रामचंद्र कुमार अंजाना, बोकारो थर्मल
बोकारो थर्मल स्थित लालचौक के त्रिलोचन मंदिर के प्रांगण में आयोजित तीन दिवसीय रामचरित्र मानस यज्ञ को लेकर आज ध्वजारोहण किया गया । बनारस से आये यज्ञ कर्ता बिरेंद्र पांडेय व आचार्य सुनील कुमार शास्त्री ने पुजा-अर्चना कर ध्वजारोहण कर शोभा यात्रा निकाली। शोभा यात्रा लाल चौक से होते हुए बाजारटांड व जरवाबस्ती हनुमान मंदिर पहुंचा। शोभा यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं की जय श्रीराम, जय हनुमान की जयकारों से विधुत नगरी गुंजमान हो गया। शोभा यात्रा मेंं पुजारी सुनील कुमार, रोहीत महतो, आनंद शर्मा, ऊतम वर्णवाल, परमेश्वर साव, आनचौटे बाबा, बिनोद सिंह, राहुल कुमार, संतोष रंजक, मनीष कुमार, तिलक महतो, नितेश कुमार, दिनेश रजक सहित सैकड़ों श्रद्धालु शामिल थे।
हमें अपने जीवन के मूल्यों व आदर्शों पर चलने की प्रेरणा देती है : राम कथा
प्रभू राम की कथा हमें अपने जीवन मूल्यों व आदर्शों पर चलने की प्रेरणा देती है। इन आदर्शों व मूल्यों पर चलकर हम अपना जीवन धन्य कर सकते हैं। प्रभु राम ही सुख हैं, दु:ख हैं और वह ही सारे दु:खों का निवारण हैं। उनकी भक्ति में रमकर हम इन सांसारिक मोह-मायाओं से विरक्त हो सकते हैं। यह प्रसंग बनारस सेआये यज्ञ कर्ता बिरेंद्र पांंडेय व आचार्य सुनील शास्री ने कहा।
उन्होंने अनुसूईया के पतिव्रत धर्म की कथा सुनाते हुए बताया कि सती अनुसूईया महर्षि अत्री की पत्नी थी। जो अपने पतिव्रत धर्म के कारण सुविख्यात थीं। एक दिन देव ऋषि नारद जी बारी-बारी से विष्णुजी, शिवजी और ब्रह्मा जी की अनुपस्थिति में विष्णु लोक, शिवलोक तथा ब्रह्मलोक पहुंचे। वहां जाकर उन्होंने लक्ष्मीजी, पार्वती जी और सावित्री जी के सामने अनुसुईया के पतिव्रत धर्म की बढ़चढ़ कर प्रशंसा की। नारद ने आगे कहा कि समस्त सृष्टि में उससे बढ़कर कोई पतिव्रता नहीं है। तीनों देवियां को अनुसुइया से ईष्र्या होने लगी। तीनों देवियों ने ब्रह्मा, विष्णु और शिव से अनुसूईया का पतिव्रत धर्म खंडित कराने की जिद्द की। तीनों देवों ने साधु वेश धारण किया तथा अत्रि ऋषि के आश्रम पर पहुंचे। उस समय अनुसूईयाजी आश्रम पर अकेली थी। साधुवेश में तीन अतिथियों को द्वार पर देखकर अनुसूईया ने भोजन ग्रहण करने का आग्रह किया।