कुरुक्षेत्र , (ओहरी )
आज राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान कुरुक्षेत्र में दिव्यांग युवाओं के लिए राष्ट्रीय आईटी चुनौती 2018 आरम्भ हुई। दो दिन लंबी यह प्रतियोगिता दिव्यांग युवाओं के सशक्तिकरण विभाग (डीईपीडब्ल्यूडी) व सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के सहयोग से हो रही है । यह प्रतियोगिता विशेष रूप से 13-21साल के दिव्यांग युवाओं के मध्य है और यह आईटी के क्षेत्र में व्यक्तिगत और समूह दक्षताओं के लिए एक परीक्षण आधार है। यह प्रतियोगिता दिव्यान्ग्जनों की चार श्रेणियों अर्थात् शारीरिक, दृश्य, श्रवण और बौद्धिक के मध्य है।
उद्घाटन समारोह आज सुबह प्रतिष्ठित व्यक्तियों द्वारा आरम्भ हुआ जैसी कि मुख्य अतिथि सुश्री डोली चक्रवर्ती, संयुक्त सचिव, दिव्यांग युवाओं के सशक्तिकरण विभाग और सामाजिक न्याय व कल्याण मंत्रालय, प्रोफेसर वी के अरोड़ा, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान कुरुक्षेत्र के कार्यकारी निदेशक, श्री डी के पांडा;दिव्यांग युवाओं के सशक्तिकरण विभाग के सहसचिव तथा प्रोफेसर आशुतोष कुमार सिंह प्रतियोगिता के संयोजक। स्वागत संबोधन में प्रोफेसर आशुतोष ने भारत में दिव्यांगजनों के आंकड़ों का उल्लेख किया और दिव्यांगजनों के लिए सूचना प्रौद्योगिकी की भूमिका को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि डब्ल्यूएचओ और विश्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, दुनिया के प्रत्येक 100 लोगों में से 15 दिव्यांग है जो की लगभग एक अरब हैं । भारत की जनगणना 2011 के आंकड़ों के मुताबिक; भारत में दिव्यांगजनों की आबादी 2.68 करोड़ है। उन्होंने कहा कि कंप्यूटर क्षेत्र दिव्यांगजनों के लिए सबसे अच्छा क्षेत्र है। मुख्य अतिथि सुश्री डॉली ने बताया कि समावेशी एजेंडा आज की सबसे ज्यादा आवश्यकता है, और सामाजिक कल्याण व न्याय मंत्रालय दिव्यांग युवजनों को सशक्त बनाने और उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाने की दिशा में काम कर रहा है। उन्होंने यह भी बल दिया कि दिव्यांग लोगों के लिए राष्ट्रीय आईटी चुनौती का संगठन निश्चित रूप से दिव्यांग लोगों के प्रतिभा संग्रह को समृद्ध करेगा और दिव्यांग लोगों के सामाजिक और आर्थिक मोर्चे पर भी प्रभाव डालेगा। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि दिव्यांग लोगों को समाज के मुख्यधारा में लाने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए एनआईटी कुरुक्षेत्र हमारा सक्रिय भागीदार है। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण, दिव्यांग जनों को सशक्त बनाने के लिए महत्वपूर्ण कारक है। उन्होंने कहा कि इस प्रतिस्पर्धा में विजेता उम्मीदवार 7-11 नवंबर, 2018 के दौरान दिल्ली में आयोजित दिव्यांग के लिए वैश्विक आईटी चुनौती (जीआईटीसी), 2018 में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। इस वैश्विक प्रतिस्पर्धा का आधार मुख्य रूप से पुनर्वास अंतर्राष्ट्रीय कोरिया द्वारा किया गया था 7 इस वैश्विक प्रतियोगिता में 24 एशिया प्रशांत देशों से 300 प्रतिभागियों की उम्मीद है जिनमे 120 युवा दिव्यांग जन होंगे । प्रो अरोड़ा ने कुछ लोगों के मूल्यवान अनुभव साझा करके सभी को संवेदनशील बना दिया, जिनके पास गंभीर अक्षमता है लेकिन उन्होंने अपने करियर में पूर्ण सफलता प्राप्त की। जैसे कि शेखर नाइक एक दिव्यांग जन , जिसने 2012 में टी 20 ब्लाईंड क्रिकेट विश्व कप और 2014 में ब्लाइंड क्रिकेट विश्व कप में जीत हासिल की। 2017 में भारत सरकार ने नायक को पद्मश्री से सम्मानित किया। उन्होंने यह भी कहा कि चूंकि देश, गरीबी में कमी और न्यायसंगत विकास सुनिश्चित करने के लिए उत्सुक है, इसलिए यह आवश्यक है कि सभी युवाओं के पास समाज के उत्पादक सदस्य बनने के समान अवसर हों तथा दिव्यांग युवा सभी अधिकारों और नागरिक लाभों का आनंद लें। उन्होंने पूरे भाषण को एक पंक्ति में निष्कर्ष निकाला आपके पास विकलांगता नहीं है; आप अलग-अलग क्षमता वाले व्यक्ति हैं। उद्घाटन समारोह भारत के विभिन्न स्थानों से विशाल दर्शकों को पंजीकृत कर सकता है। यह कार्यक्रम में श्री डी के पांडा (दिव्यांग युवाओं के सशक्तिकरण विभाग के सहसचिव), डॉ सारिका, डॉ अश्विनी, सुश्री पल्लवी, आशीष, डॉ नवीन और अन्य संकाय सदस्यों, छात्रों और प्रतिभागियों की उपस्थिति से सम्मानित हुआ । अंत में कार्यक्रम, हॉल में उपस्थित मेहमानों और अन्य दर्शकों के लिए धन्यवाद के साथ समाप्त हुआ।
फोटो : कार्यक्रम के दौरान मुख्यअतिथि सुश्री डोली चक्रवर्ती, प्रो. वी.के. अरोड़ा, प्रो. सतहंस व प्रो. आशुतोष कुमार सिंह कार्यक्रम के सोविनियर का विमोचन करते हुए।