत के जिस्म को बेपर्दा करके तो की मोहब्बत… जिस्म को उसके ढांक के हो जाये तो […]