रिश्तों की किताब ,खोल कर
पढ़ते रहा करिये।
रिश्तों की किताब खोल कर
देखते रहा करिये।
मीठे बोल बोल कर आप
देखते रहा करिये।।
हर रिश्ता बहुत लाजवाब
अपने में होता है।
प्रेम तराजू में जरा तोल कर
देखते रहा करिये।।
रिश्तों का हिसाब महोब्बत
के पैमाने से होता है।
दिल से दिल तक एहसास
पहुंचाने से होता है।।
रिश्ता बदलता तुरंत दिल को
होता है महसूस।
रिश्तों का स्पर्श अपने गिरते
को उठाने से होता है।।
आप बांसुरी या बांस का तीर
बन सकते हैं।
रिश्तों की मिठास या बेवजह
तकरीर बन सकते हैं।।
आपके अपने हाथ है रिश्तों
को सहेज कर रखना।
आप चाहें खुद अपने हाथों
की लकीर बन सकते हैं।।
रचयिता।।एस के कपूर श्री हंस
बरेली।