उत्तराखंड

सरकार की उपलब्धियों को गिनाने और भुनाने पहाड़ चढ़े सांसद अजय टम्टा

Share now

नीरज सिसौदिया
केंद्रीय राज्य मंत्री और अल्मोड़ा के सांसद अजय टम्टा इन दिनों पहाड़ों की सैर कर केंद्र सरकार की उपलब्धियों को जन जनता के बीच गिनाने के साथ ही वर्ष 2019 में उन्हें भुलाने की जमीन तैयार करने में लगे हैं| कभी चंपावत कभी पिथौरागढ़ तो कभी धारचूला अजय टम्टा रोज कहीं ना कहीं जनसंवाद या बैठकें करते नजर आते हैं| पहाड़ों की सड़कों में सुधार हो रहा है| ऑल वेदर रोड पर जोर शोर से काम चल रहा है|
कांग्रेस उम्मीदवार प्रदीप टम्टा को हराकर पहली बार लोकसभा पहुंचे अजय टम्टा पहली ही बार में केंद्रीय राज्यमंत्री भी बन जाए| टम्टा के खाते में कपड़ा मंत्रालय तो आया लेकिन पहाड़ में एक भी उद्योग लगवा पाने में वह कामयाब नहीं हो सके| इतना ही नहीं अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज को मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया से जो झटका लगा है उस झटके को रोक पाने में भी अजय टम्टा नाकामयाब रहे| चुनावी वादे तो शायद टम्टा को याद भी नहीं| नामिक जैसे गांव आज भी सड़कों से महरूम हैं|
टनकपुर को बड़ी लाइन तो मिल गई लेकिन यह उपलब्धि अजय टम्टा के खाते में इसलिए नहीं आती क्योंकि यह प्रोजेक्ट दशकों पुराना है| हां, सत्ता में होने के कारण इसका श्रेय जरूर अजय टम्टा को जाएगा| अजय टम्टा ने 2019 की तैयारियां तेज कर दी हैं| 4 साल इलाके से दूरी बनाए रखने वाले टम्टा अब विकास का बहीखाता लेकर गली-गली घूमते नजर आ रहे हैं| चंपावत के कई इलाके बूंद-बूंद पानी के मोहताज बने हुए हैं| पहाड़ की स्वास्थ्य सुविधाएं और स्वास्थ्य व्यवस्था अभी चरमराई हुई है| उज्ज्वला योजना के तहत सरकार ने पहाड़ की गरीबों को भी रसोई गैस सिलेंडर और चूल्हा तो बांट दिया लेकिन उन्हें भराने के पैसे का इंतजाम कैसे होगा यह नहीं सोचा| पहाड़ की महिलाएं जंगल से लकड़ी काट कर उन पर चूल्हे में खाना बनाती हैं. इस लकड़ी का उन्हें कोई मोल नहीं चुकाना पड़ता| ऐसे में सरकार की ओर से दिए गए गैस चूल्हा और सिलेंडर सिर्फ घर की शोभा बढ़ाने के काम आ रहे हैं| खाना अब भी लकड़ियों के चूल्हे में ही बनता है| ऐसे में अजय टम्टा जाने कौन सी उपलब्धियां गिनाने के लिए निकले हैं| चंद टूटी हुई सड़कों और गलियों के निर्माण कार्य को अगर अजय टम्टा केंद्र सरकार की उपलब्धि मानते हैं तो सरकार का यह एहसान चलता 2019 के चुनावों में जरूर चुकाएगी|
बेरोजगारी अभी मुंह बाए खड़ी है| पहाड़ से पलायन रुकने का नाम नहीं ले रहा| अल्मोड़ा संसदीय क्षेत्र का सबसे बुरा हाल है| वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले और चुनाव प्रचार के दौरान अजय टम्टा ने पूर्व कांग्रेस सांसद प्रदीप टम्टा पर यह आरोप लगाए थे कि प्रदीप टम्टा कई इलाकों में तो गए ही नहीं| कई गांव की जनता ने तो प्रदीप टम्टा का चेहरा तक नहीं देखा है| अब बारी अजय टम्टा की है| जो प्रदीप टम्टा ने किया उसी राह पर अजय टम्टा भी चल पड़े| अल्मोड़ा संसदीय क्षेत्र है ही इतना बड़ा कि उसकी दूरी नापने में किसी भी सांसद के पैरों में छाले पड़ जाएं| जहां तक हो सका टम्टा ने प्रयास तो किया लेकिन आज भी कई इलाकों को अपने सांसद का इंतजार है| अजय टम्टा शायद यह भूल गए कि सिर्फ अफसरों के साथ कुछ मिनट की मीटिंग कर जिम्मेदारी पूरी नहीं हो जाती| जनता उन 4 वर्षो का हिसाब मांग रही है| अगर आज हिसाब ना मिला तो आगामी लोकसभा चुनाव में जवाब जरूर मिलेगा| चंपावत जिले में एक भी सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट नहीं लग सका क्योंकि ना तो अधिकारियों ने इस और दिलचस्पी दिखाई और ना ही जनप्रतिनिधियों ने| अजय टम्टा केंद्रीय मंत्री तो बन गए लेकिन अपने संसदीय क्षेत्र के नाम कोई बड़ी उपलब्धि दर्ज नहीं करा सके| बहरहाल, अजय टम्टा का यह कार्यकाल कितना सफल रहा यह तो आने वाला लोकसभा चुनाव ही बताएगा| पिछली बार तो मोदी लहर ने अजय टम्टा को सत्ता के समुंदर तक पहुंचा दिया था लेकिन इस बार लहरों ने रुख मोड़ लिया है| ऐसे में आगामी लोकसभा चुनाव काफी दिलचस्प होगा|

धारचूला के कई इलाकों में जनता से मिले अजय टम्टा


अजय टम्टा ने आज धारचूला विधानसभा के विभिन्न क्षेत्रों कालिका, बलुवाकोट,जौलजीबी आदि क्षेत्रों में जाकर स्थानीय जनता से जनसंवाद कर केंद्र सरकार की चार वर्ष की उपलब्धियों के बारे में बताया और क्षेत्र की समस्याओं का संज्ञान लेकर शीघ्र समाधान का क्षेत्रीय जनता को आश्वासन दिया|

Facebook Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *