विचार

माँ, बहन, बेटी, पत्नी नारी तेरे रूप अनेक…

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माँ से ही सवेरा और माँ
से ही रात है।
माँ की ममता प्यार
अनमोल सौगात है।।
माँ पास में तो है
खुशी दुनिया जहान की।
माँ का स्पर्श सुखद मानो
प्रथम किरण प्रभात है।।

बेटियाँ ही हैं जो हर दम
माँबाप पे प्यार लुटाती हैं।
बेटियाँ एक नहीं दो वंशों
का उद्धार कराती हैं।।
नारी जगत जननी है वो
सृष्टि की रचनाकार।
प्रभु का एक रूप लेकर
बेटी जग में आती है।।

हर रिश्ते के मूल आधार
में बेटी होती है।
अपनो के सुख के लिए
अपना सुख खोती है।।
दो घरों में बराबर प्यार
बाँटती है हर बेटी।
त्याग की मूरत बेटी हर
दुख में पहले रोती है।।

नसीब वालों के आंगन में
सुंदर सी बेटी दिखती है।
भाग्य वालों को ही जन्म
में पुत्री मिलती है।।
ईश्वर का अवतार और
उपहार होती हैं बेटियाँ।
बड़ी किस्मत से आंगन
में यह कली खिलती है।।
रचयिता – एस के कपूर “श्री हंस”, बरेली

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