विचार

कैसे पायें अवसाद, तनाव एवं अतीत की बुरी यादों से छुटकारा

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एसके कपूर “श्रीहंस”

किसी के घटना या व्यक्ति के साथ आपका कटु अनुभव, आपके मनोस्थिति को खराब कर सकता है। यह अचानक होता है और अगर आप इससे मुक्त नहीं होते ,तो यह लंबे समय के लिए आपके दिमाग को बुरी तरह जकड सकता है। इसका आप पर ज्यादा कुप्रभाव हो भी सकता है। अगर आप बुरे खयालों के बीच खुद को कैद कर देते हैं, तो आपको उससे बाहर आने के लिए ज्यादा मेहनत करना पड़ सकती है।
आखिर कुछ लोग और घटनाएं आपको दुखी क्यों करती हैं ,यह जानकर आप उन बुरे विचारों से निकलने का प्रयास कर सकते हैं। कुछ छोटे उपायों पर ,अगर आप गौर करें, तो बुरे मूड से बाहर आना ,कठिन नहीं है।जो व्यक्ति या स्थिति आपको अप्रिय लगती है, उसे नकारात्मक ढंग से देखने के बजाय, सकारात्मकता के साथ देखें।
जो बात आपको बहुत ज्यादा परेशान कर रही है ,उससे अलग सोचने या कुछ नया करने का प्रयास करें।हमेशा सोचो, कि सुख दुःख जीवन का एक अभिन्न अंग हैं और आते जाते रहते हैं।
उन लोगों के साथ वक्त बितायें, जो आपको अच्छा सोचने के लिए प्रेरित करते हों या जिनके साथ वक्त बिताना आपको अच्छा लगता हो।
व्यायाम(एक्सरसाइज) करें, क्योंकि यह आपको किसी भी बुरे खयाल से निकलने में मदद करती है।बुरी यादें, बुरे ख्याल, आपके लिए , मन मस्तिष्क तोड़ कर रख देते हैं।इन्हें अपने जीवन, दिमाग में स्थायी रूप से जगह नहीं, बनाने नहीं दें।
सुस्त या खाली न रहें और कुछ न कुछ नया काम हाथ में लें। अगर आप सुस्त हो गए, तो उदासी और निराशा आप पर हावी हो जाएगी।रचनात्मक कार्य, आपको सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करते हैं।
कुछ न कुछ नया पढ़ने, सीखने ,करने, के लिए समय जरूर निकालें। शुरुआत में पढ़ने में, मन लगाना पड़ेगा ,लेकिन कुछ समय बाद आपको इसमें आनंद आने लगेगा।अपने मित्रों के साथ समस्या, गम,दर्द,गलती, ग़लतफहमी आदि को बांटें ,ताकि उसके बोझ से मुक्त हो सकें।लेकिन ,यह भी आप ध्यान रखें कि मित्र,संबंधी, इसका अनुचित फायदा नहीं उठा सकें।
कोई भी रोमांचक अथवा अपनी अभिरुचि की फिल्म ,टी वी,देखने के साथ भी, आप बुरे खयालों से ,मुक्ति पा सकते हैं। लेखन, गायन या पेंटिंग में, अगर आपकी रुचि है ,तो उसमें अपना समय लगाएं।आप पाएंगे कि ,उसके सुपरिणाम ,कितने अच्छे निकलते हैं।
अगर किसी बंद जगह या किसी कमरे में हैं तो वहां से बाहर निकलें। जान लीजिए एकान्त वास और अकेलेपन मैं जमीन आसमान का अंतर होता है।
कोई नई खाने पीने की वस्तु या नए व्यंजन को आजमाएं। किसी नई जगह जाकर, कुछ वक्त बिताएं।ऐसा करने से, मनोस्थिति परिवर्तित हो जाती है।
किसी भी शेष अधूरे काम को पूरा करने के लिए निकल पड़ें। चाहे यह बगीचे की सफाई हो या फिर मोटरबाइक आदि की सफाई या बैंक या बीमा कंपनी के काम।कभी भी आत्महत्या जैसे ख्याल मन में न लाएं।जान लें कि यह समस्या का निदान नहीं ,अपितु नई नई समस्याओं को ही जन्म देती हैऔर आपके सगे संबंधियों के लिए अति दुख का कारण।मन में सदा आशा को जगाए, नई सी उमंग और उत्साह को कदापि कम नहीं होने दें।एक सबसे बड़ी बात याद रखें, कि अपनी गलतियों व बुरे अनुभवों से सीखने का प्रयास करें।यदि आप इनसे सीखते हैं, तो यही आपके लिए सीढ़ी बन जाती हैं और नहीं तो फिर खाई।हमेशा ऊपर चढ़ने,बढने, चलने का प्रयास करें और आप पायेंगे कि रास्ता स्वयं ही बनता चला जाता है।यदि आप के जीवन में कोई बहुत बड़ा नुकसान हुआ है ,तो सोचिये आपके किसी साथी को उससे भी बड़ा नुकसान हुआ है।उस बुरे अनुभव के लिए आगे जीवन संवारने के काम लायें।आप पायेंगे, कि आपकी दशा और दिशा दोनों बदल रहें हैं।जान लीजिए ,कि अवसाद तनाव आदि सब कुछ अस्थायी बातें हैं और इनसे निकलना या यूँ कहें, कि बिखर कर संवारना, स्वयं आपके ही हाथ में है।

 

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