कुरुक्षेत्र, ओहरी
मॉरीशस भारतीय प्रवासियों की कर्म भूमि है। भारत मॉरीशस के लोगों के लिए आस्था का केंद्र है। भारत हमारे पूर्वजों की जन्म भूमि है। जब भारत में कुछ भी कष्ट होता है तो मॉरीशस को आंतरिक पीड़ा होती है। मॉरीशस लघु भारत के समान है। मॉरीशस और भारत आपस में बड़े और छोटे भाई जैसे हैं। मॉरीशस भारतीय जीवन मूल्यों का संगम है। यह विचार मॉरीशस के फेडरेशन ऑफ इंडियन आर्गेनाइजेशन के अध्यक्ष सुरेश रामबर्ण ने मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में व्यक्त किये।
मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा उन्हें सांस्कृतिक सेतु की भूमिका निभाने के लिए मातृभूमि गौरव सम्मान से नवाजा गया। सुरेश रामबर्ण ने समारोह में उपस्थित हिन्दी के विद्वानों व अन्य लोगों को अगस्त में मॉरीशस में होने वाले अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन का निमंत्रण भी दिया। मातृभूमि सेवा मिशन के संयोजक डॉ० श्रीप्रकाश मिश्र ने अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन में मिशन की तरफ से प्रतिनिधिमंडल भेजने का प्रस्ताव स्वीकार किया। सुरेश रामबर्ण ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि मॉरीशस भारतीय संस्कृति, सभ्यता, परंपरा, धर्म, दर्शन एवं आध्यात्म का अद्भुत संगम है। अनेक कठिनाइयों का सामना करते हुए भारत से सैंकड़ों वर्षों पूर्व बंधुवा मजदूर के रूप में मॉरीशस गये भारतीय मूल के लोगों ने अपनी पहचान को नहीं छोड़ा और अनवरत संघर्ष करके वहां अपनी सरकार स्थापित की। मॉरीशस में लघु भारत के दर्शन होते हैं। आश्रम परिसर पहुंचने पर वेदिक मंत्रोच्चारण और शंखध्वनि के साथ सुरेश रामबर्ण व उनकी पत्नी रानी रामबर्ण का स्वागत किया गया। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग की अध्यक्ष और मातृभूमि सेवा मिशन की वरिष्ठ सदस्य डॉ० पुष्पा रानी ने आये हुए सभी अतिथियों का आभार ज्ञापन किया। उन्होंने कहा कि मॉरीशस में हिन्दी का संरक्षण हमारे लिए प्रेरणा और मिसाल है। कार्यक्रम में डॉ० रानी रामबर्ण को भी शॉल भेंट कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर अनेक सामाजिक, धार्मिक, संस्थाओं के प्रतिनिधि एवं गणमान्य जन उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रीय गीत, वंदेमातरम् से हुआ।