राजेंद्र भंडारी, टनकपुर
हल्का सा पत्ता हिला, हल्की सी हवा चल तो समझो टनकपुर की बत्ती गुल हो गई| जी हां, पिछले कुछ दिनों से टनकपुर में बिजली का हाल कुछ ऐसा ही है| जब कभी भी आंधी है बारिश होती है तो सबसे पहले बत्ती गुल हो जाती है| आंधी बारिश भले ही आधे घंटे में बंद हो जाए लेकिन बिजली को वापस आने में कई घंटे गुजर जाते हैं|
बिजली विभाग के पास वाहनों की कोई कमी नहीं होती| कभी पेड़ गिरने का बहाना तो कभी तार टूटने का बहाना| बुधवार भी सारी रात बिजली गुल रही और लोग परेशान रहे| वीरवार को फिर वही हाल हो गया| वीरवार शाम को आंधी बारिश के कारण जो बिजली गुल हुई वह समाचार लिखे जाने तक वापस नहीं आ सकी|
कहने को टनकपुर में उत्तराखंड की दूसरी सबसे बड़ी जल विद्युत परियोजना NHPC है| यहां से बाहरी राज्यों को भी बिजली आपूर्ति की जाती है| इसके बावजूद टनकपुर के लोगों को बिजली नसीब नहीं हो रही है| बिजली विभाग की व्यवस्था हल्की सी आंधी बारिश में भी चरमरा जाती है| ऐसे में अधिकारियों की कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं| जनता का कहना है कि या विभाग के आला अधिकारी अपनी जिम्मेदारी ठीक तरीके से नहीं निभा रहे| अगर अधिकारी और कर्मचारी अपनी जिम्मेदारी समझते तो टनकपुर के लोगों को कभी भी बिजली संकट नहीं झेलना पड़ता| वहीं बिजली विभाग के उपखंड अधिकारी शोएब खान सरकारी फोन तक रिसीव करना मुनासिब नहीं समझते| इतना ही नहीं चंद रुपयों के लिए लोगों के बिजली कनेक्शन काटने वाला बिजली विभाग खुद टेलीफोन का बिल नहीं भर पाया और उसके कनेक्शन काट दिया गया है| ऐसे में विभागीय कार्य प्रणाली सवालों के घेरे में आती है| इतना ही नहीं टनकपुर में कई व्यावसायिक प्रतिष्ठान ऐसे हैं जिन्हें बिजली तो सप्लाई की जा रही है लेकिन उनसे बिजली का बिल घरेलू उपभोक्ता का ही वसूला जा रहा है| यह संस्थान कमर्शियल बिजली बिल अदा नहीं कर रहे| इसके बावजूद विभागीय अधिकारी कभी इनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं करते जिससे सरकार को लाखों रुपए के राजस्व का चूना लग रहा है| वही आम जनता की अधिकारी सुनने को तैयार नहीं होते| लोगों ने ऐसे लापरवाह अधिकारियों का तबादला दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों में करने की मांग की है|
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