पंजाब

40 फीसद आबादी को साधना है तो कांग्रेस को बनाना होगा सिख जिला प्रधान

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नीरज सिसौदिया, जालंधर
कांग्रेस के जालंधर शहरी जिला प्रधान की नियुक्ति से पहले कांग्रेस हाईकमान विभिन्न पहलुओं पर विचार कर रहा है| इसमें सबसे अहम पहलू वोटों का जातीय व  धार्मिक समीकरण है. बात अगर चार विधानसभा हलकों की करें तो नॉर्थ, कैंट, वेस्ट व सेंट्रल के लगभग 40 फीसद वोटर सिख आबादी है| शेष 60 फीसद आबादी में हिंदू, मुस्लिम, ईसाई और विभिन्न धर्मों के लोग शामिल हैं|
बात अगर अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार के कार्यकाल की करें तो शहरी सिखों को साधने के लिए अकाली दल ने पूरा इंतजाम किया हुआ था| एक समय था जब विधायक सरबजीत सिंह मक्कड़ थे, अकाली दल के जिला प्रधान गुरचरण सिंह चन्नी थे और इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के चेयरमैन का पद बलजीत सिंह नीलामहल को सौंपा गया था| तीनों अहम पदोंं पर सिख नेेेेता काबिज थे. हिंदू व सिख नेताओं के बीच संतुलन बनाने के लिए अकाली दल ने यह तरकीब निकाली थी| सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस भी इस बार यही रास्ता अपनाने की तैयारी कर रही है|
अगर ऐसा हुआ तो कांग्रेस जिला प्रधान के लिए पूर्व पार्षद बलदेव सिंह देव की दावेदारी और भी मजबूत हो जाएगी| वैसे इसका फायदा वर्तमान जिला प्रधान दलजीत सिंह आहलूवालिया को भी मिल सकता है| दोनों ही सिख बिरादरी से ताल्लुक रखते हैं| ऐसे में मनोज अरोड़ा और बलराज ठाकुर की राह मुश्किल हो सकती है| अब चूंकि हिंदू मेेेयर बन चुका है तो जिला प्रधान पर सिखों का दावा लाजमी है.

दलजीत सिंह आहलूवालिया

हिंदू और सिख वोटों का संतुलन बनाना कांग्रेस के लिए बहुत जरूरी है| शहरी सिख आबादी को आगामी लोकसभा चुनाव के लिए साधना है तो कांग्रेस को एक सिख चेहरे को पार्टी का चेहरा बनाना होगा| वर्तमान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार और भारतीय जनता पार्टी ने खुद को हिंदुत्व के चेहरे के तौर पर पेश किया है| आगामी लोकसभा चुनाव में भी भाजपा हिंदू वोटों को इसी तर्ज पर साधने के प्रयास में है| ऐसे में हिंदू वोटों का बंटवारा निश्चित है| अब अगर सिख भी हाथ से निकल गये तो कांग्रेस सिवाय हाथ मलने के कुछ नहीं कर पायेगी.

हिंदू वोटरों को साधने के लिए कांग्रेस के पास जालंधर में विधायकों का हुजूम है लेकिन सिख आबादी को साधने के लिए कांग्रेस के पास फिलहाल एकमात्र चेहरा दलजीत सिंह आहलूवालिया के रूप में ही था| अब अगर दलजीत सिंह आहलूवालिया से जिला प्रधान की कुर्सी छीनी जाती है तो कांग्रेस को एक ऐसे सिख चेहरे की जरूरत होगी जो बिरादरी में मजबूत पकड़ रखता हो और साथ ही उसे विधायकों का भी समर्थन प्राप्त हो ताकि संगठन में बगावत बुलंद ना हो सके| ऐसे में एकमात्र चेहरा बलदेव सिंह देव ही नजर आते हैं| अवतार हेनरी से बलदेव सिंह देव कि नज़दीकियां किसी से छुपी नहीं हैं| बताया जाता है कि गत विधानसभा चुनाव के दौरान जब पूर्व मंत्री अवतार हेनरी की टिकट काट दी गई थी तो बलदेव सिंह देव ने इसका खुलकर विरोध करते हुए कांग्रेस पार्टी से इस्तीफे तक की पेशकश कर दी थी| इसके बाद जब बावा हेनरी को टिकट दी गई तब बलदेव सिंह देव कांग्रेस के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने लगे| यही वजह है कि बावा हेनरी और सेंट्रल के विधायक राजेंद्र बेरी भी बलदेव सिंह देव का समर्थन करते हैं|


कांग्रेस को यह भी ध्यान में रखना होगा कि वह पार्टी के लिए ऐसा जिला प्रधान चुने जो आगामी विधानसभा चुनाव के लिए भी पार्टी के लिए वोटों का ध्रुवीकरण कर सके| क्योंकि मौजूदा सरकार के खिलाफ हर विधानसभा चुनाव के दौरान थोड़ी-बहुत एंटी इनकंबेंसी का माहौल रहता है इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि जिले में पार्टी का नेतृत्व करने वाला चेहरा कम से कम अपनी बिरादरी को जोड़े रखने में समर्थ हो| सामाजिक संरचना पर गौर करें तो जालंधर जिला प्रधान की कुर्सी पर एक सिख का बैठना जरूरी हो जाता है| ऐसे में जालंधर में कांग्रेस के पास सिर्फ दो विकल्प रह जाते हैं| पहला यह कि वह पूर्व प्रधान दलजीत सिंह आहलूवालिया को ही दोबारा प्रधान नियुक्त करे अथवा बलदेव सिंह देव को उनकी जगह बिठाए| साफ सुथरी छवि वाले बलदेव सिंह देव न सिर्फ सिख चेहरा हैं बल्कि विधायकों से अच्छी जुगलबंदी के चलते वह हिंदू वोटरों को भी साधने में सक्षम हो सकते हैं|
बहरहाल, जालंधर का नया शहरी जिला प्रधान कौन होगा यह फैसला तो प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की अनुशंसा पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को करना है लेकिन अगर कांग्रेस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कांग्रेस मुक्त भारत के सपने को रोकना चाहती है तो उसे जिलों की कमान भी सोच समझकर समक्ष हाथों में सौंपनी होगी|

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