पंजाब

जालंधर में बिखरने लगी कांग्रेस, निगम हाउस की बैठक में दिखा परगट का असर, रिंकू बेअसर

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नीरज सिसौदिया, जालंधर
गर्मी के साथ ही जालंधर का सियासी पारा भी इन दिनों चढ़ने लगा है. जालंधर में कांग्रेस अब बिखरने लगी है| वर्चस्व की जंग में एक गुट के पर कतरे जा रहे हैं तो वहीं दूसरे गुट को खुश करने की कोशिशों में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही| सोमवार को संपन्न हुई नगर निगम हाउस की बैठक में जो सबसे अहम फैसला लिया गया वह यह दर्शाता है कि जालंधर की सियासत में परगट सिंह का असर बढ़ता जा रहा है और जालंधर वेस्ट के विधायक सुशील कुमार रिंकू को बेअसर किया जा रहा है| इस बार मोहरा बने हैं मेयर जगदीश राज राजा और कुछ कांग्रेस पार्षद|

मेयर जगदीश राज राजा

दरअसल, सुशील कुमार रिंकू और जगदीश राज राजा की तल्खियां नई नहीं हैं| पिछले सदन में जब सुशील कुमार रिंकू पार्षद बन कर आए थे तो रिंकू ने राजा का दामन थामने की बजाय अपना अलग डायनामिक ग्रुप बना लिया था| भाजपा नेताओं के साथ बेहतर रिश्तों और एक आला कांग्रेस नेता के वरदहस्त ने रिंकू के परों को परवाज दी| देखते ही देखते सुशील कुमार रिंकू विधानसभा का सफर तय कर गये| कई दिग्गज कांग्रेसियों को पछाड़ते हुए रिंकू ने यह फासला तय किया था| यही वजह थी कि सुशील कुमार रिंकू जालंधर की आला कांग्रेस नेताओं की आंखों की किरकिरी बन गए| रिंकू का कद देखते ही देखते बढ़ता जा रहा था और एक IPS अधिकारी का तबादला करवाने के बाद रिंकू की तूती बोलने लगी थी| जालंधर के कुछ आला नेताओं को यह रास नहीं आया| अब तक जालंधर में कांग्रेस नेताओं के नाम पर जो नाम सबसे ऊंचाई पर था वह अवतार हेनरी का था लेकिन हेनरी के इस नाम के साथ रिंकू नाम की लकीर बढ़ती जा रही थी| उधर जालंधर कैंट के विधायक विधायक परगट सिंह भी अकाली दल का दामन छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए| राजा मेयर बनना चाहते थे और उनकी राह में सबसे बड़ा रोड़ा सुशील कुमार रिंकू और परगट सिंह ही थे| अवतार हेनरी और राजेंद्र बेरी का राजा को पूर्ण समर्थन प्राप्त था| सियासत ने पलटी मारी और राजा बाजी मार ले गए| राजा को मेयर बनाने में अवतार हेनरी, राजेंद्र बेरी के साथ ही परगट सिंह का भी मौन समर्थन रहा| हालांकि, राजा व अवतार हेनरी समर्थक कांग्रेस पार्षदों बलदेव सिंह देव और प्रदीप राय की टिकट कटवाने में रिंकू कामयाब हो गए.


अब बारी थी सुशील कुमार रिंकू को आगे बढ़ने से रोकने की| पहली चोट रिंकू के आर्थिक मददगारों पर की गई| जिस दिन कैप्टन जिले में आए उसी दिन नवजोत सिंह सिद्धू जालंधर में छापेमारी करने पहुंचे| इस कॉलोनी को सिद्धू ने निशाना बनाया वह कॉलोनी सुशील रिंकू के खासमखास मेजर सिंह की थी| रिंकू अभी विरोध प्रदर्शन में लगे ही थे कि सोमवार की नगर निगम हाउस की बैठक में वरियाणा डंप को लेकर एक और ऐसा फैसला किया गया जो रिंकू को कमजोर साबित करने के लिए काफी है| हैरानी की बात है कि मेयर जगदीश राजा ने इस संबंध में सुशील रिंकू की पत्नी सुनीता रिंकू तक की एक नहीं सुनी| जिस सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट के लिए जमशेर में जगह मौजूद है उसके लिए हरियाणा में नई जगह खरीदने का प्रस्ताव पास कर दिया गया| यह प्रस्ताव ऐसे समय में पास किया गया है जबकि नगर निगम आर्थिक तंगी से जूझ रहा है|


दरअसल, यह प्रस्ताव जालंधर कैंट के कांग्रेस विधायक परगट सिंह को खुश करने के लिए पास किया गया है| बता दें कि जब अकाली-भाजपा गठबंधन नगर निगम पर काबिज था और सुनील ज्योति मगर थे तो उन्होंने अपने अथक प्रयासों से जमशेर में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट पास करवा दिया था और उसकी एनओसी भी ले ली गई थी| लेकिन तत्कालीन अकाली विधायक परगट सिंह के विरोध के कारण यह प्लांट वहां नहीं लग सका| प्लांट न लगने की सबसे बड़ी वजह सूत्र बताते हैं कि एक बड़ा बिल्डर है| यह बिल्डर एक बड़े भूभाग में अपना प्रोजेक्ट डेवलप करने जा रहा है लेकिन उसकी राह में सबसे बड़ा रोड़ा यही सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट था क्योंकि इस प्लांट की वजह से उस जमीन पर उक्त बिल्डर को अपने हाउसिंग प्रोजेक्ट के लिए एनओसी नहीं मिल पा रही है| सूत्र बताते हैं कि यह बिल्डर परगट सिंह का करीबी है| इसी बिल्डर को फायदा पहुंचाने के लिए परगट सिंह लगातार सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट का विरोध करते आ रहे हैं| सूत्र यह भी बताते हैं कि राजभर को बीयर बनाने के लिए परगट सिंह ने इसी शर्त पर समर्थन दिया था कि वह जमशेर में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट नहीं लगने देंगे| सूत्र बताते हैं कि उक्त बिल्डर का प्रोजेक्ट अरबों रुपए का है|

https://youtu.be/TCQp3hFRwWw
सियासत के इस खेल में रिंकू अकेले पड़ गए| जालंधर बेस्ट विधानसभा क्षेत्र के कुछ कांग्रेस नेता तो रिंकू के साथ हैं लेकिन वहां भी कुछ कांग्रेसी नेता उनके विरोधी हैं| स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की कार्यवाही का विरोध कर सुशील रिंकू आलाकमान की नजरों में भी खटकने लगे हैं| वजूद की इस लड़ाई में सुशील रिंकू किस मोड़ पर जाकर रुकते हैं यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा लेकिन जालंधर में कांग्रेस की गुटबाजी जरूर सड़कों पर आ गई है| देशभर में नाकामी का दंश झेल रही कांग्रेस के लिए पंजाब की एकमात्र गर्व का विषय बचा था लेकिन अब वहां पर भी बिखरती कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनाव में कुछ और ही गुल खिलाएगी| एक निजी चैनल से साक्षात्कार में रिंकू खुद यह स्वीकार कर चुके हैं कि 8 साल के कार्यकाल में पंजाब सरकार आम जनता के पक्ष में कोई खास उपलब्धि दर्ज नहीं कर सकी है| बहरहाल कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई के सड़कों पर आने का फायदा अकाली-भाजपा गठबंधन को आने वाले समय में जरूर मिलेगा|

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