नीरज सिसौदिया, जालंधर
सियासत के खेल बड़े निराले होते हैं| एक ठोकता है तो दूसरा रोकता है| जब मंत्रियों के फैसले ही पलटने लगे तो फिर सुधार की उम्मीद बेमानी हो जाती है| ऐसा ही कुछ इन दिनों पंजाब की सियासत में हो रहा है| एक तरफ स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग छेड़ रहे हैं तो दूसरी तरफ कैप्टन अमरिंदर सिंह उनके फैसले को पलट कर सुपर पावर होने का संकेत दे रहे हैं| ऐसे में पंजाब का सियासी माहौल गर्मा गया है|
मामला अवैध बिल्डिंग और अवैध कॉलोनियों के खिलाफ कार्रवाई का है| गत 14 जून को स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने जालंधर का दौरा किया था| अवैध बिल्डिंगों और अवैध कॉलोनियों के खिलाफ सख्ती दिखाई थी| 93 बिल्डिंगों को चिन्हित कर उनकी लिस्ट और उनकी कार्रवाई की रिपोर्ट नगर निगम के मेयर जगदीश राज राजा सिंह सिद्धू ने मांगी थी| सिद्धू ने जिस अवैध कॉलोनी बस चलाई थी और जिन कॉलोनियों को गिराने के आदेश दिए थे 19601 का विरोध जालंधर बेस्ट की विधायक सुशील कुमार रिंकू ने किया था| इसके बाद चारों विधायक एक हुए और मेरे जगदीश राज राजा को लेकर कल कैप्टन अमरिंदर सिंह के दरबार पहुंचे| कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सिद्धू की सख्ती को हवा में उड़ाते हुए अवैध बिल्डिंग के खिलाफ कार्रवाई पर रोक लगा दी| कैप्टन का कहना है कि जब तक नई पॉलिसी नहीं आ जाती तब तक किसी भी बिल्डिंग के खिलाफ कोई कार्यवाही ना की जाए|
अब सवाल यह उठता है कि आखिर कानून तोड़ने वालों को यह राहत क्यों दी जा रही है? क्या वह लोग बेवकूफ थे जिन्होंने कानून के अनुसार नक्शा पास कराए और फिर अपनी इमारतें नियम के अनुसार बनवाईं? अगर कानून तोड़ने वालों को संरक्षण दिया जाएगा तो फिर कानून का पालन कौन करेगा? क्या स्थानीय निकाय मंत्री की जुबान से निकली बात का कोई महत्व नहीं? अगर कैप्टन को इस संबंध में फैसला लेना था तो नवजोत सिंह सिद्धू से सलाह क्यों नहीं ली गई? क्या सिद्धू का फैसला गलत है?
दरअसल, नवजोत सिंह सिद्धू अपनी जगह एकदम सही हैं| कैप्टन अमरिंदर सिंह ने यह फैसला विधायकों और मेयर के दबाव में लेना पड़ा| सिद्धू की एक सख्ती नगर निगम के भ्रष्टाचार को तो खत्म कर ही सकती थी साथ ही कानून तोड़ने वालों के लिए सबक भी बन सकती थी| कैप्टन सिद्धू की मंशा पर पानी फेर दिया| कैप्टन के इस फैसले से कानून तोड़ने वालों के हौसले बुलंद हो गए हैं| अवैध कॉलोनियां काटने वाले कॉलोनाइजर एक दूसरे को मैसेज पर कैप्टन अमरिंदर सिंह की वह खबर भेज रहे हैं जिसमें यह कहा गया है कि वन टाइम सेटलमेंट पॉलिसी आने तक किसी भी बिल्डिंग के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी| स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू कि यह कैप्टन का यह फैसला बड़ा झटका कहा जा सकता है| अगर कैप्टन को फैसला लेना ही था तो इसमें सिद्धू की सहमति आवश्यक और अनिवार्य होनी चाहिए थी लेकिन कैप्टन ने ऐसा नहीं किया| मंत्री को दरकिनार कर इस तरह का फैसला लेकर कैप्टन अमरिंदर सिंह ने एक अलग ही चलन शुरु कर दिया है| कैप्टन के इस कदम से उन अधिकारियों के भी हौसले बुलंद हो रहे हैं जिनके इलाके में अवैध निर्माण तेजी से चल रहे हैं| वहीं, कानून तोड़ने वालों को यह गुमान हो रहा है कि मानो कैप्टन ने उन्हें कानून तोड़ने का लाइसेंस दे दिया है| कैप्टन के इस फैसले से निश्चित तौर पर सिद्धू की महत्वाकांक्षी मुहिम को झटका लगा है जिससे नगर निगम के हालात सुधरने की उम्मीद जताई जा रही थी| इस संबंध में स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने फिलहाल कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी है| जनता को और कानून का पालन करने वालों को उनकी प्रतिक्रिया का इंतजार है|
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