किसी ने खूब पूछा कि अदब भी एक कला है। .. सच है पर उसे निभा ले जाने वाला भी बड़ा कलाकार है। ऐसे ही कुछ सवाल ….
अदब से झुकना फितरत है हमारी
तो बेशक इसे मुकम्मल करते रहें
लोग जहाँ में खुदा बने तो बनते रहें
हम कौन सी खुदाई साथ ले जायेंगे
जिनमें होती है जान वही हैं झुकते
कर गुजरते औरों का मुंह नहीं तकते
जो चाहते सर्टिफिकेट वो लेते रहे
हम खाली ही आये और खाली जायेंगे.
क्या सोचे किस ने हम से क्या किया
अपना था कर्तव्य उसको निभा दिया
अवसरों की चाशनी में सूखे रहे खूब
बोलो मालिक को क्या मुंह दिखाएंगे
यह जिंदगी इतनी सरल भी तो नहीं
इंसान की पहचान फितरत से सही
अपनी पहचान से खुद पूछते सवाल
ये रस्में अदायगी भी खूब कर जायेंगे.