विचार

अब शुरू हो गई जीवन की दूसरी पारी है।

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 वरिष्ठ नागरिक।।खेलनी है उसी जोश से दूसरी पारी अब हमको 

अब शुरू हो गई जीवन की
दूसरी पारी है।
अब अपनी रुचियाँ पूरी करने
की बारी है।।
जो अभिरुचि रह गई थी सुप्त
अब तक।
अब खत्म हो गई जैसे समय
की लाचारी है।।

मिल गई हमें जैसे कि दूसरी
जिंदगानी अब।
धर्मपत्नी की समझ में आ रही
कुरबानी अब।।
साथ पत्नी का और अधिक
भाने लगा है।
पत्नी लगती और अधिक प्यारी
दीवानी अब।।

छूटी हुई रिश्तों की दुनियादारी
निभानी है अब।
घर के बच्चों को भी जिम्मेदारी
सिखानी है अब।।
काम के बोझ से मुस्कुरा भी
ना पाये खुलकर।
हँसती हुई महफ़िल हमें
जमानी है अब।।

कुछ जीवन में सेवा कार्य करने
हैं अब हमको।
वरिष्ठ नागरिक के कर्तव्य भरने
हैं अब हमको।।
अपने अनुभव को बांटना है
समाज परिवार में।
कुछ धर्म कर्म परोपकार तरने
हैं अब हमको।।

रुकना नहीं थमना नहीं बढ़ना है
हमको आगे।
जोड़ने हैं अब दोस्ती के टूटे
हमको धागे।।
रखना है अपने स्वास्थ्य का खूब
ही ख्याल हमको।
ऊर्जा जोश का मिलन तन मन में
रोज़ हमारे जागे।।
रचयिता।।एस के कपूर श्री हंस
बरेली।

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