नीरज सिसौदिया, जालंधर
कांग्रेस के सत्ता में आने के बावजूद नगर निगम में भ्रष्टाचार का खेल चरम सीमा पर चल रहा है| सत्ताधारियों के हाथों की कठपुतली बने नगर निगम कमिश्नर बसंत गर्ग बिल्डिंग इंस्पेक्टर रुपेंद्र सिंह टिवाणा और म्युनिसिपल टाउन प्लानर मेहरबान सिंह के कथित भ्रष्टाचार पर कोई अंकुश लगाने में कामयाब नहीं हो सके| बिल्डिंग इंस्पेक्टर रुपेंद्र सिंह तिवाना और एमटीपी मेहरबान सिंह ने इस बार तो सारी हदें पार कर डाली हैं| उन्होंने चीफ विजिलेंस अफसर के आदेशों को भी दरकिनार कर दिया है| कांग्रेस पार्षद कमलजीत कौर गुल्लू के पति मोहिंदर सिंह की जिस बिल्डिंग को अवैध की जांच के बाद अवैध करार देते हुए चीफ विजिलेंस अफसर ने उसे डिमॉलिश करने के आदेश दिए थे उसे डिमॉलिश करना तो दूर बिल्डिंग इंस्पेक्टर टिवाना व एमटीपी मेहरबान सिंह की कथित मिलीभगत से उस अवैध इमारत का काम दोबारा शुरू करवा दिया गया है|
आरटीआई एक्टिविस्ट रविंद्र पाल सिंह चड्ढा ने इसकी शिकायत स्थानीय निकाय मंत्री पंजाब सरकार नवजोत सिंह सिद्धू, प्रिंसिपल सेक्रेटरी और नगर निगम जालंधर के कमिश्नर बसंत गर्ग से की है| चड्ढा के मुताबिक होटल रेड पटेल के पास प्लॉट नंबर 6 गोपाल नगर में रेजिडेंशियल बिल्डिंग में कमर्शियल बिल्डिंग का काम अवैध रूप से दोबारा शुरू कर दिया गया है जबकि इस इमारत को डिमॉलिश करने के आदेश खुद चीफ विजिलेंस अफसर ने मामले की जांच के बाद दिए थे| इस अवैध इमारत का निर्माण कार्य दोबारा शुरू होने पर रविंद्र पाल सिंह ने सीनियर टाउन प्लानर और असिस्टेंट टाउन प्लानर को फोन कर इसकी शिकायत भी की थी लेकिन इसके बावजूद टिवाना और मेहरबान सिंह की मिलीभगत के चलते इस बिल्डिंग का काम रुकवाया नहीं गया| सीवीओ ने इस बिल्डिंग की जांच कर इसे अवैध पाते हुए 29 दिसंबर 2017 को बिल्डिंग इंस्पेक्टर और एटीपी को चार्जशीट किया था और बिल्डिंग को ध्वस्त करने के आदेश दिए थे| इतना ही नहीं इस प्लॉट नंबर 6 कि जालंधर इंप्रूवमेंट ट्रस्ट की ओर से 70 लाख रुपए नॉन कंस्ट्रक्शन चार्ज के लिए बिना ही नो ड्यूस सर्टिफिकेट जारी कर दिया गया| रविंद्र पाल सिंह चड्ढा ने मांग की है कि b.a. नंबर 120 दिनांक 1 जुलाई 2013 का नक्शा भी कैंसिल किया जाए ताकि सरकारी खजाने में एक करोड़ रुपए जमा हो सकें| साथ ही उन्होंने कमर्शियल बिल्डिंग को डिमॉलिश करने की भी मांग की है| इसके अलावा चड्ढा ने कहा कि बिल्डिंग इंस्पेक्टर रुपेंद्र सिंह टिवाना और एमटीपी मेहरबान सिंह को नौकरी से डिसमिस किया जाए जो ना तो आला अधिकारियों के आदेशों की परवाह करते हैं और ना ही बिल्डिंग बायलॉज की परवाह करते हैं| उन्होंने यह भी आरोप लगाए कि रुपेंद्र सिंह और मेहरबान सिंह की मिलीभगत से सिर्फ यही इमारत नहीं बन रही बल्कि शहर भर में सैकड़ों अवैध बिल्डिंग का निर्माण इन्हीं दोनों अधिकारियों की मिलीभगत से किया गया है|
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